इस नए सिलेबस में कुछ इतिहासकारों की रचनात्मक पुस्तकों को हटाने का निर्णय लिया गया है। जिनमें आरएस शर्मा द्वारा प्राचीन भारत पर लिखी किताब और इरफान हबीब द्वारा मध्यकालीन भारत पर की किताबें शामिल की गई हैं।
UGC द्वारा तैयार इस ड्राफ्ट को मार्गदर्शक सिद्धांत के लिए बताया जा रहा है। जिसके जरिये भारत का विशाल और गौरवशाली इतिहास को विद्यार्थी विस्तार से जाने और समझ सके।
बता दें कि लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति ने भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति पर बैंड लगा दिया था और उसे बदल कर अंग्रेजी और कॉन्वेंट स्कूलों को स्थान दे दिया।
UGC ने जिस सिलेबस की रूपरेखा तैयार की है इसमें भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति को फिर से स्थान देते हुए उसे आइडिया ऑफ भारत नाम दिया गया है, जो इतिहास (ऑनर्स) के पहले पेपर के लिए है। जिसमें भारतवर्ष की अवधारणा, वेद, पुराण, स्मृति, वेदांग, सूत्र, उपनिषद, महाकाव्य, जैन और बौद्ध साहित्य आदि पढ़ाने का प्रस्ताव भी उल्लिखित है। वहीं दूसरे पेपर में आयुर्वेद और योग के विषयों को जगह दी गई है।
तीसरे पेपर में ‘सिंधु-सरस्वती सभ्यता’ के नाम से एक विषय बनाया गया है। इसमें सिंधु, सरस्वती और वैदिक सभ्यता के संबंधों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
तीसरे पेपर के बारे में बताया गया है कि ऋगवेद में सरस्वती नदी का उल्लेख किया गया है। जो कि सैकड़ों सालों से वैज्ञानिक शोध का विषय रहा है।
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