उष्ट्रासन |
अच्छी सेहत हर कोई पाना चाहता है और शरीर को निरोग बनाये रखने के लिए हम क्या नहीं करते। अच्छा भोजन करते हैं, जिम जाते हैं, वॉक करते है मेडिसिन का सेवन करते हैं और भी बहुत कुछ। उसी में एक भाग योग का भी है। यदि हम शरीर को निरोग और फिट रखने के लिए योगासन करें तो इससे भी हमें बहुत अधिक लाभ मिलेगा।
योगाभ्यास की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज हम उष्ट्रासन सीखेंगे। यह आसन बहुत ही सरल है। जिसे कोई भी बड़ी आसानी से कर सकता है। इसे करने में बड़ो को प्रारंभ में थोड़ी दिक्कतें आ सकती हैं किंतु लगातार करते रहने से शरीर में लोच आ जायेगी और वे भी आसानी से इसे कर पाएंगे।
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों को पीछे करते हुए दोनों हाथों से दोनों एड़ियों को पकड़े और कमर, पेट को आगे की ओर उठाते/तानते हुए सिर को पीछे की ओर झुकाये। थोड़ी देर इसी स्थिति में रहें उसके बाद धीरे से वज्रासन की स्थिती में बैठ जाएं।
लाभ – इस आसन का सबसे बड़ा लाभ उदर संबंधित है। नाभि मजबूत बनती है और नाभि हमेशा बीच में रहती है। यकृत, प्लीहा, पेट में गैस आदि सभी विकार दूर होते हैं। वहीं इससे गला, गर्दन, घुटना, जांघ और कमर में लोच आता है, जिससे इनमें अंदरूनी मजबूती बनती है।
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महिषासुरमर्दिनिस्तोत्रम्