इजरायल : पिछले 11 दिनों से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच हो रहा खूनी संघर्ष आखिर में 21 मई 2021 को थम ही गया। जिसके बाद गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक में लोगों ने जश्न मनाया। जिसका वीडियों सोशल मीडिया पर भी अपलोड किया गया है। इन वीडियो में दिखाया गया है कि लोग खुश होकर आतिशबाजी और गाना-बजाना करते हुए सड़कों पर उतर आए हैं। 11 दिन चले इस युद्ध में जन-धन की बहुत बड़ी हानि हुई। जिसमें 245 से भी अधिक लोग मारे गए। बता दें कि 11 दिन बाद यानी कल शुक्रवार की रात 2:00 बजे से इजरायल और हमास के बीच जारी बमबारी पर विराम लग गया है। इस विराम को लगाने में मिश्र की अहम भूमिका है।
क्या यह इजरायल की एक कूटनीति चाल है? बहरहाल, इस संघर्ष विराम में इजरायल और फिलिस्तीन दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
इजरायल और हमास के बीच मिश्र की पहल और मध्यस्थता ने बढ़ती वर्ल्ड वार की चिंगारी को दबा दिया है। पूरी दुनियां मानो सूखे पत्ते के ढ़ेर पर है और बस एक चिंगारी की जरूरत थी। क्योंकि इन दो देशों के संघर्ष से जो चिंगारी निकल रही थी उससे पूरी दुनियां जल जाने की कगार पर खड़ी थी।
इस मध्यस्थता के लिए मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस संघर्ष विराम के फैसले पर कहा कि फलस्तीनियों और इजराइलियों को भी सुरक्षित तरीके से जीवन जीने का समान अधिकार है साथ ही स्वतंत्रता, समृद्धि एवं लोकतंत्र के समान प्रावधानों को प्राप्त करने का भी हक है। मेरा प्रशासन उस दिशा में हमारी शांत एवं अनवरत कूटनीति को जारी रखेगा। मेरा मानना है कि हमारे पास प्रगति करने के वास्तविक अवसर हैं और मैं इसपर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। बाइडन ने आगे कहा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर गाजा के लोगों को त्वरित मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू के कार्यालय से एक बयान जारी कर कहा गया कि सुरक्षा कैबिनेट बिना शर्त शत्रुता समाप्त करने पर सर्वसम्मति से सहमत हुआ। लेकिन इसरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सुरक्षा बलों (आईडीएफ) को सतर्क रहते हुए कहा है की उस स्थिति के लिए तैयार रहें यदि हमास मिस्र के संघर्षविराम प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करता है।
युद्ध विराम के बाद फिलिस्तीन का कहना है कि हमास के द्वारा 4,000 से अधिक रॉकेट इसरायल के क्षेत्र में दागे गए। वहीं हमास के एक बड़े अधिकारी ओसामा हमदान ने ने गुरुवार को एक इंटरव्यू में कहा कि फिलिस्तीन के पास मिसाइलों की कोई कमी नहीं है और अगर वह चाहे तो इजरायल पर कई महीनों तक मिसाइलें दागता रहेगा। दागना जारी रख सकता है।
युद्ध के दौरान 30 वर्षीय एक भारतीय महिला भी मारी गई जिसका नाम सौम्या संतोष था और वह केरल के इदुक्की जिले की रहने वाली थी। बताया जा रहा है कि वह फिलिस्तीनी रॉकेट के हमले में मारी गई। जिसे श्रद्धांजलि के तौर पर इसरायल ने अपने एक लड़ाकू विमान में सौम्या का नाम लिखवाया और उसी विमान से फिलिस्तीन पर हमला किया। वहीं इसरायल के विदेश मंत्रालय से खबर मिली है कि सौम्या के परिवार का पूरा खर्चा अब इसरायल सरकार उठाएगी।
लेकिन हर बड़ी इकोनॉमिक और टेक्नोलॉजी से सक्षम देश इसमें कूदने के लिए तैयार बैठा था। रूस, अमेरिका और टर्की डायरेक्ट इसमें एंट्री करने वाले थे। लेबनान ने भी बहादुरी दिखाते हुए इसराइल पर कई रॉकेट दाग दिए थे।
यदि यह आग और भड़क जाती तो विश्व को दो खेमों में बांटने से कोई नहीं रोक सकता था जिसका परिणाम होता तीसरा विश्व युद्ध। क्योंकि इसराइल जैसे शक्तिशाली देश का साथ बाहुबली देश अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा खुलकर आ गए थे तो दूसरी ओर फिलिस्तीन के साथ भी कम तागतवर देश नहीं थे। टेक्नोलॉजी में माहिर चीन, तुर्की, कुवैत, ईरान और पाकिस्तान जैसे देश समर्थन में आ चुके थे। वहीं विश्व के सभी 57 मुस्लिम देश फिलिस्तीन के समर्थन में आ चुके थे। अगर भारत की बात करें तो भारत शुरू से ही अहिंसा का पथ प्रदर्शक रहा है। और युद्ध को टालने एवं खत्म करने पर ही जोर देता आया है। वह हमेशा दोनों पक्षों को शांति बहाल करने का ही विचार देते हुए न्यूट्रल रहता है। इस युद्ध में भी भारत इस कूटनीति पर कायम रहते हुए दोनों पक्षों को युद्ध विराम करने के लिए समझाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में बोलते हुए भारत के राजदूत एवं स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा की हम लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि तत्काल तनाव को कम करना वक्त की जरूरत है। इस हिंसा की कड़ी को तोड़ा जा सके। हम आह्वान करते हैं कि तनाव को बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचना चाहिए।
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