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प्रतीकात्मक चित्र |
पूरी दुनियां को बर्बाद करने के बाद कोविड-19 का वायरस जैसे भारत में आकर स्थिर हो गया है। उसे यह मालूम हो चुका है कि यहां के लोग बड़े सीधे-साधे हैं और उन्हें लगता ही नहीं कि कोरोना वायरस भी कोई महामारी है। पहली लहर आई इसपर लोग कोरोना का मजाक बना चुटकुले और कविताएं करने लगे वहीं दूसरी लहर पर कोरोना ने इसका बदला लिया और लोगों को बेवकूफ बना कर अपनी शरण में लेता जा रहा है। इसके बढ़ते मामले यह स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत के लोग आज भी इस बीमारी के प्रति सजग नहीं हैं। वहीं यह वायरस म्युटेड होकर अपने पावर को बढ़ा रहा है, साथ ही अपने संग नई बीमारियां को भी पनपने का मौका दे रहा है।
इसके कारण ब्लैक फंगस (Black Fungus) जिसे म्यूकोर मायकोसिस (Mucormycosis) भी कहते हैं के होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसमें आंखों से सम्बंधित रोग हो जाते है। भारत के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के मरीज पाए गए हैं। जिसे देखते हुए कई राज्य इसे महामारी की लिस्ट में जोड़ चुके हैं।
ब्लैक फंगस के बारे में अधिक जानने के लिए दिए गए लिंक पर जाएं।
ब्लैक फंगस होने का कारण क्या है?
वैसे लोग जो कोरोना से संक्रमित हो कर ठीक हो चुके है उन्हें यह बीमारी होने की आशंका सबसे अधिक होती है। वहीं लंबे समय तक मास्क पहने रहना या गंदे हो चुके मास्क का दुबारा से प्रयोग करना इसके होने का सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आया है।
विशेषज्ञों और डॉक्टरों का मानना है कि ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के पीछे का सबसे बड़ा कारण मास्क में नमी (Moisture) और मास्क का गंदा होना है। मास्क पर जमा हो चुकी गंदगी आंखों को प्रदूषित कर रही है जिससे फंगस इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। कोरोना से ग्रसित मरीज को लंबे समय तक ऑक्सीजन (Oxygen) देने के कारण भी फंगल इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है।
ब्लैक फंगस होने के समान्य लक्षण क्या हैं?
ब्लैक फंगस के आरंभिक लक्षण में नाक से ब्राउन या लाल रंग का म्यूकस बाहर निकलता है। फिर यह आंखों को संक्रमित कर देता है। आंखें लाल हो जाती हैं और कभी-कभी उनसे पानी भी निकलने लगता है। वहीं कुछ दिनों में कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) जिसे आँख आना भी कहते हैं हो जाता है। इसमें आंखे लाल और आंखों में कीचड़ भर जाता है। उसके बाद आंखों में दर्द होने लगता है और धीरे-धीरे आंखों से कम दिखने लगता है। फिर यह मस्तिष्क को संक्रमित करता है और अंत में नर्वस सिस्टम को। सही समय पर इलाज नहीं मिल पाने पर मरीज की मौत भी हो जाती है।
ब्लैक फंगस से बचाव कैसे करें?
बरसात के मौसम में यह फंगस आसानी से बढ़ने में कामयाब है। चूंकि इस ब्लैक फंगस का वायरस हमारे वातावरण में पाया जाता है, जिस वजह से नमी मिलते ही यह असर दिखाना शुरू कर देता है। इसलिए प्रतिदिन मास्क को बदल दें। दुबारा प्रयोग में लाने के लिए मास्क को अच्छी तरह धोए। ध्यान रहें मास्क को अन्य कपड़ों के साथ नहीं धोना चाहिए। फिर उसे डेटॉल में धोए और कड़े धूप में या प्रेस करके सुखाकर ही पहनें। किसी भी तरह की तकलीफ होने पर अथवा लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से अवश्य सलाह लें।
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