“सावधान कोवैक्सीन टीका में नवजात बछड़ा का सीरम है” – यह एक अफवाह मात्र है या इसके पीछे कुछ सच्चाई भी है, आइये जानते हैं।
कोविड पर मिथक बनाम तथ्य
नई दिल्ली : स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दिनांक 16 जून, 2021 को जारी प्रेस रिलीज में यह बताया गया है कि कोवैक्सीन की संरचना को लेकर कुछ सोशल मीडिया पोस्टों में यह कहा गया है कि कोवैक्सीन टीका में नवजात बछड़ा का सीरम है।
ऐसे पोस्टों में तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है और गलत तरीके से पेश किया गया है।
जानें यह वैक्सिन बनता कैसे है?
प्रयोगशाला में इन वेरो कोशिकाओं को विकास के बाद पानी और रसायनों से भी से धोया जाता है, (तकनीकी रूप से इसे बफर कहा जाता है), कई बार इसे नवजात बछड़ा सीरम से मुक्त करने के लिए रासायनिक प्रक्रिया द्वारा धोया जाता है। इसके बाद ये वेरो कोशिकाएं वायरल ग्रोथ के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित होती हैं।
वैक्सीनशन को लेकर आई बड़ी खबर- सरकार के पास पर्याप्त टीके नहीं हैं इसलिए समयांतराल बढ़ा दिया गया है।
अब इस वायरल ग्रोथ की प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह नष्ट हो जाती हैं। इसके बाद इस बड़े वायरस को भी मार दिया जाता है (निष्क्रिय कर दिया जाता है) और शुद्ध किया जाता है। मारे गए इस वायरस का प्रयोग अंतिम टीका बनाने के लिए किया जाता है और अंतिम टीका बनाने में कोई बछड़ा सीरम का उपयोग नहीं किया जाता है।
इसलिए अंतिम टीका (कोवैक्सीन) में नवजात बछड़ा सीरम बिलकुल नहीं होते हैं और बछड़ा सीरम अंतिम वैक्सीन उत्पाद का घटक नहीं है।
और इसलिए अफवाहों पर ध्यान न दें।
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