तीसरी लहर ना आये इसके लिए केवल हमें अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी होगी।
यदि हम कोविड के उचित व्यवहार और दिशा निर्देशों का पालन करके अवसरों को कम करते हैं और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता को कम करते हैं, तो तीसरी लहर नहीं आएगी।
हमारे हाथ में जो है उस पर ध्यान दें : वायरस को अवसर न दें, अतिसंवेदनशील मेजबान न बनें- डॉ वी के पॉल।
‘स्कूल खोलने का फैसला बेहद सोच-समझकर लेना होगा’
MUMBAI : 22 जून, 2021 को डॉ.वी.के. पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य), NITI Aayog ने राष्ट्रीय मीडिया केंद्र, पीआईबी दिल्ली में आयोजित कोविड-19 पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित कर रहे थे। जिसमें उन्होंने इस महामारी के नई तरंगों के उभरने के कारणों के बारे में बताया। साथ ही बताया कि – कैसे COVID उपयुक्त व्यवहारों का पालन करके और टीकाकरण जैसे उपाय करके इसे नियंत्रित या टाला जा सकता है।
“ऐसे कई देश हैं जहाँ दूसरी लहर भी नहीं आई है। यदि हम वह करें जो आवश्यक है और गैर-जिम्मेदार न बनें तो वास्तव में यह प्रकोप नहीं होगा। यह एक सरल महामारी विज्ञान सिद्धांत है।” – डॉ. वी.के. पॉल।
महामारी की नई लहरें क्यों आती हैं या आ रही है?
डॉ. पॉल ने इस बारे में बताया कि विशेष तौर पर चार तत्व हैं जो एक नई लहर के निर्माण की ओर ले जाते हैं।
1. वायरस का व्यवहार: वायरस में फैलने का गुण और क्षमता होता है।
2. संवेदनशील मेहमान: वायरस जीवित रहने के लिए अतिसंवेदनशील मेहमानों की तलाश में रहता है। इसलिए, यदि हम टीकाकरण या संक्रमण में सुरक्षित नहीं हैं, तो हम एक अतिसंवेदनशील मेहमान हैं।
3. ट्रांसमिसिबिलिटी: वायरस काफी स्मार्ट हो सकता है जहां यह उत्परिवर्तित (म्युटेड) होता है और अधिक ट्रांसमिसिबल (संक्रामक) हो जाता है। जैसे मान लें- एक वायरस जो तीन मेजबानों को संक्रमित करता था अब 13 को संक्रमित करने में सक्षम है। यह कारक अप्रत्याशित है, जिस कारण इस तरह के म्यूटेशन से लड़ने की कोई भी पूर्व योजना नहीं बनाई जा सकती। वायरस की प्रकृति में परिवर्तन और इसकी संचरण क्षमता एक एक्स फैक्टर है और कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि यह कब और कहां हो सकता है। वायरस के नए व्यवहार और प्रभाव को केवल वायरस ही समझ सकता है।
4. अवसर: हम वायरस को संक्रमित करने के लिए ‘अवसर’ देते हैं। जैसे- हम एक साथ बैठकर खाते हैं, भीड़ लगाते हैं, बिना मास्क के बंद क्षेत्रों में बैठते हैं, तो वायरस को फैलने के अधिक अवसर मिलते हैं।
यदि वायरस को फैलने और नए वेब को आने से रोकना है तो हमें इससे बचाव के विभिन्न पहलुओं को जानना होगा। क्योंकि जो हमारे हाथ में है उसे तो हम अवश्य कर सकते हैं।
नीति आयोग के सदस्य ने याद दिलाते हुए बताया कि हमारे हाथ में क्या है?
“उपरोक्त चार कारणों में से, दो- संक्रमण के लिए संवेदनशीलता और अवसर पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में हैं। जबकि अन्य दो कारण- वायरस का व्यवहार और संचारण, भविष्यवाणी या नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। यदि हम सुरक्षित रहते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हम अतिसंवेदनशील नहीं हैं, तो वाकई में वायरस जीवित नहीं रह पाएगा। इसके लिए हम मास्क पहनकर या टीका लगवाकर संवेदनशीलता को नियंत्रित कर सकते हैं। इसलिए, यदि हम कोविड के उचित व्यवहार और दिशा निर्देशों का पालन करके अवसरों को कम करते हैं और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता को कम करते हैं, तो तीसरी लहर नहीं आएगी।”
डॉ. पॉल ने तीसरी लहर को रोकने के लिए नागरिकों के साथ-साथ व्यवस्था के सामूहिक प्रयासों का भी आह्वान किया। “इनमें से कुछ के लिए व्यक्तिगत प्रयासों की आवश्यकता होती है, जबकि कुछ अन्य जैसे समूहों को अलग करना, संपर्क ट्रेसिंग, परीक्षण क्षमता सुनिश्चित करना और जागरूकता के निर्माण के लिए सिस्टम को कार्य करने की आवश्यकता होती है।”
क्या स्कूल खुलेंगे?
इस बारे में डॉ पॉल ने कहा कि- “निर्णय सावधानी से लिया जाना चाहिए और हमें केवल तभी जोखिम लेना चाहिए जब हम सुरक्षित हों। स्कूल एक भीड़ वाली जगह है, बड़ी सभा है, जो वायरस को संक्रमित करने का अवसर देती है। इसलिए, हमें वह जोखिम तभी उठाना चाहिए जब हम बेहतर तरीके से सुरक्षित हों। वायरस को दबा दिया जाए और हम कुछ दूरी बना कर बैठने में सक्षम हों। लेकिन अप्रत्याशित स्थिति होने पर स्कूल खोलने के लिए यह निर्णय लेना आसान नहीं है।”
वहीं डॉ पॉल ने यह भी कहा कि- “कई राज्यों में प्रचलित अनुशासन और प्रतिबंधों के कारण वर्तमान में वायरस दबा हुआ है, यदि हम प्रतिबंधों में ढील देते हैं और स्कूल खोलते हैं, तो वायरस को संक्रमित करने के अवसर मिलते हैं।”
इन विचारों को समझने के बाद अभी फिलहाल स्कूल खुलने के आसार कम ही नजर आ रहें हैं। जब तक कि इस वायरस को पूरी तरह से दबा न दिया जाए और तीसरे लहर की दी हुई टाइम लाइन क्रॉस न कर जाए तब तक शायद स्कूल ऑनलाइन ही चलेंगे।
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