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गूगल क्रोम ब्राउज़र क्यों है बेहतर आइये उसके अन्य संस्करण को जाने बस एक क्लिक में।

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क्रोम के किस संस्करण को करें इस्तेमाल यह सोच कर क्या आप कंफ्यूज हो जाते हैं? तो अब कंफ्यूजन छोड़िए और जानिए कौन सा क्रोम संस्करण आपके लिए है बेहतर?

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आज इंटरनेट के बिना जीवन अधूरा सा लगता है। हो भी क्यों ना। मनोरंजन से लेकर समुचित जानकारी एक ही पटल पर मिल जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं? इंटरनेट पर कुछ भी पाने के लिए हमें बोलकर या लिखकर सन्देश भेजना पड़ता है और इंटरनेट उसे ढूंढ कर या सर्च कर हम तक जानकारी पहुंचाता है। यह प्रक्रिया सर्च इंजन या वेब ब्राउज़र के द्वारा सम्भव हो पाता है। इंटरनेट पर कई बेहतरीन वेब ब्राउज़र ऐप्स उपलब्ध है। जैसे :-

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सबसे बड़ा सर्च इंजन गूगल है। गूगल ने सर्च करने की सुविधा को बेहतरीन बनाने के लिए कई उत्पाद / ऐप्स बनाये हैं। जिनमें सबसे प्रमुख है क्रोम (Chrome) वेब ब्राउज़र।  आज हम गूगल के इस प्रोडक्ट के बारे में बात करेंगे। 

गूगल ने कुछ भी ढूंढने या सर्च करने की सुविधा को और बेहतरीन बनाने के लिए क्रोम को बनाया है। क्रोम यूँ ही अचानक से नहीं आया बल्कि यह विभिन्न चरणों से होकर गुजरा है। एक बार पुनः बता दें कि क्रोम में हम वीडियो, ऑडियो, टेक्स्ट, फ़ोटो आदि के बारे में पता लगा सकते हैं। साथ ही उससे सम्बंधित अनेकों जानकारी और सुझाव भी प्राप्त कर सकते हैं।

गूगल प्ले स्टोर पर आपको क्रोम के विभिन्न चार उत्पाद नजर आते हैं-

क्रोम (Chrome),  

क्रोम बीटा (Chrome Beta),  

क्रोम देव (Chrome Dev), 

क्रोम कैनरी (Chrome Canary)

इसे Chrome की विकास प्रक्रिया भी मान सकते हैं जो चार अलग-अलग समय में रिलीज़ हुआ है।

किसे करे इस्तेमाल यह सोच कर क्या आप कंफ्यूज हो जाते हैं? अब कंफ्यूजन छोड़िए और जानिए कौन सा क्रोम संस्करण आपके लिए है बेहतर?

आज हम आपको बताएंगे कि क्रोम के इन चारों उत्पाद क्या है और इनमें क्या अंतर है?

या

गूगल क्रोम ( Google Chrome), क्रोम बीटा (Chrome Beta),  क्रोम देव (Chrome Dev) और क्रोम कैनरी (Chrome Canary) में क्या अंतर है?

गूगल ने सबसे पहले क्रोम कैनरी (Chrome Canary) को लाया फिर क्रोम देव (Chrome Dev), उसके बाद क्रमशः क्रोम बीटा (Chrome Beta) और क्रोम (Chrome) को लाया। 

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क्रोम कैनरी का प्रतीकात्मक चित्र 

1. क्रोम कैनरी (Chrome Canary) – यह गूगल का पहला उत्पाद है जो खासकर डेवलपर्स को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इसमें कई खामियां हो सकती है। जो कि क्रोम का पूरी तरह से अस्थिर संस्करण है। इसमें कई बग हैं, जिन्हें डेवलपर्स की सहायता से अपडेट किया जाता है। 

गूगल कहता है कि इसके रिलीज़ का परीक्षण नहीं किया गया है।  यह अस्थिर हो सकता है या कई बार चलने में विफल हो सकता है।  केवल डेवलपर्स और उन्नत उपयोगकर्ताओं के लिए अनुशंसित है।

यह बार-बार अपडेट किया जाता है। अपडेट प्रति सप्ताह सात बार तक किया जा सकते हैं, जिसमें 100MB इंटरनेट तक की खपत होती है।  

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क्रोम देव का प्रतीकात्मक चित्र 

2. क्रोम देव (Chrome Dev) – क्रोम कैनरी ब्राउजर के कुछ प्रमुख बगों को ठीक करने के बाद नए संस्करण को क्रोम देव के रूप में जारी किया गया। यह क्रोम कैनरी की तुलना में अधिक स्थिर है।

लेकिन इसके इस्तेमाल में भी समस्याएं आ सकती हैं। जैसे चलते-चलते रुक जाना या हैंग होने जैसी समस्या आ सकती है। बागों को पकड़ने के लिए अभी भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। ताकि उनमें सुधार किया जा सके।

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क्रोम बीत का प्रतीकात्मक चित्र 

3. क्रोम बीटा (Chrome Beta) – क्रोम देव के हजारों बगों को ठीक करने के बाद, क्रोम बीटा को लाया गया। यह संस्करण पहले के क्रोम संस्करणों से बेहतर है। लेकिन इसमें भी बग आते रहते हैं। जिनका उपचार किया जाता है। 

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गूगल क्रोम का प्रतीकात्मक चित्र 

4. क्रोम (Chrome) –  इसके बाद क्रोम (Chrome) आया जो की पहले के संस्करणों से बेहतर कार्य कर रहा है। इसने पहले की अस्थिर समस्याओं को हल कर दिया है। जबकि क्रोम बीटा में क्रैश होने या कोई बग मिलने की समस्या आ सकती है। और अब सबसे पॉपुलर ब्राउजर भी है जो मोबाइल के साथ-साथ लैपटॉप, डेस्कटॉप और टैबलेट में उपयोग किया जाता है। 

गूगल क्रोम ( Google Chrome) की क्या विशेषता है?

या 

गूगल क्रोम ( Google Chrome) के उपयोग करने से क्या लाभ है? 

या

गूगल क्रोम ( Google Chrome) दूसरे वेब ब्राउज़र से कैसे बेहतर है?

गूगल क्रोम ( Google Chrome) को अन्य ब्राउज़र की तुलना में बेहतर माना जाता है। और इसका प्रयोग भी सबसे ज्यादा किया जाता है। क्रोम को स्थिर संस्करण माना गया है। क्योंकि इसका इस्तेमाल करते समय आप यह उम्मीद कर सकते हैं की यह चलते हुए हैंग या क्रैश नहीं करेगा। इसके कुछ और बेहतरीन फीचर्स के बारे में बताते हैं –

1. गूगल क्रोम के बारे में बताया गया है कि यह आपके इंटरनेट सर्च के डेटा को 60% तक कम खर्च कर रिजल्ट को डाउनलोड करता है और सुरक्षित ब्राउज़िंग के साथ तेज़ी से ब्राउज़ करने में सहायता प्रदान करता है। सबसे तेज ब्राउजिंग होने के कारण कम डेटा का उपयोग होता है।

2. गूगल क्रोम गुणवत्ता को कम किए बिना टेक्स्ट, फ़ोटो, वीडियो और वेबसाइटों को डाउनलोड करता है।

3. धीमे इंटरनेट या 2G जैसे कनेक्शन पर यह 90% तक डेटा की बचत करता है और  स्वचालित रूप से

4. इसका डिज़ाइन भी इस प्रकार से किया गया है कि किसी भी वेबपेज पर आप स्मार्ट सर्च कर सकते है जिसे “टैप टू सर्च” – फीचर का नाम दिया गया है। जैसे – आप जिस पेज का आनंद ले रहे हैं, उस दौरान सामने दिख रहे किसी कंटेंट / इमेज पर खोज शुरू करना है तो आप उस पर टैप कर उसकी विशेष  जानकारी पा सकते हैं।

5. क्रोम में एक डाउनलोड बटन दिया गया है, जिसके द्वारा केवल एक टैप से किसी वीडियो, चित्र या संपूर्ण वेबपेज को आसानी से डाउनलोड किया जा सकते हैं। और ऑफ़लाइन होने पर इसे आसानी से दुबारा बिना इंटरनेट के देखा जा सकेगा।

6. यह सेफ ब्राउजिंग देता है, जिससे आपका डेटा कोई चुरा न ले। क्योंकि क्रोम में सेफ ब्राउजिंग बिल्ट-इन है।  और जब आप किसी खतरनाक साइटों पर जाते हैं या खतरनाक फ़ाइलों को डाउनलोड करने का प्रयास करते हैं तो यह आपको चेतावनी देता है या आपको सचेत कर आपके फ़ोन को सुरक्षित रखने में आपकी सहायता करता है।

7. इसमें बोलकर भी ब्राउजिंग कर सकते हैं।

8. Chrome में Google अनुवाद पहले से ही अंतर्निहित है। जिससे कि एक टैप से ही संपूर्ण वेबपृष्ठों का आपकी भाषा में अनुवाद हो जाता है।

9. आपकी जरूरतों और रुचियों को पहचानने में माहिर है। क्योंकि यह आपके पिछले ब्राउज़िंग इतिहास के आधार पर आपकी रुचियों को समझता है। 

10. जब आप Google खोज बार में कुछ टाइप करते हैं, तो यह उस साइट लिंक को स्वतः ही पूर्ण कर सकता है। और कुछ लिखने पर यह प्रश्नों का सुझाव भी देता है जिससे की आपका समय बच सके।

11. सेटिंग के द्वारा आप अपना इतिहास सहेजे बिना भी ब्राउज़ कर सकते हैं।

12. जब आप Chrome में साइन इन करते हैं, तो आपके बुकमार्क, पासवर्ड और सेटिंग आपके सभी उपकरणों पर स्वचालित रूप से समन्वयित हो जाएंगे।  

13. अपडेट होता रहता है जिससे नई सुविधाओं का आनंद प्राप्त किया जा सकता है।

आज की यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें अवश्य बताइयेगा।

गूगल क्रोम (Google Chrome) को अधिक जानने और डाउनलोड करने के लिए नीचे क्लिक करें- 

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पढ़ें खास खबर– 

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रेलवे ट्रैक पर मिला महिला का शव, 24 घंटे में पुलिस ने सुलझाई हत्या की गुत्थी

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सरायकेला : यशपुर रेलवे फाटक से महज 100 मीटर की दूरी पर पड़ा महिला का शव अब एक सनसनीखेज हत्या की गवाही दे रहा है। यह मामला सरायकेला जिले के गम्हरिया थाना क्षेत्र का है, जहाँ एक अज्ञात महिला की लाश रेलवे ट्रैक पर मिलने से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।

स्थानीय लोगों की सूचना पर मौके पर पहुँची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की। शुरुआत में मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा था, लेकिन पुलिस की सतर्कता और एसडीपीओ के नेतृत्व में गठित एसआईटी (विशेष जांच टीम) ने महज 24 घंटे में इस रहस्य से पर्दा हटा दिया।

पुलिस ने मृतका की पहचान भवानी कैवर्त के रूप में की, जो कि नारायणपुर गांव, सरायकेला की रहने वाली थीं। लेकिन इससे भी चौंकाने वाला तथ्य तब सामने आया जब जांच में पता चला कि इस हत्या को अंजाम किसी और ने नहीं, बल्कि महिला के अपने पोते लक्ष्मण कैवर्त और उसके साथी चंदन कैवर्त ने ही दिया।

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एसडीपीओ के अनुसार, प्रारंभिक पूछताछ में यह स्पष्ट हुआ है कि हत्या आपसी पारिवारिक विवाद के चलते की गई। हत्या को रेलवे दुर्घटना की शक्ल देने के लिए महिला के शव को ट्रैक पर फेंक दिया गया था। लेकिन पुलिस की टीम ने तकनीकी साक्ष्य, कॉल रिकॉर्ड और मौके की बारीकी से जांच कर साजिश की परतें खोल दीं।

फिलहाल दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, और मामले की आगे की जांच जारी है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इस घटना में और कौन-कौन लोग शामिल हो सकते हैं।

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि अपराध चाहे जितना भी शातिर तरीके से क्यों न किया गया हो, कानून की नजर से छुप नहीं सकता।

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ट्रेन लेट होना अब सिर्फ असुविधा नहीं, एक सामाजिक अन्याय बन चुका है।

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ट्रेन लेट होना अब सिर्फ असुविधा नहीं, एक सामाजिक अन्याय बन चुका है। सरकार और रेलवे को इस पर ध्यान देना होगा। नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग यह कहने लगेंगे : “रेल यात्रा का मतलब है—अनिश्चितता, असुरक्षा और असंवेदनशीलता।”

  • क्या समय पर पहुँचना अब सपना बन गया है? – ट्रेन लेट होने की त्रासदी

SOCIAL DIARY : 31 मार्च 2025 का दिन, नई दिल्ली से पूरी जाने वाली ट्रेन संख्या 18102 चांडिल स्टेशन पर सुबह 11:00 बजे पहुँची, और टाटानगर जंक्शन तक पहुँचते-पहुँचते तीन घंटे 40 मिनट की देरी हो चुकी थी।

अब यह केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी हैं कई अनकही कहानियाँ — कोई परीक्षार्थी जो साल भर की मेहनत के बाद परीक्षा केंद्र पहुंचने की दौड़ में था, कोई बेटा जो अपनी बीमार माँ से आखिरी बार मिलना चाहता था, कोई महिला जो अपने बीमार बच्चे को अस्पताल ले जा रही थी।

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लेकिन क्या रेलवे को इन कहानियों से कोई फर्क पड़ता है?

  • ट्रेन लेट होना: आम जनजीवन पर एक गंभीर प्रभाव

भारतीय रेल देश की जीवनरेखा मानी जाती है। करोड़ों लोग प्रतिदिन रेल सेवाओं का उपयोग करते हैं—कोई काम पर जाता है, कोई इलाज के लिए सफर करता है, कोई परीक्षा देने निकलता है, तो कोई अपनों से मिलने। लेकिन जब यही ट्रेनें समय से नहीं चलतीं, तो आम जनता के जीवन पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है। ट्रेन लेट होना भारत में वर्षों से एक सामान्य समस्या रही है, लेकिन इसके पीछे छिपे दर्द और संकटों की आवाज़ अब बुलंद होनी चाहिए।

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जब ट्रेन लेट होती है, तो सिर्फ समय नहीं जाता — उम्मीदें, मौके और कभी-कभी जान भी चली जाती है।

रेलवे देरी के पीछे “तकनीकी खराबी”, “भीड़”, या “मौसम” जैसे कारण गिनाता है। मगर उन लोगों का क्या जो इस देरी के कारण परीक्षा नहीं दे पाते, अस्पताल नहीं पहुँच पाते, या जिन्हें अपनों की आखिरी सांसें पकड़ने का मौका तक नहीं मिलता?

  • क्या कोई जवाबदेही है?
  • क्या कोई अधिकारी यह मानता है कि उसकी व्यवस्था के कारण किसी की ज़िंदगी तबाह हुई?

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आज की घटना एक उदाहरण है, समस्या नहीं

यह तो हर रोज़ की कहानी बन चुकी है। देशभर में हर दिन दर्जनों ट्रेनें घंटों लेट होती हैं। लेकिन हमारी समस्या सिर्फ ट्रेन लेट होना नहीं है, समस्या है — इस देरी को सामान्य मान लेना

हमने समय पर चलने की उम्मीद छोड़ दी है। यह खतरनाक है।

ट्रेन लेट होना केवल असुविधा नहीं, यह एक अधिकार हनन है

क्या एक नागरिक को यह अधिकार नहीं है कि वह समय पर पहुंचे? क्या सरकार की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह ऐसी व्यवस्था दे जो भरोसेमंद हो?
जैसा कि श्री अमरिख सिंह, जिला उपाध्यक्ष, आम आदमी पार्टी (पूर्वी सिंहभूम) ने कहा:

“अगर किसी की मृत्यु हो जाती है, किसी का एग्जाम छूट जाता है, तो इसका जिम्मेदार कौन है? यह अमानवीय कार्य बंद होना चाहिए।”

यह प्रश्न केवल एक व्यक्ति का नहीं है, यह हर उस नागरिक का है जो रेल व्यवस्था पर निर्भर है।

अब वक्त है बदलाव का

रेलवे को चाहिए कि वह—

  • हर स्टेशन पर रीयल टाइम सूचना प्रणाली को मजबूत करे
  • देरी की स्थिति में यात्रियों को मुआवजा दे
  • गंभीर मामलों में जवाबदेही तय करे
  • आपातकालीन यात्राओं के लिए प्राथमिकता को सिस्टम में शामिल करे

 

Read more :  बिजली उपभोक्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर दिया ज्ञापन, दोपहर 12 बजे बिजली ऑफिस में हुआ आयोजन

घटना का संदर्भ:
31 मार्च 2025 को नई दिल्ली से पूरी जाने वाली ट्रेन संख्या 18102, जो टाटानगर होते हुए गुजरती है, चांडिल स्टेशन पर 11:00 बजे पहुँची। यह ट्रेन टाटा जंक्शन में तीन घंटे 40 मिनट की देरी से पहुँची। इस ट्रेन में कई परीक्षार्थी अपने एग्जाम देने जा रहे थे, कुछ लोग अपने बीमार माता-पिता से मिलने, तो कुछ मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए सफर कर रहे थे।

इस देरी के कारण कई संभावनाएं संकट में पड़ीं—अगर कोई मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुँचता और उसकी जान चली जाती है, या किसी छात्र की परीक्षा छूट जाती है, तो इसका जिम्मेदार कौन है? क्या रेलवे प्रशासन अपनी जवाबदेही स्वीकार करता है?

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ट्रेन लेट होने के कारण:

  1. तकनीकी खराबियाँ: लोकोमोटिव में तकनीकी खराबियाँ अक्सर ट्रेनों की लेटलतीफी का कारण बनती हैं।
  2. पुरानी इंफ्रास्ट्रक्चर: रेलवे ट्रैक और सिग्नलिंग प्रणाली का आधुनिकीकरण न हो पाना।
  3. मौसम की मार: कोहरा, बारिश, और बाढ़ जैसे प्राकृतिक कारण भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
  4. ऑपरेशनल मिसमैनेजमेंट: ट्रेनों का समय पर प्लेटफॉर्म न मिल पाना या गलत टाइम टेबल मैनेजमेंट।
  5. राजनीतिक और वीआईपी मूवमेंट: कई बार विशेष ट्रेनों को प्राथमिकता देने से आम यात्री गाड़ियों की अनदेखी की जाती है।

आम जनजीवन पर प्रभाव:

  • छात्रों पर असर: परीक्षा से चूकना न केवल एक मौके का नुकसान है, बल्कि मानसिक और भविष्यगत तनाव भी है।
  • बीमार यात्रियों के लिए संकट: मेडिकल एमरजेंसी में देरी जानलेवा साबित हो सकती है।
  • कामकाजी लोगों का नुकसान: समय पर नौकरी पर न पहुँचने से वेतन कटौती या नौकरी पर खतरा हो सकता है।
  • मानसिक तनाव और असुविधा: घंटों प्रतीक्षा करना, खानपान की समस्याएँ, और थकावट यात्रियों के अनुभव को नकारात्मक बना देती है।
  • परिवारिक समस्याएं: शादी, अंतिम संस्कार या किसी जरूरी पारिवारिक कार्यक्रम में देर होने से सामाजिक पीड़ा उत्पन्न होती है।

जवाबदेही का सवाल:
जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो रेलवे प्रशासन अक्सर “अनुकूल परिस्थितियों” का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है। लेकिन एक लोकतांत्रिक देश में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। समय पर सेवा देना, खासकर जीवन-मृत्यु या भविष्य से जुड़ी यात्राओं में, कोई सुविधा नहीं, बल्कि एक अधिकार है।

जैसा कि श्री अमरिख सिंह (जिला उपाध्यक्ष, आम आदमी पार्टी, पूर्वी सिंहभूम) ने भी कहा है, अगर ऐसी घटनाओं में किसी की मृत्यु होती है या किसी का भविष्य संकट में पड़ता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की होनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह इस अमानवीय व्यवस्था पर रोक लगाए और आम लोगों के अधिकारों का हनन बंद करे।

समाधान के सुझाव:

  1. रेलवे सिस्टम का आधुनिकीकरण और तकनीकी सुधार।
  2. टाइम टेबल में पारदर्शिता और वास्तविक समय पर अपडेट।
  3. यात्रियों को देरी की स्थिति में मुआवजा और वैकल्पिक सुविधा देना।
  4. ट्रेन संचालन में ज़िम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करना।
  5. रेल यात्रियों की आपातकालीन आवश्यकताओं के लिए विशेष व्यवस्था करना।

निष्कर्ष:
ट्रेन लेट होना एक सामान्य समस्या नहीं रह गई है। यह आम जनता के जीवन, भविष्य और स्वास्थ्य से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है। सरकार और रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वे इसे गंभीरता से लें, ताकि आम आदमी को राहत मिल सके और रेल यात्रा फिर से समयबद्ध, भरोसेमंद और मानवीय बन सके। ट्रेन लेट होना अब सिर्फ असुविधा नहीं, एक सामाजिक अन्याय बन चुका है। सरकार और रेलवे को इस पर ध्यान देना होगा। नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग यह कहने लगेंगे—
“रेल यात्रा का मतलब है—अनिश्चितता, असुरक्षा और असंवेदनशीलता।”

समय पर ट्रेन चलाना सिर्फ तकनीक का सवाल नहीं, यह नैतिक ज़िम्मेदारी है। और यह जिम्मेदारी अब टाली नहीं जा सकती।

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मंजीत सिंह ने मीडिया के माध्यम से जिला पुलिस प्रशासन से की अपील, जल्द न्याय मिलने की लगाई आस।

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लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से गुहार : मंजीत सिंह ने मीडिया के माध्यम से जिला पुलिस प्रशासन से अपील की है कि उनके द्वारा दर्ज मामलों में जल्द से जल्द न्यायिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए ताकि उन्हें न्याय मिल सके।

जमशेदपुर: रवि ट्रांसपोर्ट सर्विसेस के संचालक मंजीत सिंह ने जिला पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके द्वारा दर्ज कराए गए विभिन्न आपराधिक मामलों में अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा रविंदर सिंह, मनमीत कौर, मनजोत सिंह, हर्षवीर सिंह, तर्जित सिंह, अमरदीप कौर एवं अन्य के विरुद्ध विभिन्न थाना क्षेत्रों में मुकदमे दायर किए गए हैं, जो वर्तमान में अनुसंधान के अधीन हैं।

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दायर मामलों का विवरण:

  • चांडिल थाना कांड संख्या 215/2024 (दिनांक 17.09.2024) – भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 115(2), 117(2), 352, 351(2), 74, 79, 316(2), 318(4), 304(2) एवं 3(5) के तहत मामला दर्ज।
  • सीतारामडेरा थाना कांड संख्या 05/2025 (दिनांक 12.01.2025) – धारा 338, 336, 340, 316, 318, 61(2) के तहत मामला दर्ज।
  • साइबर क्राइम थाना कांड संख्या 74/2023 (दिनांक 08.12.2023) – भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 379, 420 एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (B) के तहत मामला दर्ज।
  • बिष्टुपुर थाना कांड संख्या 21/2024 (दिनांक 22.01.2024) – धारा 406, 420, 467, 468, 471, 34 के तहत मामला दर्ज।
  • गोलमुरी थाना कांड संख्या 09/2025 (दिनांक 17.01.2025) – धारा 406, 408, 419, 420, 467, 468, 471, 72, 34 के तहत मामला दर्ज।

पुलिस की निष्क्रियता पर उठाए सवाल

मंजीत सिंह ने बताया कि इन सभी मामलों में अनुसंधानकर्ता द्वारा उनका एवं गवाहों का बयान दर्ज करने के बावजूद कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से अभियुक्तों को लाभ पहुंचा रही है।

उन्होंने यह भी बताया कि जिला पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भी मौखिक एवं लिखित रूप से मामले की जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

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