अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2021: आज यानी बृहस्पतिवार 29 जुलाई, 2021 को है – अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस।
जंगली जानवरों या वन्य जीवों की घटती सँख्या के मद्देनजर वन्य जीवों के संरक्षण के लिए विश्व के कई देशों ने पहल की है। कई प्रमुख संस्थाओं ने भी वन्य प्राणियों की रक्षा का संकल्प लेकर उनके विकास में सहायक बने हैं। इसी क्रम में आज के दिन को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जैसा कि आप जानते हैं भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ को माना जाता है। भारत इनके संरक्षण को लेकर आरम्भ से ही सचेत है। एक रिपोर्ट के अनुसार आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व की कुल बाघ आबादी का लगभग 70% हिस्सा भारत देश में है।
इसके लिए भारत ने अथक प्रयास किया है। बता दें कि भारत के अठारह राज्यों में 51 बाघ अभयारण्य है जहां इनका संरक्षण किया जाता है।
वर्ष 2021 के अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस की थीम – “उनका अस्तित्व हमारे हाथों में है।”
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के लिए एक थीम बना कर उनके संरक्षण को मजबूती प्रदान करते हुए बाघों के संरक्षण का प्रचार – प्रसार किया जा रहा है। ईश्वर ने सभी जीवों को फलने-फूलने का बराबर हक दिया है। इसके लिए नेचर भी सामंजस्य बना कर रखती है। और यह सिखाती है कि मानव जो कि एक श्रेष्ठ जीव होने के नाते इनका संरक्षण भलीभांति कर सकती है और धरती पर जीवन का स्तर बनाये रखने में सहायक भी बन सकती है। इसलिए तो शायद इस वर्ष के थीम है – “उनका अस्तित्व हमारे हाथों में है।”
क्या आप जानते हैं अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस की शुरुआत किस देश में और कब से मनाया जाता है?
बाघ (Tiger) के संरक्षण की शुरुआत रूस देश से हुई। आज ही के दिन वर्ष 2010 को रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट का आयोजन किया गया था। जिसमें विश्व के कई देशों ने हिस्सा लिया और बाघों के संरक्षण को लेकर एक नियम बनाये गए जिसपर उन्होंने हस्ताक्षर किया। विश्व में बाघों की घटती संख्या पर्यावरण संतुलन के विपरीत थी जिसे बचाना आवश्यक था। इसलिए विश्व में उनके अन्य प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाये गए। साथ ही उनके संरक्षण के बारे में सभी देश अन्य देशों में जागरूकता बढ़ाएंगे। उन्होंने मिलकर लक्ष्य बनाया की आने वाले वर्ष 2022 तक इनकी संख्या में दोगुनी बढ़ोत्तरी की जाएगी। और भारत ने 2010 के इस लक्ष्य को पहले ही पूरा कर बाघों की सँख्या को दुगना कर लिया है।
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के एक रिपोर्ट के अनुसार माने तो वर्तमान में इनकी आबादी 3,900 है। और आने वाले वर्ष में विश्व के देशों के साथ इनकी आबादी को दोगुना करके लगभग 6,000 करने का लक्ष्य रखा गया है।
बाघों और अन्य वन जीवों की घटती आबादी के पीछे क्या कारण रहें हैं?
जंगलों की कटाई और जंगल की आग वन्य प्राणियों के आश्रयगृह को नष्ट कर देती है। स्वाभाविक है कि इनके तबाह हो जाने से वन्य जीवन प्रभावित होता है और फलस्वरूप जीवों की जनसंख्या घटने लगती है। जिससे पर्यावरण भी असंतुलित होने लगता है। चींटी जैसा एक छोटा जीव हो या भारी भरकम हाथी ही क्यों न हो, इनके जीवनयापन और फलने-फूलने का सबसे उपयुक्त स्थल वृक्षों से अच्छादित जंगल ही माना गया है।
बाघों में आई सबसे कमी के विषय में भी यह आसानी से कहा जा सकता है कि जंगल का कम होता जाना या लगातार इनका घर नष्ट होता जाना भी इनकी जनसंख्या को प्रभावित करता रहा है। साथ ही इनका अवैध शिकार, वन्यजीवों का व्यापार और भोजन की कमी से इनका असमय मर जाना भी इनकी जनसंख्या की कमी में एक कारण है। इस बारे में एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे हुआ जिसमें यह जानकारी साझा की गई कि पिछले 150 वर्षों में बाघों की आबादी में लगभग 95% की भारी गिरावट देखी है।
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