मारबर्ग वायरस : बुधवार 11 अगस्त, 2021
लेकिन यह क्या! दुनियाँ में हुए ताजा परीक्षणों में यह उजागर हुआ है कि पशु-पक्षियों के कारण भी महामारी हो सकती है। आपको याद होगा कुछ वर्षों पूर्व अफ्रीका में इबोला महामारी ने लाशों के ढ़ेर बिछा दिए थे। और इसका भी अबतक कोई इलाज नहीं बताया गया है।
प्रतीकात्मक चित्र |
हाल ही में सोशल मीडिया की सुर्खियों में एक बार फिर से इसने जगह बना ली है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अफ्रीकी देश गिनी में इबोला वायरस अपडेट होकर वापस आ गया है जिसे नाम दिया गया है- मारबर्ग वायरस। इसे इबोला से सम्बंधित बीमारी माना जाता है। ये वायरस भी कोविड-19 की तरह ही जानवरों से इंसानों में फैला है। यह वायरस खासकर चमगादड़ों में पाया जाता है। मारबर्ग वायरस के मामले दक्षिण अफ्रीका सहित यूगांडा, अंगोला, केन्या, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में सामने आया है।
अफ्रीकी देश गिनी में हुए मारबर्ग वायरस से संक्रमण का एक मामला पिछले सोमवार को सामने आया जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसकी जानकारी दुनियाँ को बताई। WHO ने यह भी बताया कि दक्षिण अफ्रीका में इस घातक वायरस का ये पहला मामला सामने आया है। यह खतरनाक वायरस इबोला से संबंधित है। यह वायरस चमगादड़ों में पाया जाता है जो कि बेहद ही जानलेवा है। WHO ने बताया कि इस वायरस से होने वाली मृत्यु दर 88% तक है। यह मामला तब सामने आया जब इबोला की दूसरी लहर अफ्रीका में दो महीने पहले ही खत्म हो गई थी। बता दें कि इबोला की दूसरी लहर गिनी में पिछले वर्ष शुरू हुई थी और WHO ने दो महीने पहले ही इसकी दूसरी लहर के खत्म होने की घोषणा की थी। इस वायरस से कई लोगों के मारे जाने की भी खबर है।
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मारबर्ग वायरस क्या है? और इसके लक्षण क्या हैं ?
मारबर्ग वायरस चमगादड़ों की एक प्रजाति रौसेटस में पाया जाता है। यह गुफाओं या गहरे गड्ढों में रहता है। WHO के अनुसार इससे संक्रमित होने के बाद मरीज के सम्पर्क में आने वाले अन्य लोगों तक यह वायरस आसानी से पहुंच कर उन्हें इंफैक्ट कर सकता है। इससे संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, सिरदर्द और बेचैनी का अनुभव होता है। इस वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई एंटीवायरस, दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
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