जमशेदपुर | झारखण्ड
सुलभ संदर्भ हेतु उपर्युक्त विषयक अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं की प्रति संलग्न कर रहा हूँ। धारा-51 के अनुसार किसी अभ्यारण्य के 10 किलोमीटर की परिधि में कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के हथियार के लिए लाईसेंस लेना चाहता है तो उसकी अनुशंसा मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से प्राप्त करना जरूरी है। अधिनियम का यह प्रावधान लाईसेंस लेनेवाला और जारी करनेवाला दोनों पर लागू होता है। आप अवगत होंगी कि जमशेदपुर शहर दलमा अभ्यारण्य से 10 किलोमीटर की परिधि के अंतर्गत है।
इस संदर्भ में समीक्षा होनी चाहिये कि दलमा अभ्यारण्य की अधिसूचना निर्गत होने के उपरांत जितने भी व्यक्तियों को हथियार खरीदने के लिए लाईसेंस निर्गत हुए हैं, उन्होंने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से इस हेतु अनुमति प्राप्त किया है अथवा नहीं? यहाँ यह उल्लेख प्रासंगिक होगा कि राज्य सरकार के माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता, जो जमशेदपुर के कदमा क्षेत्र के निवासी हैं ने हाल ही में एक प्रतिबंधित पिस्तौल जी-ग्लाॅक खरीदा है। क्या उन्होंने हाथियार एवं लाइसेंसे लेने के लिए उपर्युक्त अनुमति प्राप्त किया है? क्या उन्हें लाईसेंस निर्गत करनेवाले अधिकारी ने इसका सत्यापन किया है?
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 को उपर्युक्त प्रावधानों से स्पष्ट है कि बिना मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक से अनुमति लिये लाईसेंस निर्गत होना और उस लाईसेंस के आधार पर हथियार खरीद करना दोनों ही गैरकानूनी हंै। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के प्रावधान 34 और 31 को देखने से स्पष्ट होता है कि बिना मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कीे अनुमति के ऐसे हथियार रखनेवाला तथा हथियार का लाइसेंस लेने वाले व्यक्ति तीन वर्ष तक की सजा अथवा 25 हजार रूपये का अर्थदण्ड अथवा दोनों ही का भागी होगा। प्रासंगिक अधिनियम ने इस बारे में किसी भी नागरिक न्यायालय जाने के लिए अधिकृत किया है।
अनुरोध है कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 के सुसंगत प्रावधानों के आलोक में पूर्वी सिंहभूम जिला के सक्षम अधिकारी ने दलमा अभ्यारण्य की अधिसूचना जारी होने के बाद मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की अनुमति लिये बिना अथवा उन्हें सूचित किये बिना जिस किसी को भी हथियार का लाइसेंस निर्गत किया है, चाहे वह मंत्री है या सामान्यजन, उसके लाइसेंस की समीक्षा करेंगी और इस संबंध में विधिसम्मत कार्रवाई करेंगी।