जमशेदपुर | झारखण्ड
जुबिली पार्क स्थित जयंती सरोवर में हजारों की संख्या में मछलियों के मरने के कारणों की जाँच होना और कारण का खुलासा होना अत्यंत आवश्यक है। जिस संस्था के अधीन यह तालाब है, उस संस्था को इस बारे में एक आरंभिक वक्तव्य जारी करना चाहिए।
इस सम्बन्ध में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक श्री सरयू राय ने एक बैठक करते हुए बताया की मत्स्य पालन विभाग झारखंड सरकार के निदेशक को इस तालाब में हजारों की संख्या में मछलियों के मरने की सूचना दी गयी तो वे अवाक रह गये। उन्होंने कहा कि पूर्वी सिंहभूम जिला मत्स्य पदाधिकारी इस बारे में जाँच करेंगी और आवश्यक कारवाई करेंगी। आज के समाचार पत्रों में जिला मत्स्य पदाधिकारी का वक्तव्य छपा है, यह वक्तव्य संतोषजनक नहीं है। एक सामान्य अवलोकन के आधार पर जिला मत्स्य पदाधिकरी के वक्तव्य में वही चिजें शामिल हैं जो एक सामान्य व्यक्ति अपने अनुमान में निष्कर्ष निकाल सकता है। केवल इतना कहना कि तालाब में आॅक्सीजन की कमी हो गयी, तालाब में मछलियों की संख्या बहुतायत हो गयी और तालाब के पानी का तापमान बढ़ गया इसलिए मछलियाँ मर गयीं, यह पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने आगे कहा मैंने आज निदेशक मत्स्य पालन विभाग झारखंड सरकार से बात किया और उनसे कहा कि इस तालाब के किनारे प्रतिदिन सुबह सैकड़ों लोग सैर करने आते हैं इसलिए तालाब के पानी में ऐसी अशुद्धियाँ आना जिसके कारण सैकड़ों मछलियों का मर जाने का प्रतिकुल प्रभाव जन स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। इसलिए मछलियों के मरने की कारणों की गहन जाँच होनी चाहिए। इस बात से मैंने जिला मत्स्य पदाधिकारी को भी अवगत कराया है और उनसे कहा है कि तालाब के जल का, मरी हुई मछली और जीवित मछली का, तालाब में यदि जलीय वनस्पतियां हैं तो उनका तथा तालाब की गाद का एक से अधिक नमूना लेकर इसे सरकार के प्रयोगशाला में जाँच करायी जाय।
उन्होंने आगे कहा बहुत पहले जुस्को प्रबंधन को सलाह दिया था कि वे टाटा जू का विस्तार तालाब के आगे तक कर दें तथा तालाब को एक जल भंडार के नाते सुरक्षित रखें। तालाब के जल को शुद्ध रखें, तालाब के पानी, तालाब की गाद, मरी हुई एवं जीवित मछलियों तथा तालाब के जलीय वनस्पतियों की सरकार जाँच कराये ताकि यह पता चले कि जयंती सरोवर के जल में अशुद्धियों की साम्यता कितनी है। इस सरोवर में जमशेदपुर के किन किन इलाकों से पानी बहकर आता है। क्या कोई ऐसा नाला भी है जो स्टील फैक्ट्री के अंदर से निकल रहा है। इन नालों से प्रवाहित जल का जयंती सरोवर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। ऐसी सभी बातों की जाँच होनी चाहिए और इस जाँच का उद्देश्य किसी को दोषी ठहराना एवं आरोप लगाना नहीं होना चाहिए।
इस जाँच का उद्देश्य जयंती सरोवर को एक शुद्ध जल भंडर के रूप में विकसित करना, इनका उपयोग वोटिंग एवं अन्य जलीय क्रीड़ा के रूप में विकसित करना तथा जमशेदपुर वासियों के लिए स्वास्थ्य एवं आनंदमय वातावरण तैयार करना होना चाहिए। यदि कोई अशुद्ध जल का स्त्राव तालाब में हो रहा है तो इसे तालाब में गिरने के पहले परिष्कृत कर लेना चाहिए। यदि अशुद्धियाँ गाद में बैठ गया है तो तालाब के दुषित जल को निकालकर गाद को परिष्कृत करना चाहिए तभी जयंती सरोवर एक निर्मल जल का भंडार के रूप में विकसित हो सकता है। टाटा स्टील लिमिटेड यह सब करने में सक्षम है। मुझे उम्मीद है कि उपर्युक्त बिंदुओं की जाँच टाटा स्टील और झारखंड सरकार के मत्स्य विभाग अपने स्तर से करेगा और सरकार एक सार्वजनिक वक्तव्य टाटा स्टील लि. की तरफ से जारी करेगा ताकि आम लोगों की भ्रांतियाँ दूर हो सके।