नई दिल्ली | भारत
उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार, भारत में (01 जुलाई,2020) से 25 जुलाई, 2023 तक पंजीकृत एमएसएमई की कुल संख्या 1,77,37,338 थी। इनमें से 96 प्रतिशत सूक्ष्म, 03 प्रतिशत लघु और 0.3 प्रतिशत मध्यम उद्यम थे।
उद्यम पंजीकरण पोर्टल के अनुसार, पोर्टल पर पंजीकृत 90 प्रतिशत सूक्ष्म उद्यमों का शुद्ध कारोबार 50 लाख रुपये तक था।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, एमएसएमई ने देश में सूक्ष्म और लघु उद्यमों को समर्थन देने के लिए कई नीतिगत पहल की हैं जिनमें शामिल हैं:
प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों (आईएमई) को औपचारिक दायरे में लाने के लिए 11.01.2023 को उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म (यूएपी) का शुभारंभ।
खरीद और विपणन सहायता योजना के तहत, निम्नलिखित घटक सूक्ष्म और लघु उद्यमों को लाभ प्रदान करते हैं:
I. बार कोड सूक्ष्म इकाइयों को बार कोड अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसके लिए वह एकमुश्त पंजीकरण शुल्क का 80 प्रतिशत सूक्ष्म उद्यमों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और वार्षिक आवर्ती शुल्क (पहले तीन वर्षों के लिए) 50,650 रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान कर 1000 बार कोड (अर्थात उत्पाद) प्राप्त करता है।
II. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म सूक्ष्म उद्यमों को ई-कॉमर्स अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए वह वार्षिक सदस्यता शुल्क/सदस्यता शुल्क/आकस्मिक व्यय पर सूक्ष्म उद्यमों को एनएसआईसी द्वारा संचालित ई-कॉमर्स पोर्टल “एमएसएमई ग्लोबल मार्ट” के माध्यम से अपने उत्पादों या सेवाओं (10 नए उत्पादों तक) को बेचने के लिए भुगतान की गई राशि का 75 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जो अधिकतम 25,000 रुपये है।
III. व्यापार मेलों/प्रदर्शनियों में भागीदारी को प्रोत्साहित करने और सहायता प्रदान करने के लिए प्रत्येक एमएसई इकाई को मेट्रो और ए श्रेणी में 1.50 लाख रूपये और अन्य शहरों में 80,000 रूपये तक यात्रा, माल ढुलाई शुल्क सहित किराया और आकस्मिक व्यय प्रदान कर सूक्ष्म और लघु उद्यमों की भागीदारी प्रोत्साहित करना।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी)।
ऋण वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए ऋण गांरटी योजना (सीजीएस) और कोलेट्रल और तीसरे पक्ष की गारंटी की परेशानी के बिना सूक्ष्म और लघु उद्यमों को ऋण के प्रवाह की सुविधा प्रदान करती है।
क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) मौजूदा क्लस्टरों में सामान्य सुविधा केंद्रों (सीएफसी) की स्थापना और मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों/संपदाओं/फ्लैटेड फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स के उन्नयन के लिए अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करके क्लस्टर विकास दृष्टिकोण को अपनाकर सूक्ष्म और लघु उद्यमों की उत्पादकता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए है।
एमएसएमई के बीच जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट (जेडईडी) कार्य प्रणालियों के बारे में जागरूकता पैदा करने और उन्हें जेडईडी प्रमाणन के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित करने के लिए एमएसएमई सस्टेनेबल (जेडईडी) प्रमाणन, जिसमें सूक्ष्म उद्यम को जेडईडी प्रमाणीकरण की लागत पर 80 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।
यह जानकारी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।