डॉक्टर रामेश्वर उरांव |
रांची । झारखण्ड
विधानसभा के मॉनसून सत्र में माननीय विधायक प्रदीप यादव के सवाल का माननीय वित्त मंत्री ने दिया जवाब। माननीय वित्त मंत्री, झारखंड सरकार डॉक्टर रामेश्वर उरांव ने विधानसभा के मॉनसून सत्र में माननीय विधायक श्री प्रदीप यादव के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि 2018 तक राज्य सरकार ने काफी कोशिश की थी कि खदान के एवज में राज्य सरकार की जमीन का मुआवजा उसे दिया जाए, लेकिन केंद्र का कोयला मंत्रालय हमेशा यह कहकर टालता रहा कि माइंस पर केंद्र का अधिकार है, इसलिए मुआवजे का अधिकार राज्य सरकार को नहीं है।
वित्त मंत्री ने सदन को जानकारी देते हुए कहा कि सरफेस लैंड पर राज्य सरकार का, जबकि सब सरफेस लैंड पर केंद्र सरकार का अधिकार होता है। इस लिहाज से केंद्र से राज्य सरकार मुआवजे की मांग कर सकती है। अगर इसके लिए जरूरत पड़ी, तो सीसीएल समेत माइनिंग करने वाली तमाम केंद्रीय एजेंसियों पर सर्टिफिकेट केस किया जा सकता है। दूसरा विकल्प यह है कि हम नीति आयोग के पास अपनी बातों को रखें। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री के आदेश पर ईस्टर्न जोनल काउंसिल की बैठक में उन्होंने इस बात को रखा था और उन्होंने सहमति भी दी थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने कोयला मंत्रालय के माध्यम से राज्य सरकार को 2500 करोड़ रुपए दिए हैं। मतलब यह है कि यह पहली किश्त है और इससे एक बात साफ है कि केंद्र ने राज्य की बातों को समझा है और माना भी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष राज्य में सूखा पड़ा था। केंद्र की टीम ने दो बार राज्य का दौरा भी किया था। इसलिए इंतजार करना चाहिए। हमें अपनी मांग जारी रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोयला सप्लाई बंद करना सॉल्यूशन नहीं है, क्योंकि ऐसा करने से कई राज्य प्रभावित होंगे साथ ही हमारे मजदूरों पर, रॉयल्टी पर भी प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देगा।