जमशेदपुर । झारखंड
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा में संताली ओलचिकी लिपि को शामिल करने के संबंध में आज आदिवासी सोशियो एडुकेशनल एंड कल्चरल एसोशिएशन, झारखंड ने उपायुक्त महोदय, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर द्वारा माननीय श्री हेमन्त सोरेन, झारखण्ड सरकार, राँची को ज्ञापन दिया।
इस सम्बंध में संस्था के अध्यक्ष सुभाष चन्द्र मान्डी और महासचिव शंकर सोरेन ने इस संदर्भ में लिखा है-
उपर्युक्त प्रसंग एवं विषय के संबंध में निवेदन करते हुए कहना है कि प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा में दिनांक 13.10.2023 की प्रथम पाली के सप्तम पत्र में संस्कृत ‘बंगला / उर्दू / मुंडारी / संथाली / हो / खड़िया / कुडुख / नागपुरी / करमाली / खोरठा /पंचपरगनिया शिक्षण विषयवस्तु सह शिक्षण विधि दर्शाया गया है ।
विज्ञप्ति के नीचे में नोट देकर घेरा के अन्दर बड़ी अक्षर में लिखा गया है कि “परीक्षा में केवल देवनागरी एवं रोमन लिपि में लिखी गई उत्तर पुस्तिका ही मान्य होगी।”
इस नोट से पूरी बातें स्पष्ट नहीं हो पाता है । क्या बंगला / उर्दू भाषा भी देवनागरी में लिखा जायेगा ? हम समझ सकते हैं कि मुंडारी / संथाली / हो / खड़िया / कुडुख / नागपुरी / करमाली /खोरठा / पंचपरगनिया के बारे में यह बात कही गयी है। यह विज्ञप्ति अधुरा, भ्रामक तथा असंगतिपूर्ण है।
ज्ञात हो कि संताली / संथाली भाषा की अपनी ओलचिकी लिपि है। यह भाषा भारतीय संविधान की 8 वीं अनुसूचि में शामिल है। यह भारत के एकमात्र आदिवासी भाषा को 8 वीं अनुसूचि में शामिल किया गया है।
उक्त परीक्षा में ओलचिकि लिपि को शामिल नहीं करकें संतालियों के प्रति घोर अन्याय हो रहा है और संतालियों में एक भ्रम की स्थिति पैदा हो गया है और लोगों में काफी रोष व्याप्त है। उक्त परीक्षा में संताली भाषा के लिए ओलचिकि लिपि को शामिल नहीं करने का क्या औचित्य है ?
मालुम हो कि संताली भाषा के ओलचिकि लिपि को निम्नलिखित संस्था/सरकार ने मान्यता दी है —
01. साहित्य एकाडेमी भारत सरकार के सांस्कृतिक विभाग (Ministry of – Culture, Govt. of India)
02.
NCERT National Council of Educational Research and
–
Training (राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, भारत सरकार)
03. CIIL – Central Institute of Indian Languages, Mysore, Govt. of India.
04. West Bengal, Govt. – पढ़ाई हो रही है । KG to PG तक संताली ओलचिकि लिपि में
05. Govt. of Assam है। – हाल ही असम की सरकार ने ओलचिकि लिपि को मान्यता दी
06. ओड़िसा में ओलचिकि 500 शिक्षकों की बहाली हो चुकी है। उसमें भी ओलचिकि को प्राथमिकता दी गई है।
झारखण्ड आदिवासी बहुल्य राज्य में ओलचिकि लिपि की मान्यता पठन-पाठन में क्या व्यवधान है? हालाँकि कॉलेज तथा विश्वविद्यालय में ओलचिकि लिपि से पठन-पाठन कार्य हो रही है।
अतः आपसे हम मांग करते हैं कि उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखते हुए उक्त प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा में ओलचिकि लिपि को शामिल की जाये तथा संताली को झारखण्ड का प्रथम राज भाषा का दर्जा दिया जाये।
धन्यवाद,
जोहार !
आपका विश्वासी
st/- (सुभाष चन्द्र मान्डी) अध्यक्ष मो० नं० 9800010054
(शंकर सोरेन) महासचिव
sd/- मो० नं० 9835138264
प्रतिलिपि
1. माननीय श्री चम्पाई सोरेन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण सह परिवहन विभाग, झारखण्ड सरकार, रांची।
2. श्रीमती जोबा माझी, महिला, बाल विकास एवं समाजिक सुरक्षा विभाग, झारखण्ड सरकार, रांची।
3. माननीय श्री बन्ना गुप्ता जी, स्वास्थ्य चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग,
झारखण्ड सरकार, रांची।
4. माननीय श्री समीर कुमार महन्ती, विधायक बहरागोड़ा झारखण्ड सरकार, रांची।
5. माननीय श्री रामदास सोरेन, विधायक घाटशिला, झारखण्ड सरकार, रांची।