जमशेदपुर | झारखण्ड
लोकनायक जय प्रकाश नारायण के जयंती के अवसर पर आज धनबाद के कोयला भवन सभागार में भारतीय जनतंत्र मोर्चा की ओर से एक दिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रतिनिधि सम्मेलन का मुख्य विषय भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी के ‘‘कारण और निवारण’’ था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1974 में लोकनायक जय प्रकाश नारायण जी के कुशल नेतृत्व में जो आंदोलन हुआ था, उसमें भी यही मुद्दे प्रमुख थे। सम्मेलन में महसूस किया गया कि ये मुद्दे आज पहले से भी ज्यादा गंभीर हो गये हैं। भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के क्षेत्रों की स्थिति भी चिंताजनक हो गयी हैं।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि एवं भारतीय जनतंत्र मोर्चा के संरक्षक सरयू राय ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में पक्ष और विपक्ष दोनांे मिले हुए है। पहले विपक्ष जनता की ओर से सवाल करती थी, और सरकार उसका जवाब भी देती थी। पर अब एक सोची समझी साजिश के तहत विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान जानबूझकर व्यवधान पैदा किया जाता है, ताकि जनहित के प्रश्न शोर-शराबे में दब जायें। जनता के सवालों का जवाब देने वाला कोई नहीं है, आखिर जनता कहां जाय। हेमंत सरकार के मुकाबले पिछली सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर था। रघुवार सरकार ने मनरेगा घोटाला के मामले में पूजा सिंहल को क्लीन चिट दे दिया था, आज उसी मामले में पूजा सिंहल जेल में है। जब हेमंत सोरेन को ईडी सम्मन देकर बुला रही है, तो रघुवर दास पर ईडी मेहरबान क्यों है, यह समझ से परे है।
श्री राय ने कहा कि हेमंत सोरेन को जब ईडी ने 5 बार सम्मन दिया है तो ईडी के बुलावे पर मुख्यमंत्री को जरूर जाना चाहिए और अपना पक्ष रखना चाहिए। भ्रष्टाचार के मामले में चाहे रघुवर हो या हेमंत दोषी पाये जाने पर विधिसम्मत उनपर कार्रवाई होनी चाहिए। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और उनके मातहत कार्य करने वाले लोग ही भ्रष्टाचार में संलिप्त दिखाई दे रहे है। भ्रष्टाचार के मामले पर पक्षपात का रवैया नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब राज्य का सबसे बड़ा पंचायत विधानसभा ही भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाये तो यह लोकतंत्र के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। जस्टिस विक्रमादित्य की कमिटि ने अवैध नियुक्ति मामले में जाँच कर अपना प्रतिवेदन विधानसभा को सौंप दिया था, उसमें आईपीसी की धारा भी जोड़ी गई थी। उस समय की रघुवर सरकार ने उस पर कार्रवाई नहीं किया। वर्तमान सरकार भी उसी नक्शे-कदम पर चल रही है। उस परन्तु उस प्रतिवेदन की कॉपी विधानसभा से नदारद है। यदि जरूरत पड़ी तो मैं जस्टिस मुखोपध्याय समिति और झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष उस जाँच रिपोर्ट को प्रस्तुत करूंगा।
साथ ही उन्होंने दोहराया कि 2017 में जब मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिला तो मैंने उन्हें औपचारिक बातचीत में बताया कि हमने दामोदर बचाओ आंदोलन के माध्यम से बिना एक रूपया खर्च किये दामोदर नद को औद्योगिक प्रदूषण से लगभग 90 मुक्त कर दिया है। वैसा ही प्रयास गंगा जी को साफ करने पर किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने मेरी बातों को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन कोयला मंत्री श्री पियुष गोयल को निर्देश दिया कि संबंधित विभाग दामोदर में अपना गंदा अभिस्राव जाने से रोके।
साथ ही उन्होंने कहा कि हमलोगों की ही तर्ज पर भारत सरकार ने रिवर सिटी एलांयस का गठन किया है, जिसमें देश की 90 प्रमुख नदियों के लिए कार्ययोजना केन्द्र सरकार ने बनाया है। मतलब साफ है कि नदियों को स्वच्छ रखने के लिए किये गये हमलोगों के कार्यों को सराहा गया है।
इस अवसर पर भारतीय जनतंत्र मोर्चा के अध्यक्ष धर्मेंन्द्र तिवारी ने पार्टी के उद्देश्यों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि धनबाद, पलामू और चतरा लोकसभा सीटों पर पार्टी अपना प्रत्याशी देगी इसके लिए उन्होंने संबंधित जिलों के जिलाध्यक्षों को आवश्यक निर्देश दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए कहा कि आम जनता के साथ आत्मीयता के साथ मिले, उनसे सम्पर्क कर उनकी समस्या को जाने और उस समस्या का समाधान करने की दिशा में काम करे। साथ ही कहा कि कार्यकर्ता स्वहित की भावना छोड़कर जनहित की भावना को आत्मसात करे, ज्यादा से ज्यादा जनहित के मुद्दों को उठायें।
श्री तिवारी ने कहा कि आज के इस सम्मेलन की सफलता और जनभागीदारी को देखते हुए इसी वर्ष 5 नवम्बर को राँची में और 23 दिसम्बर को जमशेदपुर में प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा।
वहीं पार्टी के उपाध्यक्ष, राम नारायण शर्मा ने कहा कि हमें एक मजबूत, ईमानदार और स्वच्छ छवि वाला नेतृत्व मिला है। जिनके संरक्षण में मे ंहम भ्रष्टाचार के खिलाफ खुले तौर पर दो-दो हाथ कर सकते है। पर्यावरण का संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण पर आजीवन कार्य करने वाले नेता के रूप् में आज सरयू राय को सारा भारत जानता है। इसके बाद बारी बारी से भाजमो के सभी जिला अध्यक्षों ने भी सम्मेलन में अपने विचार रखे।
इस एक दिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन का विषय प्रवेश सेवानिवृत पुलिस उपाधीक्षक, पी.एन. सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन आशीष शीतल मुंडा एवं मंच संचालन उदय सिंह ने किया। सम्मेलन में राज्य भर से लोग आये, जिनमें प्रमुख रूप से मुकेश पांडेय, विजय कुमार झा, सुबोध श्रीवास्तव, शिवशंकर मुंडा, दिलीप कुमार पाण्डेय, मंजीत प्रधान, सुयश पाण्डेय, राकेश शर्मा, पंचानन सिंह, पंकज राय, अशोक ठाकुर, सुनील सिंह, निशि पाण्डेय, मंजु सिंह, शिवानी लता, शिवजी सिंह आदि गणमान्य लोगों ने भाग लिया।
इस सम्मेलन में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किये गये:-
भ्रष्टाचार
1. भ्रष्टाचार निवारण कानूनों का कड़ाई से अनुपालन एवं उक्त गतिविधियों में संलिप्त लोगों के विरूद्ध त्वरित गति से न्यायिक प्रक्रिया अपनाते हुए सख्त से सख्त सजा कम समय में दिलाने हेतु ज्यादा से ज्यादा फास्ट ट्रैक कोर्ट का निर्माण।
2. राज्य के संसाधनों का समुचित और विवेकपूर्ण उपयोग हेतु उचित प्रबंधन।
3. सरकारी विभागो में ई-फाईलिंग व फाईल ट्रैकिंग सिस्टम की अनिवार्यता हो, ताकि सभी विभागीय कार्य एक निश्चित समय-सीमा के अन्दर सम्पन्न हो जाए।
4. वैसे कार्य विभाग जहाँ भ्रष्टाचार होने की संभावनाएं अधिक हैं, वहां सतत निगरानी एवं समीक्षा हो साथ ही आधुनिक तकनीक को समाहित किया जाए।
5. नयी परियोजनाओं में उचित लागत पर गुणवत्तापूर्ण निर्माण हेतु सक्षम अधिकारी एवं तकनीकी दल का गठन।
6. भ्रष्टाचार एक सामाजिक अभिशाप है। इस कुरीति को रोकने के लिए जन आंदोलन तथा जन जागरूकता अभियान का समय-समय पर आयोजन।
7. राजनीति में भ्रष्टाचार व्याप्त होने के कारण गरीबों और आमजनों को हक मारा जाता है उस पर लगाम लगाने हेतु नये नियमों को बनाना।
8. जमाखोरी के खिलाफ जन आंदोलन का ऐलान और सशक्त खुफिया तंत्र का गठन।
9. सरकारी अधिकारी और पदाधिकारियों को हर वर्ष उनके सम्पत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य करना और अर्जित आय स्रोत की वास्तविक स्थिति का आकलन करने के लिए विशेषज्ञ दल का गठन।
10. भ्रष्टाचार निरोधक दस्ते को अधिक स्वायत्त और सशक्त बनाना, उन्हें परिष्कृत तकनीकी संसाधनों से परिपूर्ण कराना।
11. झारखंड में व्यवस्था सुधार हेतु आमजन तथा सरकारी और गैरसरकारी संगठनों द्वारा संगठित और सत्त प्रयास से ही निदान संभव।
12. प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन, अविवेकपूर्ण प्रबंधन व उपयोग पर जवाबदेही तय करना।
13. कोयला, बालू, चिप्स आदि खनिज पदार्थ के अवैध खनन में संलिप्त सरकारी, गैर सरकारी और राजनीतिक लोगों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध कानूनी कार्रवाई हेतु स्वतंत्र एजेंसी का गठन।
14. जनहित के सभी कार्यों के निष्पादन के लिए समय-सीमा का निर्धारण करना तथा गुण स्तर को बनाये रखने हेतु जवाबदेही तय करना।
महंगाई
1. दैनिक उपयोग में आने वाली आवश्यक वस्तुओं के मुल्योत्कर्ष पर लगाम और वितरण प्रणाली पर नियंत्रण हेतु उचित एवं सुदृढ़ प्रबंधन व्यवस्था बनाना एवं उसे लागू करना।
2. सरकार के आर्थिक नीतियों के परिहीणता और मुद्रास्फीति की कुप्रबंधन के कारण बढ़ती महंगाई के प्रभावों को विष्लेषित कर उनपर नियंत्रण हेतु आवष्यक कार्यवाई करना।
3. विदेशी कर्ज पर निर्भरता धीरे-धीरे समाप्त करना। आय के नये संसाधनों का खोज करना। चिन्हित आय के स्रोतों को पुनरीक्षण करते हुए नयी संभावनाओं को तलाशना।
4. देशी उत्पादांे को बढ़ावा देना और उनको अंतराष्ट्रीय मानकांे में सफल होने के लिए उच्च स्तरीय प्रशिक्षण, संसाधन और प्रबंधन की आवश्यकता।
5. मांग और आपूर्ति के बीच समन्वय बनाए रखना।
6. किसानों को उनके उपज का उचित दिलाना। गुणवत्तायुक्त बीज और जैविक खाद किसानों को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना। फसलों को होने वाली बीमारियों एवं प्राकृतिक मार से नष्ट हुए फसलों हेतु क्षतिपूर्ति राषि की व्यवस्था करना।
बेरोजगारी
1. औद्योगिक क्षेत्रों की धीमी वृद्धि, बीमार उद्योगों का जीर्णोद्धार और उद्योग-धंधों में व्याप्त त्रुटियों को दूर कर उन्हें रोजगारपरक बनाना।
2. कुटीर और लघु उद्योगों में ह्रास के कारणों को चिन्हित कर उनके निदान हेतु ठोस उपाय करना।
3. आउटसोर्सिंग पर एजेंसियों की बहाली और संविदा पर नियुक्ति बहाली को समाप्त कर स्थायी नियुक्ति के लिए मार्ग प्रशस्त करना।
4. न्यूनतम मजदूरी दर को मंहगाई के अनुरूप बढ़ाना। मजदूरों को समय पर भुगतान करना।
5. रोजगारपरक बौद्धिक, सामाजिक तथा मानवीय मुल्यों को षिक्षा नीति में समावेष करना।
6. झारख्ंाड के षिक्षित बेरोजगारों का तत्काल बेरोजगारी भत्ता का भुगतान करना राज्य सरकार सुनिष्चित करें।
शिक्षा
1. सभी सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति कराना।
2. शिक्षा को व्यवसायीकरण से बचाना।
विकास
1. समावेशी विकास हो, रोजगार के अवसर पैदा हो जिससे गरीबी दूर करने में मददगार हो।
2. कौशल विकास के माध्यम से मेहनतकश लोगों के लिए आजीविका का अवसर प्रदान करना।
3. सरकारी पैसे से बनने वाले आधारभूत संरचनाओं को उपयोग सुनिश्चित करवाना।
4. घरेलू उत्पाद को प्रोत्साहन देकर स्थानीय कलाकारों/व्यवसायी को बढ़ावा देना।
5. गांवों में मजबूत आधारभूत संरचनाओं को खड़ा करना, ताकि गांवों से पलायन रूके और शहरों में जनसंख्या का दबाव कम हो।
6. आर्थिक पूँजी निर्भरता को दूर कर नये संसाधनों का सृजन करना।
स्वास्थ्य
1. राज्य के प्रमुख शहरों में डेंगू का प्रकोप विकराल रूप धारण कर लिया है। शहर की सफाई व्यवस्था चौपट हो चुकी है। डायरिया भी राज्य में अपना पैर पसार रही है। उसकी रोकथाम हेतु सरकार को आगाह करना।
2. नगर निगम और नगरपालिका क्षेत्रों में सफाई तथा स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर देना।
3. दूर-दराज इलाकों में सुलभ और आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पंहुचाना।
4. अनुभवी डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की घोर कमी से स्वास्थ्य विभाग जुझ रहा है। मेडिकल महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की कमी के कारण मेडिकल छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है। शोध प्रभावित हो रही है। इन सभी पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना।