झारखंड
Special on Father’s Day : काश आज की पीढ़ी कमर तोड़ महगाई में एक पिता के बेबसी को समझे

Special on Father’s Day: किसी ने सच ही कहा है कि पिता एक उम्मीद है, एक आस है, परिवार की हिम्मत और विश्वास है, बाहर से सख्त अंदर से नर्म है पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है, परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है, पिता तो बचपन में खुश करने वाला खिलौना है,नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है।
पिता ज़मीर है पिता जागीर है, जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है, एक पिता ही है जो अपने बच्चों की हर छोटी-बड़ी खुशी का ध्यान रखते हैं। यह वही इंसान है जो अपने बच्चों को एक बेहतर जीवन देते हैं। एक पिता अपने बच्चों को न केवल एक सुरक्षित और खुशहाल बचपन देते हैं। बल्कि जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएं भी इन्हीं के द्वारा प्राप्त होती है।
एक बाप के त्याग, मेहनत और समर्पण हम सभी बच्चों को सिखाती है कि सच्ची सफलता मेहनत और ईमानदारी से ही मिलती है। लेकिन जब वही बच्चे बड़े हो जाते हैं और कुछ तरक्की करते हैं तो पिता का सर गर्व से ऊंचा होता है और उसे उम्मीद होती है कि अब उसके बच्चे उन्हे अपने साथ रखकर अच्छी जिंदगी देंगे लेकिन कई जगह देखने में आया है कि जैसे ही बच्चे तरक्की करते हैं सबसे पहले वह अपने मां-बाप को ही इग्नोर करना शुरू कर देते हैं और मां-बाप उन्हें बोझ लगने लगते हैं और फिर मां-बाप के खर्च भी उन्हें महंगाई के दौर में फजुल खर्चा नजर आने लगते हैं क्यों है ना कितनी अजीब सी बात?
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दूसरा पहलू यह भी है कि बेटे की शादी होते के साथ ही वह बदलने से लग जाते हैं। घर में बहू आने के बाद में मां-बाप से विचार मिलना बंद हो जाता है। जिस कारण मां-बाप अकेले पडने लगे हैं, हमारे समाज में ऐसे बहुत सारे उदाहरण आपको देखने को मिल जाएंगे। मां-बाप अपने बच्चों से बड़ी उम्मीद रखते हैं कि जिन बच्चों के लिए उन्होंने अपनी सारी जिंदगी खो दी अपना बैंक बैलेंस भी उनके परवीश पर लगा दी यह सोचकर कि वह बच्चे मेरे बुढ़ापे के सहारा बनेंगे लेकिन कटु सत्य यह भी है कि तरक्की की चकाचौध में डूबे वही बच्चे अपने मां-बाप को छोड़कर कहीं दूसरी जगह शिफ्ट हो जाते हैं। आप अपने आस-पास झांक कर देखें।
आपको ऐसे बहुत सारे उदाहरण मिल जाएंगे। आज भी बहुत सारे ऐसे परिवार के बुजुर्ग तरसते हैं अपने के संतान के साथ रहने लिए, लेकिन कारण आपको पता चलेगा की मां-बाप से पटरी नहीं है।
आज बच्चे जो कुछ भी है अपने पिता के बदौलत है, दुनिया के किसी भी बच्चे को अपने माता एवं खासकर पिता को भूलना नहीं चाहिए, बच्चों का मुकाम तक सफर और साथ देने वाला और कोई नहीं उसकी पिता है।
इस पितृ दिवस के मौके पर सभी पिता को प्रणाम के साथ उम्मीद करता हूं की इस खबर से प्रेरणा लेकर और लोग भी इसी तरह अपने बच्चों को मां व बाप का प्यार देकर आगे बढेंगे। और एक बेटा अपने पिता से हमेशा यूं ही जुड़ा रहेगा।
- सौरभ कुमार, जादूगोड़ा