झारखंड
🐘 Elephants reached Jharkhand’s Sariya again: झारखंड के सरिया में फिर पहुंचा हाथियों का दल, राजदाह धाम बना शरणस्थली

- A group of elephants reached Jharkhand’s Sariya again, Rajda Dham became a shelter
- छत्तीसगढ़ और मद्रास की सीमा पार कर जंगलों के रास्ते आए हाथी, संख्या 50 के पार
📍राजदाह, गिरिडीह : इस साल एक बार फिर हाथियों का दल झारखंड की सीमा में प्रवेश कर चुका है। आज दोपहर सरिया क्षेत्र के राजदाह धाम के जंगलों में 50 से अधिक छोटे-बड़े हाथियों का झुंड विचरण करता देखा गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ये सभी हाथी छत्तीसगढ़ और मद्रास राज्य की सीमा से जंगलों के रास्ते झारखंड में आए हैं।
फिलहाल, ये हाथी सरिया के राजदाह धाम के आसपास के जंगलों में रुके हुए हैं। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को जैसे ही इसकी सूचना मिली, निगरानी तेज कर दी गई है। अभी तक किसी प्रकार की जनहानि या फसलों को नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन ग्रामीणों में हलचल जरूर देखी जा रही है।
मुख्य बिंदु:
- सरिया के राजदाह धाम के जंगल में दिखे 50 से अधिक हाथी
- हाथियों का दल छत्तीसगढ़ और मद्रास राज्य से जंगलों के रास्ते झारखंड में कर रहा है प्रवेश
- राजदाह धाम को माना जाता है हाथियों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना
- हर साल इसी क्षेत्र में सबसे पहले रुकता है हाथियों का झुंड
🛑 राजदाह धाम: हाथियों की पारंपरिक शरणस्थली
विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों के अनुसार, राजदाह धाम का जंगल हाथियों की पारंपरिक शरणस्थली रहा है। जब भी झारखंड में हाथियों का आगमन होता है, तो सर्वप्रथम उन्हें इसी इलाके में रुकते देखा जाता है। इसका कारण यहां का घना वन क्षेत्र, पर्याप्त जल स्रोत, और अपेक्षाकृत कम मानवीय हस्तक्षेप है।
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🗣️ ग्रामीणों की चिंता और प्रशासन की चुनौती
ग्रामीणों में इस बात को लेकर चिंता बनी हुई है कि कहीं हाथियों का दल रिहायशी इलाकों की ओर न बढ़ जाए। वहीं, प्रशासन के लिए चुनौती है कि इन हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए आम लोगों को नुकसान से बचाया जा सके।
वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को सावधानी बरतने और रात्रि में जंगल के समीप न जाने की सख्त हिदायत दी गई है।
🔍 विश्लेषण: मानव-वन्यजीव संघर्ष की आहट?
झारखंड में हाथियों का इस तरह वार्षिक आगमन अब एक सामान्य घटना बनता जा रहा है, लेकिन इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की संभावनाएं भी बढ़ती हैं। यदि वन क्षेत्र में भोजन और पानी की उपलब्धता कम होती है, तो हाथियों का दल गांवों की ओर भी रुख कर सकता है।
इसलिए वन विभाग को दीर्घकालिक योजना बनाकर न केवल हाथियों की सुरक्षा बल्कि ग्रामीण आबादी और खेती को भी संरक्षित करना होगा।
📸 हाथियों की झुंड का विडियो देखें