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“न बांधें नदियों को, नदियों पर डैम बनाने से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर” – सरयू राय

🌍 पृथ्वी दिवस 2025 पर आईआईटी-आईएसएम धनबाद में पर्यावरण संरक्षण पर जोर
📌 मुख्य बिंदु:
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आईआईटी (आईएसएम), युगांतर भारती और मेल-हब ने पृथ्वी दिवस पर संयुक्त संगोष्ठी का आयोजन
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सरयू राय ने नदियों को डैम से रोकने के खतरों पर किया आगाह
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युगांतर भारती और आईआईटी-आईएसएम धनबाद के बीच पर्यावरण संरक्षण हेतु एमओयू
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लैंड पॉलिसी को बताया गया सभी नीतियों की जननी
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अक्षय ऊर्जा और स्वच्छ पर्यावरण पर विशेष बल
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दामोदर जैसी नदियों की बिगड़ती हालत पर चिंता
“नदियों पर डैम बनाना प्रकृति के खिलाफ युद्ध जैसा”
धनबाद : 🌱 विश्व पृथ्वी दिवस 2025 के अवसर पर आईआईटी (आईएसएम), धनबाद में पर्यावरण और जैव विविधता पर केंद्रित एक विचारोत्तेजक संगोष्ठी आयोजित की गई। इस संगोष्ठी का आयोजन आईआईटी-आईएसएम, सामाजिक संस्था युगांतर भारती और मेल-हब के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था — पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण, नदियों के अस्तित्व की रक्षा और अक्षय ऊर्जा की दिशा में पहल।
मुख्य अतिथि सरयू राय का स्पष्ट संदेश
जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रमुख, सरयू राय ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा:
“नदियों को बांधा नहीं जाना चाहिए। उन्हें बांधने से, उन पर डैम बनाने से पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।”
उन्होंने कहा कि अब दुनिया भर में नदियों को डैम से रोकने के खिलाफ आंदोलन तेज़ हो रहे हैं और भारत को भी अपनी नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने नदियों की स्वतंत्र धारा को जीवनदायिनी मानते हुए कहा कि:
“प्रकृति को समझने और संजोने की बजाय हमने उसे लूटने का माध्यम बना दिया है।”
सरयू राय ने कहा :
“नदियों पर डैम बनाने के दुष्परिणाम धीरे-धीरे अब दुनिया के सामने आने लगे हैं और यही वजह है कि अब इनका विरोध दुनिया भर में हो रहा है।”
उन्होंने आईआईटी, आईएसएम जैसे संस्थान को प्रकृति के पैथोलॉजिकल टेस्टिंग सेंटर की तरह बताया जहां पर मानवीय गतिविधियों से पृथ्वी और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का पता चलता है। श्री राय ने कहा कि आज पर्यावरण को सबसे ज़्यादा खतरा मानवीय गतिविधियों से ही हो रहा है। यह इंसान ही है, जिसने प्रकृति का अपने हित के लिए दोहन किया और उसकी हालत खराब की।
पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण एमओयू
इस संगोष्ठी में झारखंड में पर्यावरणीय कार्यों को संगठित रूप से आगे बढ़ाने हेतु युगांतर भारती और आईआईटी-आईएसएम धनबाद के बीच साझेदारी का समझौता (एमओयू) किया गया। इस एमओयू के माध्यम से दोनों संस्थान मिलकर निम्नलिखित क्षेत्रों में कार्य करेंगे:
- जैव विविधता के संरक्षण,
- शैक्षणिक जानकारी व रुचि की सामग्रियों के बारे में सूचना का आदान-प्रदान,
- संयुक्त वृक्षारोपण कार्यक्रम,
- पर्यावरण मुद्दों पर सेमिनार,
- कार्यशाला,
- जागरूकता कार्यक्रम,
- व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना व स्वरोजगार उत्पन्न करना,
- शैक्षणिक साहित्य का आदान-प्रदान,
- संयुक्त परामर्श सेवाएं,
- अनुसंधान गतिविधियों और प्रकाशन संबंधित कार्य करना
एमओयू पर हस्ताक्षर प्रो. अंशुमाली (आईआईटी आईएसएम) और अंशुल शरण (अध्यक्ष, युगांतर भारती) ने किए।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता आईआईटी खड़गपुर के प्रोफेसर अशोक कुमार गुप्ता ने पीपीटी के माध्यम से ‘ट्रांसफॉर्मिंग एंड वेस्ट वाटर मैनेजमेंट इन इंडिया: एडवांसिंग सस्टेनेबिलिटी एंड एनर्जी एफिशिएंसी एप्रोच’ विषय पर प्रकाश डालते हुए विस्तृत व्याख्यान दिया।
संगोष्ठी का विषय प्रवेश करते हुए आईआईटी (आईएसएम) के प्रो अंशुमाली ने कहा कि लैंड पॉलिसी सभी पॉलिसियों की जननी है, क्योंकि सभी नीतियों के क्रियान्वयन के लिए सर्वप्रथम भूमि की ही आवश्यकता होती है। आजकल सरकार भी भूमि अधिग्रहण के बदले रैयतों को काफ़ी बढ़िया मुआवज़ा दे रही है। दामोदर नद के इर्द-गिर्द विभिन्न प्रकार के औद्योगिक निकायों ने नदी तट और उसके वेटलैंड क्षेत्र पर अतिक्रमण कर उसे बर्बाद कर दिया है। इन उधोगों के कारण दामोदर की कई सहायक नदियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। दामोदर भी इससे अछूता नहीं है। हमने अपनी कारगुज़ारियों से ज़मीन और पर्यावरण का नेचर बदल दिया है।
आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने आविष्कार, नवाचार एवं ज्ञान-विज्ञान को राष्ट्र के आर्थिक तरक्की का आधार बताया और कहा कि अब अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में मनोयोग से काम करने की जरूरत आन पड़ी है। उन्होंने इस पूरे क्रिया-कलाप में गैर सरकारी संगठनों को आम आदमी तक प्रचार एवं प्रसार का सशक्त माध्यम बताया।
📚 गंभीर वैज्ञानिक विश्लेषण और विचार
प्रो. अंशुमाली का विचार – लैंड पॉलिसी की केंद्रीय भूमिका
“लैंड पॉलिसी सभी नीतियों की जननी है। उद्योगों द्वारा दामोदर और उसकी सहायक नदियों के वेटलैंड क्षेत्रों पर अतिक्रमण से पारिस्थितिकी संकट गहराता जा रहा है।”
प्रो. अशोक कुमार गुप्ता (आईआईटी खड़गपुर)
उन्होंने पीपीटी के माध्यम से “Transforming and Wastewater Management in India” पर व्याख्यान दिया। उन्होंने सतत ऊर्जा और जल प्रबंधन तकनीकों पर ज़ोर दिया, जो भारत की पर्यावरणीय नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं।
प्रो. एस.के. गुप्ता (डीन, आईआईटी आईएसएम)
“अब जीवाश्म ईंधनों का विकल्प खोजना समय की मांग है। विज्ञान का लक्ष्य समाधान है, न कि सिर्फ अनुसंधान।”
🌎 विशिष्ट अतिथियों की स्पष्ट चेतावनी
प्रो. सुकुमार मिश्रा (निदेशक, आईआईटी आईएसएम)
“देश की आर्थिक समृद्धि का रास्ता अब अक्षय ऊर्जा, नवाचार और जागरूकता से होकर गुजरता है।”
संजय रंजन सिंह (सेवानिवृत्त आईपीएस)
“धनबाद कभी स्वच्छ वातावरण वाला शहर था। लेकिन ओपन माइनिंग ने इसके सीने पर ओवरबर्डन का बोझ डाल दिया है। अब धनबाद का वातावरण विषैला हो गया है।”
अंशुल शरण (युगांतर भारती)
“इंसानी हरकतों ने पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुँचाया है। कई पशु-पक्षियों की प्रजातियाँ समाप्त हो गई हैं। अतिवृष्टि और अनावृष्टि अब सामान्य घटना बन चुकी है।”
डा. राकेश कुमार सिंह (पर्यावरणविद)
“अब शिक्षा सिर्फ नौकरी पाने का माध्यम नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए कर्म का उपकरण बननी चाहिए।”
अरुण राय (दामोदर बचाओ आंदोलन)
“पेड़-पौधे जीवनदायिनी हैं। यह न केवल कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं, बल्कि मानव जीवन के लिए प्राणवायु भी प्रदान करते हैं।”
विशिष्ट अतिथि युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने कहा कि इंसानी हरकतों के कारण भी पर्यावरण में घोर असंतुलन की स्थिति लगातार ख़राब होती चली जा रही है। पशुओं की कई नस्लें लुप्त हो गई हैं। आज सारा विश्व अतिवृष्टि और अनावृष्टि से जूझ रहा है। पृथ्वी दिवस 2025 की थीम अक्षय ऊर्जा के महत्व पर जोर देता है और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के वैश्विक सहयोग का आह्वान करता है।
आईआईटी-आईएसएम, धनबाद के डीन एस.के.गुप्ता ने कहा कि ज्ञान का विश्लेषण ही विज्ञान है। पहले किसी भी चीज़ की खोज होती है, उसके बाद उसपर रिसर्च होता है। रिसर्च के बाद ही उसका गुण-अवगुण हमारे सामने आता है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है, जब हमें जीवाश्म ईंधन का विकल्प ढूंढना होगा। हमें नवीकरणीय ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा जैसे प्राकृतिक विकल्पों की ओर मुड़ना होगा। तभी हम पृथ्वी को गर्म होने से बचा पाएंगे और यह धरा हमारे रहने लायक रहेगी।
विशिष्ट अतिथि तथा भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत संजय रंजन सिंह ने आईआईटी-आईएसएम धनबाद की 100वीं वर्षगांठ पर संस्थान के सभी शिक्षकों और छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि धनबाद एक सुव्यवस्थित शहर था। पहले यहां पर अंडर ग्राउंड माइनिंग होता था। वायु प्रदूषण नाममात्र की थी। ओपन माइनिंग के कारण ओवर बर्डन हो गया है। यह धनबाद के सीने पर बहुत बड़ा बोझ है। धनबाद का वातावरण अत्यधिक विषैला हो गया है।
पर्यावरणविद डा. राकेश कुमार सिंह ने कहा कि आजकल हमारे शिक्षा का ध्येय केवल नौकरी है। नौकरी तो सभी करते है, पर काम कोई-कोई ही करता है और जो काम करता है उसी की पहचान होती है। पर्यावरण के क्षेत्र में इस देश को काम करने वालों की जरूरत है।
दामोदर बचाओ आंदोलन के धनबाद जिला संयोजक अरुण राय ने कहा कि पेड़ पौधे मानव जीवन के लिए धरोहर है। यह कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करता है।
स्वागत भाषण आईआईटी (आईएसएम) के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक सिन्हा ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो सुरेश पांडियन ने किया। मंच संचालन मेल-हब की डॉ. मेघा त्यागी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आईआईटी (आईएसएम), धनबाद के पर्यावरण विभाग, मेल-हब के शिक्षक, विद्यार्थीगण और कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
🔍 विश्लेषणात्मक निष्कर्ष:
पृथ्वी दिवस 2025 की यह संगोष्ठी सिर्फ औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि एक वैचारिक क्रांति का आरंभ है। इस आयोजन ने स्पष्ट रूप से दिखा दिया कि:
- नदियों पर डैम बनाना अब स्वीकार्य नहीं है
- जैव विविधता की रक्षा एक सामाजिक दायित्व है
- अक्षय ऊर्जा ही मानवता का भविष्य है
- शिक्षा, विज्ञान तथा समाज को अब मिलकर पृथ्वी की रक्षा में उतरना होगा