झारखंड
बिजली उपभोक्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर दिया ज्ञापन, दोपहर 12 बजे बिजली ऑफिस में हुआ आयोजन

नई दिल्ली। आज दोपहर 12 बजे शहर के विद्युत उपभोक्ता एकजुट होकर बिजली कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने कार्यपालक अभियंता को एक औपचारिक ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आम नागरिकों, किसानों और बिजली कर्मचारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में सभी को पूर्व में आमंत्रित किया गया था।
यह ज्ञापन माननीय विद्युत मंत्री को, माननीय राज्यपाल महोदय के माध्यम से प्रेषित किया गया। उपभोक्ताओं ने ज्ञापन के माध्यम से सरकार का ध्यान बिजली क्षेत्र में लिए गए कुछ निर्णयों की ओर आकर्षित किया, जिन्हें उन्होंने आम जनता के हितों के विरुद्ध बताया।
ज्ञापन में उपभोक्ताओं ने कहा:
“बिजली आधुनिक जीवन की आवश्यक सेवा है, जैसे वायु और जल। लेकिन सरकार की नीतियों के कारण इसे एक लाभ कमाने वाला व्यापार बना दिया गया है, जिससे आम उपभोक्ताओं को नुकसान हो रहा है।”
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ज्ञापन में उपभोक्ताओं ने विशेष रूप से निम्नलिखित मुद्दों पर चिंता प्रकट की:
- बिजली संशोधन विधेयक 2022: उपभोक्ताओं के अनुसार, यह विधेयक अगर कानून बना तो राज्य की वितरण कंपनियां कमजोर होंगी और बिजली क्षेत्र का पूर्ण निजीकरण हो जाएगा।
- प्रीपेड स्मार्ट मीटरों की जबरन स्थापना: उपभोक्ताओं ने कहा कि इस प्रक्रिया से गरीब उपभोक्ताओं और किसानों पर बोझ बढ़ेगा, और बिजली विभाग के हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं।
- बिना परामर्श के लिए गए निर्णय: सरकार ने उपभोक्ताओं और कर्मचारियों से कोई सलाह-मशविरा किए बिना स्मार्ट मीटर लगाने की योजना लागू की।
- टाइम ऑफ डे टैरिफ (TOD): उपभोक्ताओं ने इसे आर्थिक शोषण बताते हुए कहा कि इससे उपभोक्ताओं के दशकों पुराने अधिकार छिन सकते हैं।
ज्ञापन में चार प्रमुख मांगें रखी गईं:
- विद्युत संशोधन विधेयक 2022 को निरस्त किया जाए।
- बिजली क्षेत्र के निजीकरण को रोका जाए।
- प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर रोक लगाई जाए।
- टाइम ऑफ डे टैरिफ (TOD) की प्रक्रिया बंद की जाए।
कार्यक्रम में मौजूद उपभोक्ताओं ने सरकार से अपील की कि बिजली को लाभ का माध्यम नहीं, बल्कि एक बुनियादी जरूरत के रूप में देखा जाए। ज्ञापन सौंपने के इस आयोजन को एक शांतिपूर्ण एवं संगठित प्रयास बताया गया, जिसे आगे एक जनआंदोलन के रूप में भी विस्तारित करने की बात कही गई।