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झारखंड

पुलिस महानिदेशक के निर्देशों की अनदेखी से भारतीय सेना के जवान को जाना पड़ा जेल

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प्रतीकात्मक चित्र : AI जेनरेटेड

Jamshedpur : झारखंड पुलिस महानिदेशक के निर्देशों का यदि सही तरीके से पालन किया गया होता, तो भारतीय सेना के हवलदार सूरज राय को जेल नहीं जाना पड़ता। भारतीय सशस्त्र बलों के जवान देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर जाति, धर्म और क्षेत्रीय भेदभाव से ऊपर उठकर सेवा देते हैं।

झारखंड पुलिस महानिदेशक ने 3 जून 2024 को एक महत्वपूर्ण आदेश (पत्रांक 547) जारी किया था, जिसमें सेवारत, सेवानिवृत्त सैनिकों, अर्धसैनिक बलों और उनके परिवारों की सुरक्षा और कल्याण को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए थे। राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड के अनुसार, झारखंड में करीब 27,000 सेवानिवृत्त सैनिक और विधवाएं विभिन्न जिलों में निवास करती हैं। इन सैनिकों और उनके परिवारों को कई बार भूमि विवाद, मकान संबंधी समस्याएं और असामाजिक तत्वों द्वारा शोषण जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

प्रतीकात्मक चित्र - 2  : AI जेनरेटेड

प्रतीकात्मक चित्र – 2 : AI जेनरेटेड

 

डीजीपी के निर्देशानुसार, पुलिस प्रशासन को यह सुनिश्चित करना था कि जब कोई कार्यरत या सेवानिवृत्त सैनिक अथवा अर्धसैनिक बल का जवान या उनका परिवार किसी समस्या के समाधान के लिए पुलिस से संपर्क करे, तो उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए और उनकी शिकायतों का प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाए। इसके अलावा, हर माह एक निश्चित तिथि पर उनकी समस्याओं को सुनने के लिए जन संवाद आयोजित करने और उसका रिकॉर्ड रखने का भी निर्देश दिया गया था।

यदि झारखंड के जिला पुलिस पदाधिकारी और जवान इन निर्देशों का पालन करते, तो पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को न्याय मिलता और हवलदार सूरज राय जैसे बहादुर सैनिक को अन्याय का सामना नहीं करना पड़ता। पूर्व सैनिकों का मानना है कि यदि इन निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जाए, तो राज्य में शांति और सुरक्षा स्थापित करने में पूर्व सैनिक भी अपनी दक्षता और सेना में मिले प्रशिक्षण का उपयोग कर प्रशासन का सहयोग कर सकते हैं।

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