चाईबासा /झारखण्ड (जय कुमार): जिला प्रशासन समाज कल्याण शाखा, पश्चिमी सिंहभूम के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के 10 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य पर जिला स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन समाहरणालय सभागार में किया गया। उक्त कार्यक्रम में जिला स्तरीय जागरूकता रैली सेविका/सहायिका द्वारा निकाली गयी, गुब्बारे में कन्या भु्रण हत्या एवं बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं के प्रेरणादायक संदेश उड़ाये गये, सेल्फी, शपथ, हस्ताक्षर अभियान, बेटियों के शिक्षा सुरक्षा एवं सशक्तिरण के लिए किया गया।
इस अवसर पर उप विकास आयुक्त ने कहा पश्चिमी सिंहभूम एक भाग्यशाली जिला है, जिसमें कन्या भ्रुण हत्या नहीं होती लेकिन बालिकाओं की साक्षरता दर कम है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जागरूकता अभियान प्रभावी बनाने के लिए प्रखण्ड स्तर एवं ग्राम स्तर पर विशेष जागरूकता अभियान चलाने, बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने एवं स्कूल छोड़ने की दर को कम करने एवं बाल विवाह रोकने पर जोर दिया। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया है। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक बालिका को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का पूरा अधिकार मिले। साथ ही मुण्डा मानकी, मुखिया के साथ समय-समय पर बैठक कर अभिभावकों जागरूक कर बालिकाओं को शिक्षा से जोड़े।
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श्रीमती स्वेता भारती, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने कहा इस 10 वर्षीय उत्सव के लिए विशेष कैलेण्डर तैयार किया गया जिसके अन्तर्गत विभिन्न गतिविधियां प्रखण्ड एवं ग्राम स्तर पर की जा रही है, जिसमें PCPNDT, POCSO, 1098, 112 से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम शामिल है। साथ ही किशोरियों को सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना से जोड़ा जा रही है, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की किशोरियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित हो और समग्र विकास के बढ़ावा दें।
गोपाल पाण्डेय, विधि-सह-परिवीक्षा अधिकारी द्वारा POCSO एवं बाल विवाह अधिनियम 2006 के प्रावधानों तथा बाल विवाह निषेध अधिकारियों के दातित्व एवं भूमिका के विषय को लेकर सभी अधिसूचित अधिकारियों को बाल विवाह के कारण एवं परिणाम अपराधा निषेधज्ञा, देख-रेख और संरक्षण के बारे में अवगत कराया। इस कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त, अपर उपायुक्त-पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा, जिला बाल संरक्षण इकाई, सभी महिला पर्यवेक्षिका एवं सेविका एवं यूनिसेफ के कर्मियों द्वारा मुख्य रूप से भाग लिया गया।