- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद पिडि़त परिवार को न्याय मिला
- मामला बिलासपुर की तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म से संबंधित था, बैरम का प्रयास रंग लाया। अपराधी को पोस्को के तहत गिरफ्तारी व पिड़ित परिवार को 2,50000 दो लाख पच्चास हजार का मुआवजा मिला
चक्रधरपुर (जय कुमार) : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर निवासी मानव अधिकार कार्यकर्ता बैरम खान की एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए संबंधित पदाधिकारी को निर्देश दिया था। जिस पर आयोग ने कहा है कि शिकायतकर्ता ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के सिरगिट्टी में 3 साल की नाबालिग लड़की के साथ कथित बलात्कार और उसकी मौत की घटना का उल्लेख किया है।
पीड़िता के माता-पिता कथित तौर पर आरोपियों के दबाव और डर के कारण अपने गांव से भाग गए हैं। शिकायतकर्ता बैरम खान ने अपने आरोपों के समर्थन में 25.03.2024 के अखबार समाचार क्लिपिंग की एक प्रति संलग्न की है। शिकायतकर्ता बैरम खान ने मामले में आयोग से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
आयोग ने अपनी कार्यवाही दिनांक 01.10.24 के माध्यम से जिला मजिस्ट्रेट, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ और पुलिस अधीक्षक, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ को तत्काल मामले में उचित कार्रवाई करने और एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
उपरोक्त निर्देशों के अनुसरण में, डीआईजी, रायपुर की दिनांक 16.10.24 की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कथित घटना के संबंध में एफआईआर संख्या 222/24 धारा 363/366/376/302/34 आईपीसी के तहत धारा 4/6/10 पोक्सो एक्ट के तहत दिनांक 17.10.2024 को एफआईआर दर्ज की गई है।
इस मामले में शामिल किशोर को किशोर बोर्ड, बिलासपुर भेज दिया गया है, जबकि आरोपी शंकर यादव को बिलासपुर की अदालत में पेश किया गया है और उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इसके अलावा, मृतक पीड़िता के माता-पिता को चेक संख्या 283936 दिनांक 03.4.2024 के माध्यम से 2,50,000/- दो लाख पचास हजार रुपये की मुआवजा राशि दी गई है।
उपरोक्त रिपोर्ट के मद्देनजर, ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़िता के माता-पिता को उचित मुआवजा दिया गया है और मामले में कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।
उपरोक्त रिपोर्ट को रिकॉर्ड में ले लिया गया है। मानवाधिकार बैरम खान ने कहा कि भारत का न्याय अभी जिंदा है और कमीशन की कार्रवाई से संतुष्ट हूं।