जमशेदपुर : भारतीय सेना के इतिहास में 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान बिहार रेजिमेंट की सबसे युवा बटालियन 10 बिहार ने अपनी वीरता और साहस का परिचय दिया था। इस बटालियन ने केवल 5 वर्षों के अनुभव के साथ युद्ध में भाग लिया था और कर्नल साहनी के नेतृत्व में युद्ध की दिशा ही बदल दी। युद्ध के दौरान, 10 बिहार रेजिमेंट ने 4 दिसंबर 1971 को अखौरा पोस्ट को जीतकर बांग्लादेश में पाक सेना द्वारा हो रही अराजकता को रोका और बांग्लादेशी हिन्दू और मुस्लिम भाई-बहनों की मदद के लिए भारतीय सेना का मार्ग प्रशस्त किया।
4 दिसंबर 1971 को अखौरा दिवस के उपलक्ष्य में 10 बिहार रेजिमेंट के सेवानिवृत्त वीर सैनिक हवलदार सर्विस नंबर 4244930K सोने लाल को जमशेदपुर शहीद स्थल पर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और विजय दिवस के दिन उनकी वीरता की गौरव गाथा को याद किया गया।
यह भी पढ़ें : आदित्यपुर में आगामी मजदूर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए नुक्कड़ सभा का आयोजन
गोलमुरी वार मेमोरियल पर हवलदार सोने लाल को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में 10 बिहार रेजिमेंट के सेवानिवृत्त सैनिक मोहन सिंह, मनोज कुमार, आशुतोष कुमार सिंह, राजेश कुमार, निरज कुमार और सदिप कुमार भी उपस्थित थे।
यह दिन वीरों की शौर्य गाथा को याद करने और उनके अद्वितीय साहस को सलाम करने का था, और 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले दो वीर बिहारी आज भी हमारे बीच मौजूद हैं, जिनकी वीरता की कहानियां सुनकर मन गर्व से भर जाता है।