एक अनोखी कहानी: एम्बुलेंस १०० की स्पीड में सड़क पर दौड़ रही थी। अंदर नर्स कोयल को संभालने का भरसक प्रत्यन कर रही थी। मुँह पर लगे ऑक्सीज़न मास्क के बाबजूद कोयल की उखड़ी साँसे सामान्य नहीं हो पा रही थी। कोयल राज का हाथ पकड़े तड़प रही थी। उसकी बड़ी बड़ी आँखे बहुत कुछ कहने को बेताब थी पर होंठ चिपक से गये थे। राज हतप्रद संज्ञा – शून्य हो बैठा था। ये क्या होगया ,,,,,,? कैसे हो गया ,,,,,,,,,? वह भयभीत आँखों से एक टक कोयल को देख रहा था। अनहोनी की आशंका से उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। कोयल की उखड़ती साँसों ने राज के पुरे अस्तित्व को झझकोर कर रख दिया था। आई. सी .यु के बेड पर पड़ी कोयल की साँसे हिचकोले ले रही थी। कोयल को खो देने का भय राज के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था।
दस साल हो गए थे ,राज और कोयल की शादी को, इन दस वर्षों के दरमियाँ आज से पहले राज को कभी कोयल की चिंता नहीं हुई थी। ऐसा नहीं था कि वो कोयल से प्यार नहीं करता था। एक जमाना था जब वह कोयल पर जान छिड़कता था। दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। कोयल बहुत ही हँस मुख थी ,दिन भर हँसते मुस्कुराते हुए वह अपनी सारी जिम्मेदारियों को पूरा करती । धीरे धीरे वह घर परिवार, पास पड़ोस, अपने पराये सबों की चहेती जगत जननी बन गयी थी। कोयल जितनी जिम्मेदार थी , राज उतना ही लापरवाह था । शादी के बाद भी उसमें कोई बदलाव नही आया था ।
आज भी वह मद मस्त हाथी की तरह ,अपने आप में मस्त रहता था। अकेली संतान होने की वजह घर में सब का लड़ला था। कोयल बड़े घर की बेटी थी। वह बहुत लाड़ में पली बढ़ी थी पर बचपन मे ही माँ को खो कर वह समय से पहले ही बहुत समझदार हो गयी थी । वह राज का बहुत खयाल रखती। उसने राज की और घर की सारी जिम्मेदारियों को बखूबी सम्भाल लिया था। राज ने अपने जीवन में यदि किसी हो बहुत अहमियत दिया तो वो खुद राज था। हमेशा अपनी जरूरतें , अपनी इक्छा ,अपनी ख़ुशी की दुहाई दे कर अपनी हर बात मानवाता, कोयल भी हंस कर उसकी हर बात मान जाती थी।
कोयल के लिए उसकी सुबह राज से थी ,शाम राज से थी । उसकी ख़ुशी ,उसका दुख सब राज से था। राज और राज का परिवार ही उसकी जिंदगी थी। जब राज खुश होता तो वह भी खुश होती थी ,जब वह परेशान होता तो ,वह भी परेशान हो जाती। जब वह दुखी होता तो कोयल रो रो कर भगवान से उसकी परेशानियाँ दूर करने की प्रार्थना करती। उसकी जिंदगी राज से शुरू होकर राज पर ही ख़त्म होती थी। उसके इस प्यार का अहसास राज को था इसलिए वो इसका भरपूर फायदा उठाता ।.उसके लिए कोयल का प्यार , उसका समर्पण सब फालतू की बातें थी। बदलते परिवेश में वो भी बदल गया था।
जहाँ राज सागर की उन्मादित लहरों की तरह आवारा था ,वही कोयल झील की तरह शांत थी। कोयल की प्यार की दीवानगी राज की समझ के परे थी । इंसान को जब कोई चीज बिन मांगे मिल जाती है तो वह उसकी कदर नहीं करता है। कुछ ऐसा ही था राज के साथ। उसे कोयल की सादगी , उसकी सरलता बहुत बोरिंग लगने लगी थी। इसीलिए उसे कोयल में अब कोई इंटररेस्ट नहीं रह गया था । वह कोयल से बड़े प्यार से आपने काम निकलवाता और टाटा बायबाय कर ‘लव यू डार्लिंग ‘ कह कर चल देता। इन तीन शब्दों ने ही तो कोयल को खरीद लिया था। वो नहीं जानती थी यह शब्द, शब्द नहीं पानी का बुलबुला है। जिसका अब राज के लिए कोई अस्तित्व नहीं है। कोयल के लिए अपने परिवार को खुश रखना ही उसकी पूजा थी। वह तन मन से सब को खुश करने में जुटी रहती।
इधर राज घर से निकल आजाद परिन्दे की तरह आसमान में उड़ने लगता ,कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर । उसकी नजरे हमेशा खूबसूरती तलाशती रहती। इसी दौरन उसकी मुलाकात शैली से हुई। फूल ऑफ़ एटीटियूड , स्मार्ट ,खूबसूरत ,नाज नखरे और अदाओं से भरी हुई। दोनों की आँखे चार हुई। शैली उसी के ऑफिस में काम करती थी ,अभी अभी उसका ट्रांसफर हुआ था। उसके लिए ये शहर नया था। राज उसका गाइड बन भवरें की तरह उसके इर्द गिर्द मँडराता रहता। धीरे धीरे ये दोस्ती प्यार में बदलने लगी।
अब तो राज सातवें आसमान पर था। घर में एक ऐसी आया थी जो उसकी दीवानी थी और बाहर ऐसी काया थी जिसका वो दीवाना था। उसकी तो पांचों उँगली घी में और सर कड़ाई में था। अब तो राज सुबह उठते ही शुरू होजाता ” ऑफिस में कॉन्फ्रेन्स है डिअर अच्छे कपड़े निकल देना और हाँ प्लीज़ मेरा जूता साफ कर देना। डार्लिग मेरा गॉगल्स भी निकाल देना प्लीज़ । मेरे लिए परफूम ले आना,,,,। यार रुमाल में जरा कलफ किया करो,,,,,। ओहो मौजा मैचिंग नहीं है,,,,,,,। अरे यार प्लीज बाइक साफ़ करने वाले को फ़ोन करके डांट लगाना वो बाइक ठीक से साफ़ नहीं कर रहा है ।
बहुत देर होगयी है जल्दी करो नाश्ता टेबल पर लगा देना और हाँ टिफ़िन मत देना ऑफिस में ही लंच है ,,,,,,,,,,,,,,,,, वगैरह वगैरह और इन सारी फरमाइशों के दौरान बीच बीच में प्लीज़ ,डिअर ,डार्लिग की गुगली भी दे डालता। कोयल भाव विभोर हो कर दौडती भागती उसकी हर डिमांड पूरी करती।
इधर राज और शैली का प्यार परवान चढ़ने लगा था। दोनों ज्यादा से ज्यादा समय साथ बिताने लगे। ऑफिस में क्लाइन्ट से मिलने का बहाना कर वे अक्सर होटल में लंच कर कभी मूवी तो कभी शॉपिंग के लिए निकल जाते। शैली को शॉपिंग का बहुत शौख था। राज उसकी हर फरमाइश पूरी करता। घर पहुँच कर भी उसी के ख्यालों में खोया रहता। उसे गुमसुम देख कर कोयल पूछती ‘क्या बात है तबियत तो ठीक है न ‘ “अरे ऑफिस का बहुत टेंशन है ” कह कर उसे चुप करा देता।वह जानता था इसके बाद कोयल कोई सवाल नही करेगी बिल्कुल चुप होजाएगी।
इसी तरह अक्सर वह कोयल को उलटी सीधी बातों में उलझा कर अपनी मनमानी करता। कोयल उसकी हर बात को सच मान कर अपने बच्चे आतिश और शाहिल को भी हिदायत देती ” पापा बहुत परेशान है बेटे आप दोनों उन्हें तंग मत करना। चुप चाप जाकर सो जाना।” ”जी मम्मी ” कह कर दोनों बच्चे सोने चले जाते। दोनों बच्चे की परवरिश का जिम्मा पूरी तरह से कोयल का था। राज उनकी फीस देकर बाप होने का फर्ज अदा कर देता था। कोयल ने कभी राज से न कोई फरमाइश की, न कभी कोई जिद्द की वह हर हाल में खुश थी। बस एक ही तम्मना थी की राज खुश रहे। उसके इस व्यवहार ने राज को और लापरवाह बना दिया था।
आई सी यू में पड़ी कोयल की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। जिंदगी के दरवाजे पर मौत की दस्तक देख कर राज की घबराहट बढ़ रही थी। दोनों बच्चों को सीने से चिपकाये वह काँच से लगातार उसे देखे जारहा था , अनहोनी के डर से वह पलक झपकना भी भूल गया था। जिंदगी के इस रूप की उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी वैसे देखा जाये तो आज तो उसे खुश होना चाहिए था कि शैली और उसके बीच का ये रोड़ा हट रहा है पर आज न जाने क्यों कोयल से बिछड़ने के अहसास से ही वह थरथर काँप रहा था। उसकी आँखों से गंगा जमुना बह रही थी।
उसका मन कर रहा था चीखूँ चिलाऊँ ‘ कोयल उठ,,,,,,, मैं तेरे बिना नहीं जी पाउँगा उठ न,,,,,’ उसके आँखों के सामने हर वो पल ,हर वो लम्हा चल चित्र की भांति तैरने लगा। जब जब उसने कोयल से झूठ बोला करता था । जब जब उसने उसे धोखा दिया था। जब जब उसकी भावनाओं के साथ खेला था। उसकी आत्मा उसे कोस रही थी “यह तुम्हारी ही करनी का फल है ,तुम उसे छोड़ना चाहते थे लो आज वो ही तुम्हे छोड़ कर जा रही है ”
”नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,’ चीख पड़ा था राज, तभी फ़ोन की घंटी बजी ,शैली का फ़ोन था।
‘जानू कहाँ हो तुम ‘ शैली ने पूछा।
”मैं स्टार हॉस्पिटल में हूँ ‘
”क्यों, ,,,,क्या हुआ,,,,,,,,” शैली ने आश्चर्य से पूछा।
”कोयल को दिल का दौरा पड़ा है ” भारी आवाज में राज ने कहा।
‘ ओह , ये कोयल कौन है ?
” शी इज माई वाईफ ,शी इज इन डेन्जर ” रोते हुए राज ने कहा।
‘व्हाट ,,,,,,,,,,? आर यू मैरिड इडियट ,,,,,,,,’ चीख पड़ी थी शैली।
” हाँ मैं शादी शुदा हूँ और सुनो मेरे दो बच्चे भी है ” चीखते हुए राज ने कहा और फ़ोन पटक दिया ।
शैली गुस्से में फनफनाती हुई हॉस्पिटल पहुँची । वह राज को बहुत खरी खोटी सुनाना चाहती थी पर वहां पहुंच कर , वक़्त की नजाकत को देखते हुए उसने उस वक्त चुप रहना उचित समझा। राज टकटकी लगाए कोयल को देख रहा था।
उसे शैली के आने का अहसास तक नहीं हुआ। बिखरे बाल ,लाल लाल आँखें , शर्ट के ऊपर नीचे लगे बटन राज की ऐसी हालत देख उसका दिल पसीज गया। उसने राज का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा ‘डोन्ट वरी , सब ठीक हो जायेगा .” राज उसका हाथ पकड़ कर अपने माथे से लगाते हुए फ़बक फ़बक कर रो पड़ा ‘ आई कान्ट लीव विदाउट हर,,,,,,,,,,,,,,,, ‘ शैली फ़टी फ़टी आँखों से उसे देखरही थी। राज लगातार भगवान की मूर्ति के सामने खड़ा रोते हुए प्रार्थना कर रहा था ”भगवन मुझे उठा लो पर मेरी कोयल को ठीक कर दो। मेरे गुनाहों की इतनी बड़ी सजा मत दो भगवन ” शैली अवाक् थी, कल तक वो जिस राज से मिल रही थी, जो बार बार उसे गले लगा कर ”आई लव यु ,आई लव यू ‘ कहते नहीं थकता था। ”
मै तेरे बिना नहीं रह सकता शालू , हम जल्दी ही शादी कर लेंगे ,,,,,,,बेगैरह,,,,बेगैरह,,,, ।” वो असली राज था या वो जो आज उसके सामने खड़ा है।
जो कोयल के लिए पागलों की तरह आँसू बहा रहा है। शैली भावुक होगई , उसने राज को बाँहों में भरते हुए कहा ” राज मैं हूँ न तुम मुझसे शादी करना चाहते थे ,भगवान ने भी हमारी चाहत पर रजामंदी की मुहर लगा दी है, तभी तो वो कोयल को हमारी जिंदगी से दूर कर रहे है। ” राज ने तड़ाक से एक जोर दार थप्पड़ शैली के गाल पर जड़ दिया। गाल पकड़ कर शैली तिलमिला उठी चीखती हुई बोली ” तुमने मुझे मारा ,,,,,,,’
“हाँ मारा,,,,,, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कहने की ” चीखते हुए राज ने लाल लाल आँखों से घूरते हुए कहा। शैली हैरान थी क्या होगया है राज को , आखिर ऐसा क्या हुआ एक रात में जिसने राज के पुरे वजूद को ही बदल कर रख दिया था ।उसने राज को झझकोरते हुए कहा ” क्या होगया है तुम्हे , तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला और तुम्ही तो मुझसे शादी करना चाहते थे बोलो क्या हुआ ,,,बोलो,,,,” राज फबक – फबक कर रो पड़ा। ” मै मुर्ख था, मेरे लिए जिंदगी मौज मस्ती भरे खेल का दूसरा नाम था। मैंने कभी तुमसे प्यार किया ही नहीं, क्योकि मुझे प्यार करना आता ही नहीं है।
मैं कोयल को छलता रहा और वो कब मेरी आत्मा में, मेरे रोम रोम में बसती चली गयी मुझे पता ही नहीं चला । जिस दर्द की आग में मैंने कोयल को झोंक दिया था, आज मैं उस आग की तपिश में झुलस रहा हूँ। मैं बेशर्म, अय्याश ,कमीना इंसान ,हमेशा उसे बेवकूफ बनाता रहा , धोखा देता रहा पर उसने हर पल मुझसे सच्चा प्यार किया और आज मेरी वजह से ही उसकी ये हालत है । आज मेरा कमीना पन उसकी सादगी से हार गया।
उस सीधी साधी बेवकूफ औरत ने मुझे मेरी औकात दिखा दी कि उसके बिना मैं कितना अधूरा हूँ। ” उसने बात आगे बढ़ाते हुए कहा,,,,,,,, ”कल रात मैंने कोयल को तुम्हारे विषय में बताया था। सब कुछ जान कर वह गुमसुम हो गयी थी। उसकी तरफ देखने की मेरी हिम्मत नहीं थी। मैं अखवार मे मुँह गाड़े बैठा रहा और बोलता गया ” मै शैली से शादी करना चाहता हूँ पर यदि तुम चाहो तो तुम भी यहाँ रह सकती हो जैसे अभी तक रह रही थी।” वह एक टक मुझे देख रही थी।
उसकी आँखे फ़टी की फ़टी रह गयी थी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसके शरीर से जान निकाल ली हो। उसका चेहरा सफेद पर गया था। मै उसकी तरफ देखने का साहस नहीं जुटा पाया। वो बिना कुछ कहे कमरे से बाहर चली थी। काफी देर बाद वो आई थी,और धीरे से बोली ‘राज मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। तुम्हारी ख़ुशी के लिए ये एक जन्म क्या सैकड़ो जन्म कुर्बान कर सकती हूँ। तुम वही करो जिसमें तुम्हे ख़ुशी मिलती है। मैं कभी तुम्हारे रास्ते में नहीं आऊँगी।
बच्चों को मेरी माँ के पास छोड़ देना ,ताकि तुम शैली के साथ नया जीवन शुरू कर सको। मैंने आज तक तुमसे कुछ नहीं माँगा पर आज चंद सवालों का जवाब मांगती हूँ। राज आप शैली को कब से जानते है ? कोयल ने भरे गले से पूछा।
”दो सालों से ”
‘दो साल ,,,,,,,,दो साल से आप मुझसे झूठ बोलते आरहे है और मैं पागल आप के हर झूठ को सच मानती रही। उसकी किन बातों ने आप पर जादू कर दिया है । ” कोयल ने भरे गले से पूछा था ।
“उसकी सुंदरता ,उसके नखरे ,उसकी जिद ,उसकी अदा,वो हॉट है यार वो जानती है मर्दों को क्या चाहिए ” .मैं बेशर्म की तरह बोलता चला गया। वह नजरे झुकाए सुनती रही फिर धीरे से मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर बोली ” राज मैं कभी तुम्हे छोटा बनाना नहीं चाहती थी इसलिए बताया नहीं। तुम्हे पता है मेरे पापा बहुत बड़े बिसिनेस है ये फैशन , ये नखरे, ये जिद ,ये अदाएँ हमारे खून में है। पापा ने शादी के समय कहा था राज की तनख्वा ज्यादा नहीं है पर वह सीधा साधा इन्शान है । उससे कभी किसी चीज की डिमांड कर उसे परेशान मत करना, जो चाहिए मुझसे मांग लेना। मैने पापा से प्रॉमिस करते हुए कहा था पापा, आपने बचपन से हमारी हर इक्छा पूरी की है ,बहुत प्यार दिया है।
अब मैं ससुराल जा रही हूँ , मेरी जिंदगी राज से जुड़ रही है वो जैसा रखेगा मैं वैसे रहूंगी। कभी कोई डिमांड नहीं करुँगी। मैंने अपनी कसम पूरी करने की हर संभव कोशिश कि पर तुम्हें पाने की ,तुम्हें खुश रखने कि कश्मकश में मैंने तुम्हें ही खो दिया । मैं सन 2010 में मिस इलाहाबाद चुनी गयी थी ,जहाँ तुमने मुझे देखा था। तुम्हारा घर आना और सादगी से प्रपोज़ करना पापा को भा गया था। उनके जिंदगी का उसूल था ”सदा जीवन उच्चविचार”। उन्होंने हमे यही संस्कार दिया है । राज जिंदगी में एक बात का हमेशा ध्यान रखना ” हमारी आवारा इक्छाएं उन्मादित लहरों की तरह होती है और लहरों पर घर नहीं बसाये जाते , घर बनता है समतल शांत धरातल पर”।
बस तुम अपना ध्यान रखना ” कहते हुए उसकी आँखे छलक आई थी। वह चुप चाप उठी और उठ कर बच्चों के कमरे में चली गयी। उसकी बात सुन कर मैं अवाक् रह गया था । मै सच मे ये तो भूल ही गया था ,अथाह समुद्र से निकाल कर मैंने उसे लोटे में रख दिया था। वह उसी को अपना संसार समझ कर खुश थी। मैं खुद में इतना मस्त रहा कि कभी यह भी जानने की कोशिश नहीं की वह क्या चाहती है । उसके एक एक शब्दों ने मुझे अंदर तक कुरेद दिया था । मेरी हिम्मत नही हुई उसका सामना करने की । मैंने चुप रह कर इस समस्या का हल वक़्त पर छोड़ देना ही उचित समझा और सो गया । मेरे लिए ये सब बहुत आसान था पर कोयल के लिए ये आसान नहीं था।
कोयल मुझसे टूट कर प्यार करती थी और औरत जब किसी से प्यार करती है तोअपने प्यार के लिए सब कुछ बर्दास्त कर सकती है पर किसी दूसरी औरत की छाया तक वो बर्दास्त नहीं कर सकती। इन बातों से अनजान मैंने तो सीधे उसे मौत की सजा सुना दी थी। सुबह देखा तो कोयल बेहोश थी मुँह से झाग निकल रहा था। हाथ में मंगल सूत्र पकड़ रखा था। वक़्त ने अपना फैसला सुना दिया था। हकीकत से टकरा कर जब मुझे को होश आया तो कोयल की बिखरी साँसों को समेटने की भरपूर कोशिश की पर जिंदगी सबों को दूसरा मौका नहीं देती है। काश मैं रात को उसके साथ होता।
उसके दामन में आग लगा कर मैं चैन की नींद सोता रहा । सच कहते है ”जिन्दगी से कभी मजाक मत करना , वरना जिंदगी तुम्हे मजाक बना कर रख देगी।” कहते हुए राज बिलख पड़ा। कोयल साँसों के समन्दर में हिचकोले खाते खाते सॉसों की डोर थम सी गयी थी। शांत हो गया था का शरीर। डॉकटर के लाख कोशिशों करने के बावजूद भी कोयल कोमा में चली गयी थी। थम सा गया था जीवन का एक अध्याय। शांत चित पड़ी कोयल को अब जिन्दगी से कोई शिकायत नहीं थी।
वह सारी रात दुःख ,दर्द और अपमान के ज्वालामुखी में झुलसती रही थी । तिनका_ तिनका जोड़ कर सजाया था उसने अपना आशियाना, बस एक आंधी का झोंका आया और पल भर में ही सब कुछ धराशाई होगया। रात भर बिखरे तिनकों को समेटती रही क्या ,,,कब ,,,,, क्यो,,, कैसे,, में उलझती रही ।सुबह होते होते ये दर्द दिल का नासूर बन गया।
अपने दर्द को अपने अंदर ही दफन करने की कश्म कश में उससे लड़ते _लड़ते वह हार गयी थी। अपने ,पराये ,आस _पड़ोस, सब हैरान थे कि ये अचानक क्या हो गया। अपनी प्रिय जगत जननी की ये दशा देख सबो के आँखों से दुःख का सैलाब फुट पड़ा था। कोयल के सारे अंग शिथिल पड़ गए थे। उसकी अधखुली पथराई आँखे राज की आत्मा को खंजर की तरह भेद रही थी। राज उससे लिपट कर पागलों की तरह चीखता रहा ‘ नहीं ,,,,,,,,,,,,,तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती। मैं तुम्हारे बिना नहीं जी,,,,,, पाउँगा,,,,,,,,,कोयल,,,,,कुछ तो बोलो,,,,प्ल्ज़ बोलो,,,,,,
पर उसके दुःख पर दुखी होने वाला अब कोई नहीं था। कोयल के पथराये चेहरे पर विजयी मुस्कान थी। वह हार कर भी जीत गयी थी। लुटा _लुटा सा राज दो दिन में ही मुरझा सा गया था। शैली अपना आक्रोश भूल कर उसे संभालने की कोशिश कर रही थी पर राज ने उसे हाथ जोड़ कर मना करते हुए कहा ” मुझे माफ़ कर दो और यदि सच में तुम मेरी सहायता करना चाहती हो कभी मेरे सामने मत आना , तुम्हारा चेहरा मेरी बेबफाईयों का वो दर्पण है। जिसे देख कर मैं पल पल हजार मौत मरता रहूँगा ।
प्लीज़ यहाँ से चली जाओ ” शैली की आँखे नम थी ।वह सोच कर आई थी चार खरी खोटी सुना कर वह राज से सारे रिश्ते तोड़ लेगी पर राज की हालत देख कर उसका दिल पसीज गया था । वह राज से प्यार करती थी उससे अलग होना नही चाहती थी पर अब राज को अकेला छोड़ना ही प्रेम की पूर्णाहुति थी । वह उठ कर बाहर चली गयी ।कोयल ने जाते जाते शैली को यह अहसास दिला दिया था ” प्यार देने का नाम है पाने का नहीं”
राज बिलकुल बदल गया था। समय के अन्तराल राज को देख कर पहचानना मुश्किल था। बढ़ी दाढ़ियों के और लम्बे बालों के बीच झाँकता एक गंभीर भावहीन चेहरा। बालों की लम्बी चुटिया जिस पर रबर लगे थे। ढीले ढाले कपड़े ,पाँव में हवाई चप्पल। हमेशा गुम शूम शान्त मानों जिंदगी से अब उसका कोई नाता ही न हो।
दोनों बच्चों की परवरिश ही उसका धर्म हो गया था।वह रोज बच्चों को स्कुल भेज कर कोयल के लिए खाना पैक करता और हस्पताल जाकर कोयल को नहलाता धुलाता ,उसके बाल संवारता ,उसे अपने हाथों से खिलाने की कोशिश करता पर कोयल सभी भावनाओं से परे पत्थर की बेजान मूरत की तरह पड़ी थी और उसकी सुनी आँखे छत पर टिकी रहती। उसकी मृत्य सदृश्य काया में सिर्फ साँसों की पतली सी डोर ही थी जो जीवन का अहसास कराती थी। उन साँसों को न जाने किसका इंतजार था।
जीवन में कई बार हम उस प्यार का अहसास तक नहीं कर पाते है जो हमारा जीवन है। जिंदगी में आती जाती दुःख सुख की लहरें ही हमारे अस्तित्व से हमारा असली परिचय करा जाती है। कोयल जिंदगी की इस सच्चाई से वाकिफ थी। इसलिए उसने खुद को समेटे रखा था पर राज इस बात से अनजान था कि जमीन की धूल हवाओं का दामन थाम कर कितनी भी ऊंची उड़ान भर ले, गिरना उसे जमीं पर ही है। यह बात जब उसे समझ आई तब तक सब कुछ बिखर चूका था। जिंदगी की खूबसूरती सीमाओं में बंध कर है। सीमा लाँघती हमारी इक्छाएं , हमारी चाह्तें , हमारी लापरवाहियाँ, हमारा उन्माद सागर की उन भयानक लहरों की तरह है जो जब भी किनारे से टकराती है जमीं का बहुत बड़ा हिस्सा काट ले जाती है।
” प्यार इस सृष्टि का सबसे अनमोल तोहफा है ”
प्यार के बिना जीवन का कोई मोल नही ।
लेखिका – मंजू भारद्वाज (कृष्ण प्रिया)
स्वरचित
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