विधान सभा चुनाव 2024 : झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। परंतु हम देख सकते हैं कि विगत कई चुनावों की भांति इस चुनाव में भी जनता के मुद्दे गायब है। मोदी सरकार ने श्रम कानून में संशोधन कर मजदूरों के सारे अधिकार यहां तक कि 8 घंटा काम का अधिकार को भी छीन लिया परंतु इसके खिलाफ विपक्षी गठबंधन की ओर से न तो कोई आंदोलन और न ही कोई बयान जारी किया जा रहा है।
वन कानून में संशोधन करके झारखंड के वनों से लाखों की संख्या में आदिवासियों को विस्थापित करने का कानून मोदी सरकार ने बना दिया है परंतु विपक्षी गठबंधन मौन है। मोदी सरकार ने हर स्तर पर यहां तक केन्द्रीय सरकार के नौकरियों में भी ठेका श्रमिकों की नियुक्ति शुरू कर दी है, स्थायी नौकरी को तेजी से खत्म किया जा रहा है, बेरोजगारी बढ़ानेवाली नीतियों को तेजी से लागू की जा रही है परंतु विपक्षी गठबंधन मौन है।
दरअसल जिन नीतियों के विरोध से इस देश के पूंजीपतियों को नुकसान हो सकता है उन नीतियों का विरोध न तो भाजपा नेतृत्वाधीन एनडीए गठबंधन कर सकता है और न ही कांग्रेस-झामुमो नेतृत्वाधीन इंडिया गठबंधन कर सकता है। क्योंकि इन गठबंधनों में शामिल सभी पार्टियां पूंजीपतियों से करोड़ों का चंदा लेते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में हुए खुलासे ने बहुत कुछ साफ कर दिया है। क्या बड़े-बड़े कॉर्पोरेट घरानों से चंदा लेनेवाली पार्टियां झारखंड में जल-जंगल-जमीन की कॉर्पोरेट लूट के खिलाफ आवाज उठा सकती है? नहीं। इसलिए झारखंड में हो रही इस लूट के खिलाफ कोई मुकम्मल आवाज नहीं दिखती है, झारखंड विधान सभा में कभी इन मुद्दों पर चर्चा नहीं होती है।
जेबीकेएसएस जैसा कुछ संगठन हाल ही में बना है जिनका एक ही मुद्दा है स्थानीय लोगों के लिए नौकरी की मांग। परंतु क्यों पूरे देश में और झारखंड में नौकरियां खत्म हो रही है, क्यों झारखंड में हजारों कल-कारखाने बंद पड़े हैं, क्यों न्यूनतम मजदूरी से कम वेतन में लाखों मजदूरों से काम लिया जा रहा है, इस विषय में ये संगठन मौन है।
अभी राजनीति हो रही है गो गो दीदी योजना बनाम मईया योजना को लेकर। क्या इससे झारखंड का विकास होगा? आम जनता को चाहिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास, सड़क, बिजली।
परंतु इन मामलों में झारखंड लगातार पिछड़ता ही जा रहा है। पिछले 24 साल में राज्य में बारी बारी से भाजपा और कांग्रेस-झामुमो की सरकार बनी है। परंतु सभी ने झारखंड को पीछे धकेलने का काम किया है, झारखंड को लूटखंड में तब्दील किया है। और अब चुनाव आते ही लोगों को कुछ हजार रुपया देकर मुख्य मुद्दा से ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है। झारखंड के किसानों को फसलों का दाम चाहिए, मजदूरों को रोजगार और मेहनत का सही दाम चाहिए, सरकार से कोई दान नहीं चाहिए। हमारी पार्टी एस यू सी आई (कम्युनिस्ट) इन्हीं मुद्दों को लेकर लगातार जनांदोलन संगठित करती आई है।
आज पूंजीपतिपरस्त पार्टियों की इस भ्रष्ट राजनीति के खिलाफ जनांदोलन ही एकमात्र विकल्प है। हम देख सकते हैं कि किस तरह से विभिन्न पार्टियों की ओर से टिकट की घोषणा होते ही एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने की होड़, गुटबाजी, हंगामा हो रहा है। क्या यह सब झारखंड के विकास के लिए हो रहा है? सिर्फ लूट खसोट के लिए ही इतनी मारामारी और प्रतिस्पर्द्धा। उसके विकल्प में हमारी पार्टी की ओर से झारखंड में उन्हीं उम्मीदवारों को खड़ा किया गया है जो उम्मीदवार जनांदोलन के तपे तपाए अनुभवी समर्पित योद्धा हो। जिनका जीवन शोषित पीड़ित जनता के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने में समर्पित हो, व्यक्गित जीवन में ईमानदार और बेदाग हो।
हम झारखंड की जनता से अपील करते हैं कि हमारी पार्टी के उम्मीदवारों को जीताएं। साथ ही साथ हम वामपंथी संगठनों से भी अपील करते हैं कि कांग्रेस-झामुमो गठबंधन जो कि कॉर्पोरेटपरस्त नीतियां अपनाकर चल रही है, उससे बाहर आए और राज्य में एक मजबूत वामपंथी गठबंधन तैयार करें और जनता के सामने एक विकल्प प्रस्तुत करें। हमारी पार्टी हमेशा से वामपंथी एकजुटता की पहल करती आई है। वामपंथी पार्टियों से हमारा निवेदन है कि हमारे उम्मीदवारों को अपना भरपूर समर्थन दें।
_उम्मीदवारों की सूची_
1. हटिया निर्मला शर्मा
2. गोड्डा : राजू कुमार
3. पाकुड़ संजय कालिंदी
4. घाटशिला: दिकू बेसरा
5. पोटका बिजन सरदार
6. जमशेदपुर (पश्चिम) बिपिन मंडल
7. बहरागोड़ा: हरप्रसाद सिंह सोलंकी
8. सरायकेला : रतना पूर्ति
9. इचागढ़ : आशुदेव महतो
10. चाईबासा चंद्रमोहन हेम्ब्रम
11. भवनाथपुर अजय सिंह
12. झरिया अनिल बाउड़ी
13. चंदनकियारी: राजू रजवाड़
14. बोकारो रमेश चंद्र महतो