वाराणसी | उत्तर प्रदेश
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम को ज्ञानवापी के सर्वे में 55 मूर्तियां मिलीं हैं साथ ही 15 शिवलिंग मिलें हैं जो साक्ष्य है की वहां मस्जिद से पहले एक मंदिर था। सर्वे के दौरान वहां विभिन्न काल के 93 सिक्के भी मिले हैं। यही नहीं, वहां पत्थर की मूर्तियों के साथ ही विभिन्न तरह की धातु और टेराकोटा से बने घरेलू प्रयोग में की जाने वाली 259 सामग्रियां एवं बर्तन मिले हैं। बता दने की वाराणसी के ज्ञानवापी मामले की सुनवाई कर रहे जिला न्यायाधीश को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी सर्वे रिपोर्ट सौंप दी है।
वहीँ हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए कहा है की – जीपीआर सर्वे पर ASI ने कहा है कि यहां पर एक बड़ा भव्य हिन्दू मंदिर था और ढांचे यानी मस्जिद के पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था।ASI की सर्वे रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 से ज्यादा प्रमाण मिलने की बात कही गई है। बताया गया है कि 32 ऐसे शिलालेख मिले हैं जो पुराने हिंदू मंदिरों के हैं। ASI की रिपोर्ट कहती है कि हिंदू मंदिर के खंभों को थोड़ा बहुत बदलकर नए ढांचे के लिए इस्तेमाल किया गया।
रिपोर्ट में दर्ज एवं जीपीआर सर्वे की मुख्य बातें
रिपोर्ट के अनुसार जीपीआर सर्वे में यह बात स्पष्ट हो चुकी है की ज्ञानवापी एक मंदिर था। सर्वे के दौरान वहां एक ऐसा पत्थर मिला है, जिस पर राम नाम लिखा है।
सर्वे के दौरान मिलें 93 सिक्के
ASI टीम को सर्वे के दौरान मुगल काल, अंग्रेज सहित अन्य समय काल के कई चिह्न और सिक्के मिलें हैं। जिसमें शाह आलम और सिंधिया काल के सिक्के (एक और 25 पैसे), विक्टोरिया महारानी, विक्टोरिया रानी, धीरम खलीफा, किंग चार्ज सहित अन्य काल के सिक्के शामिल हैं। ASI ने कुल मिलकर 93 सिक्के जुटाए हैं।
बता दें की ASI की 176 सदस्यीय टीम ने ज्ञानवापी परिसर का जो सर्वे किया था, उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। रिपोर्ट में ज्ञानवापी को एक बड़ा हिंदू मंदिर बताया गया है और इसमें 32 मुख्य हिंदू स्थलों का जिक्र किया गया है।
मुख्य गुंबद के नीचे बेशकीमती पन्नानुमा टूटी कीमती धातु मिली है। इसे मुख्य शिवलिंग बताया जा रहा है। इस स्थान पर खनन और सर्वे की बात कही गई है। शिवलिंग के साथ शिव परिवार भी मिलें हैं जिसमें नंदी, गणेश की मूर्तियां शामिल हैं।
सर्वे के दौरान मिले मूर्तियों के निशान
मंदिर के प्रमाण के साथ ही मिली हैं – कृष्ण, विष्णु, हनुमान, द्वारपाल, नंदी, मकर, पुरुष और मन्नत तीर्थ सहित अन्य कई विग्रह।
ASI ने टेरोकोटा की 23 मूर्तियां, 2 स्लिंग बॉल, एक टाइल्स, एक डिस्क, देवी-देवताओं की दो अन्य मूर्तियां, 18 मानव की मूर्तियां, तीन जानवर सहित अन्य मूर्ति को साक्ष्य के तौर पर प्राप्त किया है। साथ ही सर्वे टीम ने 113 धातु की सामग्रियां भी प्राप्त की हैं। जिनमें लोहे की 16, तांबा की 84, एल्युमिनियम की 9, निकेल की तीन और एलॉय की एक सामग्री खोजी है।
सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में मिले पत्थर से निर्मित विग्रह दो हजार वर्ष पुरानी है, जिनमें शामिल हैं :
- शिवलिंग 15
- विष्णु 3
- मकर 1
- कृष्ण 2
- गणेश 3
- हनुमान 5
- द्वारपाल 1
- नंदी 2
- अपस्मार पुरुष 1
- मन्नत तीर्थ 1
- विग्रह के टुकड़े 14
- मिश्रित मूर्ति 7
विग्रह और धार्मिक चिह्नों की उम्र दो हजार वर्ष पुरानी बताई जा रही है।
ASI की सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी की दीवारों सहित कई स्थानों पर मिले विग्रह और धार्मिक चिह्नों की विधिवत जांच की गई। जाँच जीपीआर सहित अन्य आधुनिक तकनीक से की गयी है। जाँच में कुछ चिह्नों की उम्र 2000 वर्ष से भी अधिक पुरानी बताई गयी है। ASI की सर्वे रिपोर्ट में प्राप्त प्रत्येक चिह्न को विवरण के साथ प्रस्तुत किया है।
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चार भाग में है ASI की सर्वे रिपोर्ट
ज्ञानवापी सर्वे की ASI रिपोर्ट चार भागों में की गयी है।
- पहले भाग में 137 पेज हैं। इसमें स्ट्रक्चर और ब्रीफ फाइडिंग ऑफ सर्वे रिपोर्ट है।
- दूसरे भाग में पेज संख्या 1 से 195 तक साइंटिफिक सर्वे की रिपोर्ट है।
- तीसरे भाग में पेज नंबर 204 पर बरामद वटु का जिक्र है और
- चौथे भाग में तस्वीर व डायग्राम हैं, जो 238 पेज में है। साथ ही एक हजार फोटोग्राफ भी हैं।