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पश्चिम बंगाल में गिरती कानून व्यवस्था और पहचान कर केवल हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में आया विश्व हिंदू परिषद् धर्मप्रसार

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जमशेदपुर 22 फरवरी, 2024 : पश्चिम बंगाल में गिरती कानून व्यवस्था और पहचान कर केवल हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और मूलभूत अधिकारों के हनन संग नारी शक्ति संग हो रहे व्याभिचार के बाबजूद मौन व्यवस्था के विरुद्ध वहा के सरकार को बर्खास्त करने एवम राष्ट्रपति शासन की मांग करते हुऐ विश्व हिंदू परिषद् धर्मप्रसार के नेतृत्व में आज शहर के हिंदू समाज ने राष्ट्रपति महोदया को एक ज्ञापन उपायुक्त महोदय के माध्यम से भेजवाया।

पश्चिम बंगाल में गिरती कानून व्यवस्था, हिंदुओं पर अत्याचार और मूलभूत अधिकारों का हनन, नारी शक्ति का अपमान, तथा मौन व्यवस्था के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन और राष्ट्रपति शासन की मांग।


माननीय राष्ट्रपति महोदया,


हम, पश्चिम बंगाल के हिंदू समाज, आज आपके समक्ष एक गंभीर चिंता के साथ उपस्थित हैं। पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था लगातार गिर रही है, और हिंदुओं पर अत्याचार और उनके मूलभूत अधिकारों का हनन एक चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है।


हमारी चिंता के मुख्य बिंदु:



  • हिंदुओं पर अत्याचार: पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं। हत्या, बलात्कार, लूटपाट, और धमकी जैसे अपराधों का सामना हिंदू समुदाय नियमित रूप से कर रहा है।

  • मूलभूत अधिकारों का हनन: हिंदुओं को धार्मिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और समानता जैसे मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।

  • नारी शक्ति का अपमान: पश्चिम बंगाल में महिलाओं, विशेष रूप से हिंदू महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हुई है। बलात्कार, यौन उत्पीड़न, और अपहरण जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं।

  • मौन व्यवस्था: राज्य सरकार इन अपराधों पर रोक लगाने में विफल रही है। अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है, और कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।


हमारी मांग:


हम पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की घोषणा की मांग करते हैं। यह एकमात्र तरीका है जिससे राज्य में कानून व्यवस्था बहाल हो सकती है और हिंदुओं को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।


हमारे प्रतिनिधि मंडल:


इस ज्ञापन को विश्व हिंदू परिषद् धर्मप्रसार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल द्वारा प्रस्तुत किया गया है। प्रतिनिधि मंडल में शामिल हैं:



  • श्रीमती साई पद्मजा, धर्मप्रसार जिला प्रमुख

  • विवेक सिंह, सह प्रमुख

  • हर्ष यादव, धर्म यात्रा महासंघ प्रमुख

  • चंद्रशेखरजी, परावर्तन सह प्रमुख

  • दिलीप जी, परियोजना सह प्रमुख

  • वंदनाजी, विहिप मातृशक्ति जिला सह प्रमुख

  • आदित्य जी, नगर मंत्री

  • अभिषेक जी, सह मंत्री

  • शुभम जी, बजरंगदल नगर संयोजक

  • विशाल जी

  • उदित जी

  • सनोज जी


हम आपसे अनुरोध करते हैं कि हमारी मांगों पर गंभीरता से विचार करें और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करें।


धन्यवाद।


हिंदू समाज, पश्चिम बंगाल

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रामनवमी पर सरिया में उमड़ा आस्था का सैलाब, पत्रकारों को मिला “पुलिस मित्र” का सम्मान 

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गिरिडीह : सरिया प्रखंड में इस वर्ष रामनवमी का पर्व आस्था, उत्साह और भाईचारे का प्रतीक बनकर सामने आया। ठाकुर बड़ी और महावीर मंदिर से निकली भव्य शोभायात्रा ने सरिया की गलियों को भगवा रंग में रंग दिया। चंद्रमारनी, बड़की सरिया, बलीडीह जैसे गांवों से हजारों श्रद्धालु “जय श्रीराम” के नारों के साथ शामिल हुए। जगह-जगह श्रद्धालुओं के लिए शरबत, चना और पानी की निःशुल्क व्यवस्था रही, जिससे श्रद्धालुओं को काफी राहत मिली।

प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था को बखूबी संभाला और किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई। हालांकि बिरनी प्रखंड के दलांगी गांव में मुस्लिम समुदाय के विरोध के चलते महावीर झंडा यात्रा नहीं निकल सकी, जिससे स्थानीय श्रद्धालुओं में मायूसी देखी गई।

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इस बार गिरीडीह पुलिस ने एक सराहनीय पहल करते हुए सरिया के कुछ पत्रकारों को “पुलिस मित्र” के रूप में सम्मानित किया। इसमें “द न्यूज़ फ्रेम” के गिरिडीह कोर्डिनेटर सह संवाददाता श्री संतोष कुमार तरवे को भी यह गौरव प्राप्त हुआ। इस सम्मान के लिए “द न्यूज़ फ्रेम” की पूरी टीम उन्हें हार्दिक बधाई देती है एवं उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।

🌟 रामनवमी 2025 ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सरिया की धरती आस्था और एकता का मजबूत प्रतीक है।

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वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद कथित सेक्युलर चेहरों से उतर गया नकाब : सुधीर कुमार पप्पू

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सुधीर कुमार पप्पू

जमशेदपुर। मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित करवा लिया है, जिसके बाद देश की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तथाकथित सेक्युलर चेहरों की असलियत अब जनता के सामने आ चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम समाज को धोखा देने वाले नेताओं को अब आगामी चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में असंतोष बढ़ा है और मुस्लिम नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को भी इसका नुकसान होगा। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा भाजपा को समर्थन देना भी उनके लिए महंगा साबित हो सकता है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय अब उन्हें समर्थन नहीं देगा।

पप्पू ने आरोप लगाया कि यह विधेयक एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है जिसके जरिए मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है ताकि उन्हें पूंजीपतियों को सौंपा जा सके। उन्होंने कहा कि यह विधेयक गैर संवैधानिक है और इसकी वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। पूरे देश में इसके खिलाफ आंदोलन का माहौल बनता जा रहा है जो आने वाले समय में मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।

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कानूनी दृष्टिकोण से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 के पक्ष और विपक्ष में तर्क:

इस विधेयक को लेकर सरकार का तर्क है कि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का माध्यम है। विवादित संपत्तियों के निर्धारण, वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए इसमें कई प्रावधान जोड़े गए हैं। साथ ही, गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करने से समुदायों के बीच समरसता को बढ़ावा मिलेगा।

वहीं दूसरी ओर, इसके विरोध में यह कहा जा रहा है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 14, 15 और 300A का उल्लंघन करता है। विशेष रूप से धारा 3E (Section 3E) को लेकर गंभीर आपत्ति जताई गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि यह प्रावधान अनुसूचित जनजातियों के उन सदस्यों को वक्फ के रूप में संपत्ति समर्पित करने के अधिकार से वंचित करता है जो इस्लाम धर्म अपना चुके हैं। अनुसूचित जातियों के विपरीत, अनुसूचित जनजातियों के सदस्य धर्म परिवर्तन के बाद भी अपनी जनजातीय पहचान नहीं खोते। ऐसे में इस्लाम अपनाने वाले जनजातीय व्यक्ति मुसलमान भी माने जाते हैं, परन्तु इस संशोधन द्वारा उन्हें अपने धर्म के एक आवश्यक अंग का पालन करने से रोका जा रहा है, जो कि अनुच्छेद 25 और 26 के तहत उनके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

यह प्रावधान अनुच्छेद 14 और 15 का भी उल्लंघन करता है क्योंकि यह धर्म के आधार पर अनुसूचित जनजातियों के बीच और जनजातीय मुसलमानों के बीच भेदभाव करता है। इसके अतिरिक्त यह अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकार को भी अप्रभावी बनाता है। इस प्रकार, यह संशोधन मनमाना, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है तथा इसे रद्द किया जाना चाहिए।

निष्कर्षतः, वक्फ संशोधन विधेयक एक संवेदनशील और बहुआयामी विषय है जो धार्मिक अधिकार, अल्पसंख्यक संरक्षण और प्रशासनिक सुधार – तीनों के बीच संतुलन की मांग करता है। इसे केवल राजनीतिक चश्मे से नहीं बल्कि संविधान और न्यायिक समीक्षा की कसौटी पर परखा जाना चाहिए।

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रोटरी क्लब वेस्ट ने आयोजित किया प्रेरणादायक पर्यावरण जागरूकता सत्र, डॉ. विक्रांत तिवारी ने साझा किए अनुभव

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जमशेदपुर : रोटरी क्लब वेस्ट जमशेदपुर द्वारा मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल के प्रेक्षागृह में एक प्रेरणादायक पर्यावरण जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे प्रख्यात पर्यावरणविद् और सामाजिक उद्यमी डॉ. विक्रांत तिवारी, जिन्होंने अपने दो दशक से अधिक के कार्य अनुभव के आधार पर युवाओं और शिक्षकों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित किया।

डॉ. तिवारी का प्रेरणास्पद संदेश

आईआईएम कलकत्ता और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र डॉ. तिवारी ने बताया कि उन्होंने अब तक 17 मिलियन से अधिक पेड़ों का रोपण करवाया है और कई एनजीओ को संसाधन जुटाने में सहायता प्रदान की है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम न केवल हरित भारत की कल्पना को साकार कर रही है, बल्कि आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ावा देकर सतत विकास की दिशा में भी कार्य कर रही है।

डॉ. तिवारी ने छात्रों को बताया कि “पर्यावरण संरक्षण कोई विकल्प नहीं, बल्कि यह अब हमारी अनिवार्य जिम्मेदारी बन चुकी है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर छोटे लेकिन असरदार कदम उठाने होंगे।”

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विद्यालय प्रबंधन की सक्रिय भागीदारी

इस कार्यक्रम की सफलता में स्कूल प्रबंधन समिति, विशेष रूप से प्राचार्या श्रीमती संगीता सिंह, उप प्राचार्या और समन्वयक शिक्षकों की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। उन्होंने छात्रों को न केवल आयोजन से जोड़ा, बल्कि पर्यावरणीय चेतना को व्यवहार में उतारने का संदेश भी दिया।

रोटरी क्लब की प्रतिबद्धता

रोटरी क्लब वेस्ट की यह पहल संगठन की स्थिरता, हरित भविष्य और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को दर्शाती है। क्लब ने इस सत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि वे न केवल समाज सेवा में, बल्कि पर्यावरण संरक्षण जैसे संवेदनशील विषयों पर भी जागरूकता बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

छात्रों में दिखा उत्साह

सत्र के दौरान छात्रों ने पर्यावरण से जुड़ी जिज्ञासाओं को खुलकर साझा किया और डॉ. तिवारी से मार्गदर्शन प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में “प्रकृति से संवाद” विषय पर एक लघु प्रस्तुति ने सभी को भावुक और जागरूक कर दिया।

यह आयोजन न केवल एक जागरूकता अभियान था, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत भी बना, जो भावी पीढ़ी को हरित और टिकाऊ भारत के निर्माण की दिशा में सोचने और कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

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