झारखंड
शहर में लगा 144 : लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा के पश्चात धारा 144 के तहत जारी निषेधाज्ञा

जिला निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देशानुसार अनुमंडल पदाधिकारी घाटशिला एवं धालभूम ने तत्काल प्रभाव से अनुमंडल क्षेत्र में धारा 144 के तहत जारी की निषेधाज्ञा
जमशेदपुर : लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा के पश्चात जिला निर्वाचन पदाधिकारी श्री अनन्य मित्तल के निर्देशानुसार अनुमंडल पदाधिकारी घाटशिला एवं अनुमंडल पदाधिकारी धालभूम ने अनुमंडल क्षेत्र में तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा जारी की है। इस संबंध में उन्होंने जारी आदेश में कहा कि लोक सभा निर्वाचन 2024 की घोषणा दिनांक- 16.03.2024 को कर दी गई है तथा घोषणा की तिथि से ही आदर्श आचार संहिता प्रभावी है। निष्पक्ष चुनाव हेतु स्वस्थ और शांतिपूर्ण माहौल बनाये रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की समाप्ति होने तक अथवा अधिकतम 80 दिनों तक जो भी पहले हो, दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के सम्पूर्ण घाटशिला अनुमंडल एवं धालभूम अनुमण्डल क्षेत्र अंतर्गत में निषेधाज्ञा आदेश जारी करते हुए निम्नांकित आदेश जारी किया गया है-
1. किसी भी व्यक्ति/राजनैतिक दल/संगठन / उम्मीदवार / अभ्यर्थी के द्वारा राजनैतिक प्रयोजन से संबंधित किसी भी प्रकार की सभा, जुलूस, धरना या किसी भी प्रकार का प्रदर्शन बिना सक्षम पदाधिकारी के पुर्वानुमति के आयोजित नहीं किया जाएगा। जुलूस में किसी भी व्यक्ति के पास किसी भी प्रकार का धारदार हथियार (अस्त्र एवं शस्त्र) जो मानव शरीर के लिए घातक हो, को लेकर चलने पर प्रतिबंध लगाया जाता है।
2. The Jharkhand Control of the Use and Play of Loundspeakers Act, 1995 के अन्तर्गत ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग रात्रि 10.00 बजे से प्रातः 6.00 बजे तक वर्जित रहेगा।
3. किसी सार्वजनिक / सरकारी सम्पत्ति पर नारा लिखाना, पोस्टर/पैम्पलेट चिपकाना, पार्टी विशेष का झण्डा लगाना, सार्वजनिक सड़को पर बैनर लगाना, होर्डिंग लगाना एवं तोरण द्वारा लगाने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। उक्त प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्तियों पर Prevention of Defacement of Property Act-1987 के सुसंगत प्रावधानों के तहत् कार्रवाई की जायेगी।
4. किसी भी व्यक्तिगत सम्पत्ति पर बिना सम्पत्ति मालिक की लिखित अनुमति के नारा लिखना, पोस्टर, पैम्पलेट चिपकाना, पार्टी विशेष का झण्डा लगाना तथा होर्डिंग लगाना प्रत्तिबंधित किया जाता है।
5. भारतीय दण्ड संहिता में परिभाषित किसी भी अपराध करने तथा शांति भंग करने के उद्देश्य से पाँच या उससे अधिक व्यक्ति किसी भी स्थान पर एकत्रित नहीं होंगे।
6. कोई भी व्यक्ति/राजनैतिक दल/संगठन / उम्मीदवार/अभ्यर्थी ऐसे किसी प्रकार का पोस्टर, पर्चा, आलेख, फोटो का प्रयोग नहीं करेगा जो किसी व्यक्ति/समुदाय/धर्म/जाति की भावनाओं को आहत करता हो, तथा इससे आदर्श आचार संहिता उल्लंघन होता हो।
7. कोई भी व्यक्ति अथवा राजनैतिक दल या संगठन, उम्मीदवार/अभ्यर्थी किसी व्यक्ति विशेष के विरुद्ध ऐसे किसी आपत्तिजनक टिप्पणी, विधि विरुद्ध संदेष का प्रयोग व्हाटसएप/फेसबुक/ट्विटर / इंस्टाग्राम अथवा सोशल मीडिया पर या किसी भी तंत्र पर नहीं करेंगे, जिससे किसी की व्यक्तिगत/मानसिक/धार्मिक/जातीय भावनाएं आहत होती हो तथा जिससे चुनाव संबंधी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होता हो। उक्त का उल्लंघन करने की स्थिति में संबंधितों पर सुसंगत प्रावधानों के तहत् कार्रवाई की जायेगी।
8. कोई भी व्यक्ति/राजनैतिक दल/संगठन / उम्मीदवार / अभ्यर्थी किसी धार्मिक स्थल का प्रयोग राजनैतिक प्रचार के लिए नहीं करेंगे एवं साम्प्रदायिक भावना को भड़काने का कार्य नहीं करेंगे।
9. कोई भी व्यक्ति/राजनैतिक दल/संगठन/उम्मीदवार /अभ्यर्थी मतदाताओं को डराने, धमकाने का कार्य नहीं करेंगे और ना ही किसी भी मतदाता को प्रलोभन में लाने का प्रयास करेंगे।
10. सरकारी स्वामित्व वाले गेस्ट हाउस, भवन का कोई भी हिस्सा किसी भी राजनैतिक गतिविधियों/सभा/बैठक के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा।
11. किसी राजनैतिक दल अथवा अभ्यर्थी अथवा अन्य किसी व्यक्ति के द्वारा ऐसा कोई कार्य नहीं किया जायेगा, जिससे विभिन्न जातियों या धार्मिक या भाषाई समुदायों के बीच घृणा की भावना उत्पन्न हो।
12. प्रदूषण फैलाने वाले प्रचार सामग्रियों यथा-प्लास्टिक / पॉलीथीन से बने पोस्टर, बैनर का इस्तेमाल राजनैतिक प्रचार-प्रसार के लिए नहीं किया जायेगा।
13. कोई भी व्यक्ति/राजनैतिक दल/संगठन/उम्मीदवार / अभ्यर्थी किसी भी प्रकार का लाईसेंन्स हथियार लेकर नहीं चलेगा एवं आग्नेयास्त्र, तीर-धनुष, लाठी, भाला एवं मानव शरीर के लिए अन्य घातक हथियार का प्रदर्शन नहीं करेगा।
परम्परागत रुप से शस्त्र धारण करने वाले समुदाय (नेपालियों द्वारा खुखरी धारण करने तथा सिखों द्वारा कृपाण धारण करने), विधि-व्यवस्था एवं कर्तव्य पर लगे दण्डाधिकारियों/निर्वाचन कार्मिक कार्मियों और पुलिस पदाधिकारीयों पर यह लागू नहीं रहेगा।
यह आदेश जिला दण्डाधिकारी द्वारा घाटशिला एवं धालभूम अनुमंडल अतंर्गत, लोक सभा चुनाव के अवसर पर निर्गत किये जाने वाले आदेश के आलोक में निर्दिष्ट स्थान पर शस्त्र अनुज्ञप्तिधारियों द्वारा शस्त्र निरीक्षण कराने एवं शस्त्र जमा करने हेतु शस्त्र ले जाने वाले अनुज्ञप्तिधारियों पर शिथिल रहेगा।
14. किसी भी व्यक्ति/राजनैतिक दल/संगठन/उम्मीदवार/अभ्यर्थी के द्वारा भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आदर्श आचार संहिता के संदर्भ में समय-समय पर जारी दिशा-निर्देश के विपरीत कोई भी कार्य नहीं किया जाऐगा।
15. यह आदेश पूर्वानुमति प्राप्त सभा / जुलूस / शादी/ बारात / पार्टी / शव यात्रा / हाट बाजार / अस्पताल जा रहें मरीज के साथ-साथ जा रहे व्यक्तियों, विद्यालय एवं महाविद्यालय जाने वाले छात्र/छात्राओं एवं कर्तव्य पर तैनात सरकारी कर्मचारी/पुलिस बल पर लागू नहीं रहेगा।
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वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद कथित सेक्युलर चेहरों से उतर गया नकाब : सुधीर कुमार पप्पू

जमशेदपुर। मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित करवा लिया है, जिसके बाद देश की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तथाकथित सेक्युलर चेहरों की असलियत अब जनता के सामने आ चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम समाज को धोखा देने वाले नेताओं को अब आगामी चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में असंतोष बढ़ा है और मुस्लिम नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को भी इसका नुकसान होगा। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा भाजपा को समर्थन देना भी उनके लिए महंगा साबित हो सकता है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय अब उन्हें समर्थन नहीं देगा।
पप्पू ने आरोप लगाया कि यह विधेयक एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है जिसके जरिए मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है ताकि उन्हें पूंजीपतियों को सौंपा जा सके। उन्होंने कहा कि यह विधेयक गैर संवैधानिक है और इसकी वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। पूरे देश में इसके खिलाफ आंदोलन का माहौल बनता जा रहा है जो आने वाले समय में मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
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कानूनी दृष्टिकोण से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 के पक्ष और विपक्ष में तर्क:
इस विधेयक को लेकर सरकार का तर्क है कि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का माध्यम है। विवादित संपत्तियों के निर्धारण, वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए इसमें कई प्रावधान जोड़े गए हैं। साथ ही, गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करने से समुदायों के बीच समरसता को बढ़ावा मिलेगा।
वहीं दूसरी ओर, इसके विरोध में यह कहा जा रहा है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 14, 15 और 300A का उल्लंघन करता है। विशेष रूप से धारा 3E (Section 3E) को लेकर गंभीर आपत्ति जताई गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि यह प्रावधान अनुसूचित जनजातियों के उन सदस्यों को वक्फ के रूप में संपत्ति समर्पित करने के अधिकार से वंचित करता है जो इस्लाम धर्म अपना चुके हैं। अनुसूचित जातियों के विपरीत, अनुसूचित जनजातियों के सदस्य धर्म परिवर्तन के बाद भी अपनी जनजातीय पहचान नहीं खोते। ऐसे में इस्लाम अपनाने वाले जनजातीय व्यक्ति मुसलमान भी माने जाते हैं, परन्तु इस संशोधन द्वारा उन्हें अपने धर्म के एक आवश्यक अंग का पालन करने से रोका जा रहा है, जो कि अनुच्छेद 25 और 26 के तहत उनके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
यह प्रावधान अनुच्छेद 14 और 15 का भी उल्लंघन करता है क्योंकि यह धर्म के आधार पर अनुसूचित जनजातियों के बीच और जनजातीय मुसलमानों के बीच भेदभाव करता है। इसके अतिरिक्त यह अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकार को भी अप्रभावी बनाता है। इस प्रकार, यह संशोधन मनमाना, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है तथा इसे रद्द किया जाना चाहिए।
निष्कर्षतः, वक्फ संशोधन विधेयक एक संवेदनशील और बहुआयामी विषय है जो धार्मिक अधिकार, अल्पसंख्यक संरक्षण और प्रशासनिक सुधार – तीनों के बीच संतुलन की मांग करता है। इसे केवल राजनीतिक चश्मे से नहीं बल्कि संविधान और न्यायिक समीक्षा की कसौटी पर परखा जाना चाहिए।
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रोटरी क्लब वेस्ट ने आयोजित किया प्रेरणादायक पर्यावरण जागरूकता सत्र, डॉ. विक्रांत तिवारी ने साझा किए अनुभव

जमशेदपुर : रोटरी क्लब वेस्ट जमशेदपुर द्वारा मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल के प्रेक्षागृह में एक प्रेरणादायक पर्यावरण जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे प्रख्यात पर्यावरणविद् और सामाजिक उद्यमी डॉ. विक्रांत तिवारी, जिन्होंने अपने दो दशक से अधिक के कार्य अनुभव के आधार पर युवाओं और शिक्षकों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित किया।
डॉ. तिवारी का प्रेरणास्पद संदेश
आईआईएम कलकत्ता और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र डॉ. तिवारी ने बताया कि उन्होंने अब तक 17 मिलियन से अधिक पेड़ों का रोपण करवाया है और कई एनजीओ को संसाधन जुटाने में सहायता प्रदान की है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम न केवल हरित भारत की कल्पना को साकार कर रही है, बल्कि आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ावा देकर सतत विकास की दिशा में भी कार्य कर रही है।
डॉ. तिवारी ने छात्रों को बताया कि “पर्यावरण संरक्षण कोई विकल्प नहीं, बल्कि यह अब हमारी अनिवार्य जिम्मेदारी बन चुकी है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर छोटे लेकिन असरदार कदम उठाने होंगे।”
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विद्यालय प्रबंधन की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यक्रम की सफलता में स्कूल प्रबंधन समिति, विशेष रूप से प्राचार्या श्रीमती संगीता सिंह, उप प्राचार्या और समन्वयक शिक्षकों की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। उन्होंने छात्रों को न केवल आयोजन से जोड़ा, बल्कि पर्यावरणीय चेतना को व्यवहार में उतारने का संदेश भी दिया।
रोटरी क्लब की प्रतिबद्धता
रोटरी क्लब वेस्ट की यह पहल संगठन की स्थिरता, हरित भविष्य और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को दर्शाती है। क्लब ने इस सत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि वे न केवल समाज सेवा में, बल्कि पर्यावरण संरक्षण जैसे संवेदनशील विषयों पर भी जागरूकता बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
छात्रों में दिखा उत्साह
सत्र के दौरान छात्रों ने पर्यावरण से जुड़ी जिज्ञासाओं को खुलकर साझा किया और डॉ. तिवारी से मार्गदर्शन प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में “प्रकृति से संवाद” विषय पर एक लघु प्रस्तुति ने सभी को भावुक और जागरूक कर दिया।
यह आयोजन न केवल एक जागरूकता अभियान था, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत भी बना, जो भावी पीढ़ी को हरित और टिकाऊ भारत के निर्माण की दिशा में सोचने और कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।
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