रांची : भारत के कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने देश के पांचवें और पूर्वी क्षेत्र के पहले आधुनिक विशाल शहद परीक्षण प्रयोगशाला, एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र, बांस संवर्धन परियोजना, और अन्य परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इसके साथ ही, पूर्वी भारत में मीठी क्रांति की शुरुआत भी हुई। देश में एन डी डी बी आनंद, आई ए आर आई, दिल्ली, आई आई एच आर, बेंगलुरु, और आई बी डी सी, हरियाणा में इस प्रकार की प्रयोगशालाएं हैं।
इस प्रयोगशाला के बनने से पूर्वी क्षेत्र को ‘हनी हब‘ के रूप में विकसित किया जा सकता है। शहद उत्पादक हजारों किसानों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार के साथ ही निर्यात के अवसर भी प्राप्त होंगे, जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठेगा। इस अवसर पर श्री मुंडा ने कहा कि इस क्षेत्र से कभी मधु का निर्यात नहीं हुआ, जबकि मधु उत्पादन के लिए बड़ा क्षेत्र है। 1940 से 1960 के बीच जो खाद्यान्न की कमी हुई, उसके बाद देश में हरित क्रांति आई और उत्पादन बढ़ा, लेकिन मिट्टी का क्षरण भी हुआ। 2013 के बाद हम कई मामलों सतर्क हुए हैं। आज भी तेलहन और दलहन आयात करते हैं। इसके साथ मिट्टी को कम नुकसान पहुंचाकर मानव को प्रकृति के साथ संबंध बनाने की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में बम्बू मिशन की भी शुरुआत की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, देश में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों और किसानों को प्राथमिकता दी जाती रही है। इसी क्रम में, केंद्र सरकार ने झारखंड और आसपास के राज्यों – बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आदि – की अनूठी शहद किस्मों को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने के उद्देश्य से अत्याधुनिक विशाल शहद परीक्षण प्रयोगशाला और अन्य परियोजनाओं को स्वीकृति दी है।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान और मधुमक्खीपालक शामिल हुए। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन, और कृषि विज्ञान केंद्र – खूंटी, रांची, गुमला, सिमडेगा, सराईकेला, पश्चिमी सिंहभूम, सहित विभिन्न संस्थानों ने इसमें सहभागिता दिखाई। इस अवसर पर रांची के माननीय सांसद श्री संजय सेठ, पद्मश्री अशोक भगत, बी ए यू के कुलपति डॉ एस सी दूबे, आईएआरबी के निदेशक डॉ सुजय रक्षित, सहित अन्य जनप्रतिनिधि और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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