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महाशिवरात्रि: क्या हैं इसका धार्मिक महत्त्व और पूजा पर्व

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महाशिवरात्रि: क्या हैं इसका धार्मिक महत्त्व और पूजा पर्व

महाशिवरात्रि : यह एक हिन्दू त्योहार है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा, अर्चना, व्रत, और ध्यान किया जाता है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है और विशेष रूप से जल और बेल पत्र की पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि को भगवान शिव की अमृत गिरी और उनके विवाह की स्मृति में मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है और भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं?

महाशिवरात्रि को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह पर्व भगवान शिव की पूजा और अराधना के लिए मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा, व्रत, और ध्यान किया जाता है। इस दिन को भगवान शिव के उत्कृष्टता और देवताओं के सर्वोच्च महत्व की याद में मनाया जाता है। भक्त इस दिन शिवलिंग की पूजा करते हैं और उनके लिए प्रार्थनाएँ करते हैं। इस दिन को भगवान शिव के अत्यंत कृपालु और दयालु होने के रूप में माना जाता है, और लोग उनसे अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की कामना करते हैं।

कौन है भगवान शिव?

भगवान शिव हिन्दू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं। वे निराकार, निर्गुण, और निराधार हैं। शिव को सृष्टिकर्ता, संहारक, और पालक के रूप में जाना जाता है। उन्हें अनंत और अद्वितीय माना जाता है। वे गंगा जल को अपने जटाओं में समेटे हुए हैं और उनके कंधों पर सर्प वास करते हैं। भगवान शिव के तीन मुख होते हैं: ब्रह्मा, विष्णु, और महेश्वर। वे समाधि, तपस्या, और संतोष के प्रतीक माने जाते हैं और उन्हें शिव जी, महादेव, नीलकंठ, आदि के नामों से भी जाना जाता है।

महाशिवरात्रि कब मनाया जाता है ?

महाशिवरात्रि हर साल हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव के अत्यंत महत्वपूर्ण है और भारतीय संस्कृति में विशेष मान्यता रखता है।

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महाशिवरात्रि के दिन भगवन शिव की पूजा कैसे करें?

महाशिवरात्रि की पूजा पद्धति में निम्नलिखित चरण होते हैं:

1. स्नान (अभिषेक): पहले शिव लिंग को शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है। यह अभिषेक पुनः गंगाजल, दूध, धनिया और शहद के मिश्रण, जल, दूध, धातु, घी और धूप आदि के साथ किया जा सकता है।

2. ध्यान और मंत्र जाप: शिव लिंग के सामने ध्यान और ध्यान के साथ शिव मंत्रों का जाप किया जाता है।

3. आरती: आरती गाना और शिव लिंग के आगे चिरागों की प्रदीप जलाई जाती है।

4. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है, जो चावल, हलवा, और फलाहार समेत हो सकता है।

5. व्रत और त्याग: कुछ भक्त महाशिवरात्रि पर उपवास रखते हैं और शिव जी के नाम पर भिक्षा दान करते हैं।

यह विधियाँ विभिन्न क्षेत्रों और परंपराओं के अनुसार थोड़ी भिन्नता दिखा सकती हैं, लेकिन महाशिवरात्रि की पूजा में इन मुख्य चरणों को पालन किया जाता है।

इसका धार्मिक महत्त्व क्या है ?

महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व बहुत उच्च होता है। इस दिन को हिन्दू धर्म में भगवान शिव की पूजा, अराधना और समर्पण के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन को भगवान शिव के उत्कृष्टता, तप, और साधना के संदेश के रूप में माना जाता है। महाशिवरात्रि को भगवान शिव की विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर माना जाता है। इस दिन को पूरे उत्साह, श्रद्धा, और भक्ति के साथ मनाने का अवसर मिलता है। भक्तों का मानना है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव विशेष रूप से अपनी कृपा के संदेश देते हैं और उनके शिवभक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। इसी कारण से इस दिन को धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व के साथ मनाया जाता है।

सारांश: महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण पर्व है जिसे भगवान शिव की अराधना और पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। इस पर्व के दिन भगवान शिव की पूजा, व्रत, मंत्र जाप और आराधना की जाती है। शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ और भजन-कीर्तन की धूमधाम होती है। इस दिन को लोग व्रत रखते हैं और शिवलिंग को जल से स्नान करते हैं। इसके अलावा, भक्तों को प्रसाद वितरित किया जाता है और इस दिन को ध्यान और आध्यात्मिकता के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू समाज में एकता, शांति, और प्रेम का पर्व भी माना जाता है जो लोगों को एक साथ लाता है।

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