जमशेदपुर । झारखण्ड
दूर्गा पूजा की आड़ में श्री शीतला मंदिर साकची में मंदिर के जमीन का अतिक्रमण कर दुकान एवं झोपड़ी बनाकर पैसा उगाही का खेल 5 वर्षों से चले आ रहा है।
बता दें साकची शीतला माता मंदिर में करीब 5 वर्षों से दुर्गापूजा की आड़ में मंदिर समिति के सदस्यों की मिली भगत से मंदिर का बाउंड्री तोड़कर, जमीन अतिक्रमण कर, दुकान बनाकर पगड़ी एवं भाड़ा लेने तथा पैसा उगाही का खेल चल रहा है। दुर्गापूजा के समय प्रशासन विधि व्यवस्था में व्यस्त रहता है। इस समय राजू बाजपेई जिनके नाम से दुर्गापूजा का लाइसेंस है वह अपने सदस्यों के साथ मिलकर रात में 11:00 से लेकर सुबह 5:00 तक अतिक्रमण कर दीवार उठाते हैं और दूसरे दिन सटर लगाकर लाखों रुपए पगड़ी लेकर भाड़ा उगाही करते हैं।
यह काम इस साल भी 29 अक्टूबर 2023 सप्तमी के दिन रात में किया गया। इसका आभास शीतला मंदिर के मुख्य नौ पंडितों को पहले से ही था।
उन्होंने आज दिनांक 26 अक्टूबर 2023 को जेके रेसीडेंसी साकची में प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उक्त बातों को साझा करते हुए जानकारी दी और बताया की उक्त बातों की लिखित सूचना अनुमंडल पदाधिकारी एवं उपायुक्त को 20 अक्टूबर 2023 को लिखित रूप से दिया गया। परंतु, किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं की गई। इसकी सूचना इससे पहले भी सितंबर 2023 को लिखित दिया गया था। परंतु जिन लोगों की मदद से दोबारा दुकान, झोपड़ी तथा गेट के बाहर बगीचा लगाने का सामान बेचने के बहाने से अतिक्रमण किया गया है, यह उच्च स्तर जांच का विषय है। साथ ही यहाँ वे पंडित पूजा की आड़ में यह घिनौना काम कर रहे हैं यह भी जांच का विषय है।
उन्होंने आगे बताया की ऐसे आदमी का दुर्गापूजा का लाइसेंस रद्द होना चाहिए। सरकार इस पूरे मामले में संज्ञान ले तथा अतिक्रमण को मुक्त करके मंदिर को साफ-सुथरा बनाने में मदद करें ताकि दोबारा यह अतिक्रमण ना हो इसका भी ध्यान रखा जाए। मुख्य गेट के सामने यहां बगीचा लगाने का सामान बेचा जाता है, जो की गलत है। जो मंदिर को सुचारू रूप से चलाएं उन्हें प्रशासन की सहयता मिलनी चाहिए अन्यथा नव पंडित आक्रोश रैली तथा अनशन करने पर मजबूर हो जाएंगे।
9 पंडितों ने आगे कहा की मंदिर में समिति के सदस्य के रूप में साफ-सुथरा सेवानिवृत न्यायाधीश, आईपीएस, आईएएस सम्मानित व्यक्ति एवं बुद्धिजीवी को रखा जाए। जो मंदिर को सुचारू रूप से चलाएं। मंदिर के जमीन में 50 फीट से 70 फीट को छोड़कर (जहां मुख्य मंदिर है), किसी भी प्रकार का कंस्ट्रक्शन नहीं किया जा सकता। यह टाटा कंपनी एवं उस समय के ट्रस्टी के बीच एग्रीमेंट हुआ था। उसमें स्पष्ट है कि यह 26 सितंबर 1950 को हुआ था, जिसका जेरॉक्स प्रशासन को दिया गया है। मंदिर के जमीन में राजू वाजपेई के द्वारा कैसे तीन तल्ला आलीशान घर बनाकर अतिक्रमण किया हुआ है? यह भी जांच का विषय है। अनुमंडल पदाधिकारी के द्वारा लगाए गए दान पेटी को हटा कर अपना निजी दान पेटी किसके इशारे पर राजू वाजपेई ने राम मंदिर में लगाया यह भी जांच का विषय है। इन पर कानूनी कार्रवाई हो तथा ऊपर तल्ला में स्थित मुख्य शीतला मंदिर पर अधिकृत पंडित बनकर धनजी पांडे को रोका जाए, उनको पूजा करने और करवाने का कोई अधिकार नहीं है। वे स्वयं ये बात अनुमंडल अधिकारी को लिखकर 18 नवंबर 2018 को दिए हैं। धनजी पांडे द्वारा हमेशा वहां मारपीट एवं शांति भंग करने का प्रयास किया जाता है। प्रशासन तत्काल मामले का निपटान करने में सहायक बने। यह एक गंभीर मुद्दा है।