रांची । झारखंड
झारखंड स्वास्थ्य सहिया संघ द्वारा 16 अगस्त 2023 को माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, झारखंड सरकार से मिलकर झारखंड राज्य में कार्यरत 42000 सहिया कार्यकर्ताओं की प्रतिनिधियों ने मासिक मानदेय फिक्स करने के सम्बंध में ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने मुख्यमंत्री से अपने मन की बातों को बताया है। जिसमें लिखा गया है कि विगत 2006 से वर्तमान तक झारखंड राज्य में पुरे 42000 सहिया (आशा कार्यकर्ता) कार्यरत है। ये सभी महिलाएँ, स्वास्थ्य सेवाएँ सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में दे रही है। सुरक्षित मातृत्व, जच्चा-बच्चा की सुरक्षा, टीकाकरण अभियान, पल्स पोलिओ अभियान, कुष्ठ रोगी का पहचान, फाईलेरिया, क्षयरोगी की पहचान कर डॉट्स दवा मरीज को उपलब्ध करवाना, कैंसर, कुपोषित बच्चा को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाना, गर्भवती का चार ANC जाँच करवाना, सामुदायिक स्वास्थ्य बैठक करवाना, सरकार की सारी स्वास्थ्य योजना घर-घर पहुँचाना आदि।
वहीं वैश्विक महामारी COVID-19 में प्रत्येक परिवार को सुरक्षा सलाह देना, 18+, 45+, 60+ पहला फेज में कोवैक्सीन / कोविशिल्ड वैक्सीन दिलवाना, लोगों को जागरुक करवाना, अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात, खून पसीना बहाकर सेवा की है। बदले में मात्र 6 माह के लिए 1000₹ अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि 6 माह का अभी भी बकाया है। पंचायत का 600% राशि निकासी कर सहिया को
ऑक्सिमीटर, थार्ममल स्कॉनार देने का बात था वह भी प्राप्त नहीं हुआ है। इतने सारे काम करने के बाद आज हम अपने आप को असहाय महसूस कर रहे है।
आज हम विगत 16 वर्ष से इस कार्य को ईमानदारी पूर्वक करते आ रहे है, बदले में मात्र 2000₹ प्रोत्साहन राशि के रूप में दिया जाता है। वह भी समय पर प्राप्त नहीं होता है।
इन बातों को सुनकर किसी भी जीवंत प्राणी को अंदर ताल झकझोर देगा। लेकिन सरकारे आ रही, जा रही लेकिन किसी ने भी इनकी तकलीफों को दूर नहीं किया है। जो कि इनका वास्तविक हक बनता है। बता दें कि एक ओर सरकार न्यूनतम दैनिक मजदूरी दर फिक्स करती है जो कि प्रतिदिन के हिसाब से ₹300 से लेकर ₹800 तक है। लेकिन यह दोतरफा रवैया सरकार क्यों अपना रही है। यह समझ से परे है। हालांकि यह दोहरी नीति अपनाने के पीछे कोई ठोस कारण अब तक किसी सरकार ने नहीं बताई। दैनिक मजदूरी दर न देकर सहियाओं के साथ अन्याय नहीं तो और क्या है?
आज इन सहियाओं का भविष्य काल की गाल में समाते जा रहा है। वे अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है।
ज्ञापन में उन्होंने यह भी लिखा कि हम कर्ज की तले डूबते जा रहे है। इसलिए आप से विनम्र निवेदन है कि हमें 60 साल स्थायी सेवा, पाँच लाख बीमा कवर और 18000₹ प्रतिमाह मानदेय तय किया जाए और एक सहिया नियमावली विधानसभा में पारित किया जाय।
अतः श्रीमान् से यह सादर निवेदन है कि तमाम 42000 हजार सहिया का जीवनस्तर ऊँचा हो उठे और अपने बच्चें की शिक्षा परिवार की खुशी आपके स्वार्मिंग कर कलमों द्वारा हो यही समस्त सहिया बहनें आप से अपेक्षा रखते है। आप जैसे होनहार से हम सभी सहिया यह अपेक्षा करते है आप जैसे कर्मठ और जुझारू मंत्री हमारे पाकुड़ जिला को प्राप्त हुआ है इसके लिए आपके चीरआभारी बनी रहुँगी।
अब इतने विनम्र और प्रेम के साथ लिखे ज्ञापन का समाधान यदि मुख्यमंत्री जी ने नहीं किया तो यह दुर्भाग्यपूर्ण बात होगी।