जमशेदपुर | झारखण्ड
बिरसानगर निवासी रामजी दुबे नौ सेना से 1981 में 10 साल सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुवे थे। उस समय बॉयज नेव्ही की भर्ती होती थी और लोग 10 साल में बिना पेंशन सेवानिवृत होकर देश की सिविल संस्थाओं या विदेश की संस्थाओं में आराम से नौकरी पा जाते थे। पेंशन बुढ़ापे का बहुत बड़ा सहारा होता है। जब दुबे सर का सिविल जॉब छूट गया तो धीरे धीरे सब पैसा खर्च होने के बाद सामान्य जीवन बिता रहे थे। एक दिन उनकी मुलाकात पूर्व सैनिक सी पी सिंह से हुई और उन्होंने रामजी दुबे को सेना के कर्मठ समाजसेवी सुशील कुमार सिंह से मिलने को कहा।रामजी दुबे की स्थिति जानने के बाद केंद्रीय सैनिक बोर्ड से चार हजार रुपया का पेनरी ग्रांट दिलाने के उद्देश्य से रामजी दुबे को जिला सैनिक बोर्ड चाईबासा लेकर सुशील सिंह गए। बात चीत के क्रम में नौ सेना के रिकॉर्ड ऑफिस से उनके सैनिक होने या न होने की जानकारी माँगी गयी।और वहाँ से पेंशन फॉर्म प्राप्त हुआ। लगातार 18 महीने के कठिन और अनवरत प्रयास के बाद 30 सितम्बर 2023 उनका पहला पेंशन 24,233 रुपया प्रति माह शुरू हो गया। जबकि दस लाख से ऊपर एरियर मिलने की उमीद है।
बढ़ती उम्र में सांगठनीक प्रयास की सराहना करते हुवे रामजी दुबे सर मिठाई का डिब्बा लिये सैनिक इंटरप्राइजेज भुइयांडीह पहुँचें और अपनी खुशी का इज़हार एवं पुर्व सैनिक सेवा परिषद पूर्वी सिंहभूम का आभार ब्यक्त किये। संगठन के इतिहास में यह एक सुनहरा अवसर है। इसके पहले माया देवी को 25 साल बाद, मुन्ना देवी को 12 साल बाद पेंशन दिलाने में सफलता मिल चुकी है। सैनिकों के अधिकार दिलाने के लिये सुशील कुमार सिंह के नेतृत्व में एक समर्पित टीम हमेशा सहयोगी के रूप में कार्य करती रहती है। पूरे संगठन में खुशी की लहर है। सदस्यों का मानना है कि अगर नेतृत्वकर्ता अच्छा हो तो हर असंभव को सम्भव किया जा सकता है। सुशील कुमार सिंह के समर्पण को नमन करते हुवे उनके उज्ववल भविष्य और दीर्घायु की कामना संग़ठन के साथी करते हैं।