त्यौहार 2024: दुर्गा पूजा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जो देवी दुर्गा की पूजा को समर्पित है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। 2024 में दुर्गा पूजा की तारीखें और शुभ मुहूर्त जानने के लिए आपको पंचांग का सहारा लेना होगा।
क्यों मनाया जाता है दुर्गा पूजा?
- देवी दुर्गा की पूजा: इस त्योहार के दौरान देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।
- बुराई पर अच्छाई की जीत: दुर्गा पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- धन्यवाद: इस त्योहार के माध्यम से लोग देवी दुर्गा का धन्यवाद करते हैं।
दुर्गा पूजा के प्रमुख दिन
- प्रतिपदा: इस दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है।
- द्वितीया: इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
- तृतीया: इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
- चतुर्थी: इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है।
- पंचमी: इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है।
- षष्ठी: इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है।
- सप्तमी: इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है।
- अष्टमी: इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है।
- नवमी: इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
- दशमी: दशमी को विसर्जन किया जाता है।
दुर्गा पूजा के दौरान होने वाले प्रमुख कार्यक्रम
- पंडाल: विभिन्न प्रकार के पंडाल बनाए जाते हैं, जिनमें देवी दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं।
- पूजा: पूरे नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।
- अर्चना: भक्त देवी दुर्गा को विभिन्न प्रकार के भोग लगाते हैं।
- जागरण: रात भर जागरण किया जाता है और भजन-कीर्तन किए जाते हैं।
- सिंदूर खेला: महिलाएं सिंदूर खेला खेलती हैं।
- विसर्जन: दसवें दिन देवी दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
2024 के लिए सटीक तिथियां
दुर्गा पूजा की सटीक तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। इसलिए, 2024 के लिए सटीक तिथियां जानने के लिए आपको किसी पंचांग या हिंदू कैलेंडर को देखना चाहिए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2024 में दुर्गापूजा की तिथियां :
3 अक्टूबर 2024 : पूजा प्रारम्भ (प्रथम दिन)
9 अक्टूबर 2024: षष्टी, अश्विन मास (शुक्ल पक्ष)
10 अक्टूबर 2024: महासप्तमी, अश्विन मास (शुक्ल पक्ष)
11. अक्टूबर 2024 : महाष्टमी एवं महानवमी, अश्विन मास (शुक्ल पक्ष)
12 अक्टूबर 2024: विजयादशमी / दशहरा
ध्यान दें:
- दुर्गा पूजा का त्योहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
- प्रत्येक क्षेत्र में दुर्गा पूजा के दौरान अलग-अलग रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं।
दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है, जिन्हें नवरात्रि में नौ दिनों तक पूजा जाता है।
ये नौ रूप क्रमशः इस प्रकार हैं:
1. शैलपुत्री
रूप: मां दुर्गा का पहला रूप, जिन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है।
पूजा पद्धति: इस दिन मां शैलपुत्री की सफेद फूल, चंदन, और लाल वस्त्रों से पूजा की जाती है।
उपासना के लाभ: साधक को मानसिक शांति मिलती है और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।
2. ब्रह्मचारिणी
रूप: मां दुर्गा का दूसरा रूप, जो तपस्या की देवी हैं।
पूजा पद्धति: धूप, दीप, और कुमकुम के साथ मां की पूजा की जाती है। अर्पण में चावल और मिश्री विशेष माने जाते हैं।
उपासना के लाभ: साधक को आत्मबल और सहनशीलता प्राप्त होती है, साथ ही संयम और धैर्य की प्राप्ति होती है।
3. चंद्रघंटा
रूप: मां दुर्गा का तीसरा रूप, जिनके मस्तक पर चंद्रमा की अर्ध-चंद्रकार आकृति है।
पूजा पद्धति: इस दिन बेल पत्र, लाल फूल, और गंध से मां की पूजा की जाती है।
उपासना के लाभ: साधक को साहस, शक्ति और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है।
4. कूष्माण्डा
रूप: मां दुर्गा का चौथा रूप, जिन्हें सृष्टि की रचना करने वाली माना जाता है।
पूजा पद्धति: कद्दू का भोग मां को अर्पित किया जाता है। धूप, दीप, और सफेद फूलों से पूजा की जाती है।
उपासना के लाभ: साधक के जीवन में धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
5. स्कंदमाता
रूप: मां दुर्गा का पांचवां रूप, जिनके पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) हैं।
पूजा पद्धति: लाल वस्त्र, फूल, और सुगंधित पदार्थों से मां की पूजा की जाती है। इस दिन केले का भोग दिया जाता है।
उपासना के लाभ: साधक को संतान सुख और पारिवारिक सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
6. कात्यायनी
रूप: मां दुर्गा का छठा रूप, जिन्हें महर्षि कात्यायन की पुत्री माना जाता है।
पूजा पद्धति: लाल वस्त्र और फूलों से मां की पूजा की जाती है। दही, शहद और चावल का भोग दिया जाता है।
उपासना के लाभ: विवाह में आने वाली अड़चनों का समाधान होता है, और जीवन में प्रेम और समृद्धि आती है।
7. कालरात्रि
रूप: मां दुर्गा का सातवां रूप, जिन्हें काल को नियंत्रित करने वाली माना जाता है।
पूजा पद्धति: गुड़ का भोग और लाल पुष्प मां को अर्पित किए जाते हैं। काले वस्त्र धारण कर पूजा की जाती है।
उपासना के लाभ: साधक को भय और दुखों से मुक्ति मिलती है, साथ ही शत्रुओं का नाश होता है।
8. महागौरी
रूप: मां दुर्गा का आठवां रूप, जो अति श्वेत और शांति की प्रतीक हैं।
पूजा पद्धति: इस दिन सफेद फूलों, नारियल, और दूध से मां की पूजा की जाती है। सफेद वस्त्र धारण किए जाते हैं।
उपासना के लाभ: साधक के सभी पापों का नाश होता है और उसे स्वच्छता और शांति की प्राप्ति होती है।
9. सिद्धिदात्री
रूप: मां दुर्गा का नौवां रूप, जो सभी सिद्धियों को प्रदान करती हैं।
पूजा पद्धति: कमल के फूल, धूप, दीप और विशेष रूप से नारियल से मां की पूजा की जाती है।
उपासना के लाभ: साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पूजा पद्धति:
नवरात्रि के इन नौ दिनों में माता दुर्गा की पूजा सुबह और शाम की जाती है। भक्त मां को फूल, चंदन, धूप, दीप, फल, और विशेष भोग अर्पित करते हैं। मां दुर्गा की आरती और दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया जाता है। व्रत रखने वाले लोग दिन भर फलाहार करके और ध्यान, साधना में समय बिताते हैं।
उपासना के लाभ:
मां दुर्गा के इन नौ रूपों की उपासना करने से भक्तों को शांति, शक्ति, स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही जीवन की कठिनाइयों और संकटों से मुक्ति मिलती है, और साधक को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के लाभ मिलते हैं।