चक्रधरपुर (जय कुमार): आज दिनांक 19/09/2024 को आदिवासी मित्र मंडल में ‘ओट गुरु कोल लाको बोदरा’ की 105वीं जयंती मनाई गई। हो आदिवासियों की मातृभाषा ‘हो भाषा’ है, जिसकी लिपि “वारंग चीती” है।
इस लिपि की खोज कोल “लाको बोदरा” जी ने चालीस के दशक में की थी। इसके साथ ही उन्होंने लिपि के प्रचार-प्रसार के लिए ‘आदि संस्कृति एवं विज्ञान संस्थान’ (एते:ए तुरतुंग सुल्ल पीतिका अखरा) की भी स्थापना की। यह संस्थान आज भी हो भाषा के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करता है। वारंग चीती लिपि की खोज के कारण ही कोल लाको बोदरा जी को ‘ओट गुरु’ की उपाधि मिली थी। और हो समुदाय द्वारा हर वर्ष इसी दिन उनकी जयंती मनाई जाती है।
आज इस अवसर पर श्री चमरू जामुदा ने लाको बोदरा की जीवनी के बारे में बताया तथा श्रीमती नितिमा जोन्को ने आदिवासी भाषा और संस्कृति को बचाए रखने पर जोर दिया। इस अवसर पर सुखराज सुरीन, जगन्नाथ बांडा, बसंत लागुरी, मनीष बांडिया, शुरू गागराई, जानकी होनहागा आदि उपस्थित थे।