मानगो, जमशेदपुर: महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर, 1001 महिलाओं ने स्वर्णरेखा नदी से पैदल कलश में जल लाकर मानगो के शंकोसाई रामनगर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया।
महाशिवरात्रि के दिन, मानगो के शंकोसाई रामनगर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में 1001 महिलाओं ने स्वर्णरेखा नदी से पैदल कलश में जल लाकर मंदिर में स्थित शंकर भगवान के शिवलिंग में जलाभिषेक किया। प्रातः बेला पीली साड़ी में 1001 की संख्या में महिलाएं मंदिर प्रांगण में एकत्रित होकर कलश और नारियल लेकर स्वर्णरेखा नदी के तट पर पहुंचकर कलश में जल लेकर पैदल संकोसाई रामनगर से रोड नंबर पांच, डिमना मुख्य सड़क होते हुए होते हुए शंकोसाई रोड नंबर एक हुए पुनःरामनगर पहुंचकर शंकर भगवान के शिवलिंग में जलाभिषेक किया। रास्ते में पांच शिव मंदिरों में महिलाओं के द्वारा पूजा अर्चना कर भोलेनाथ की आरती की गई। कलश यात्रा के दौरान ढोल नगाड़ों के बीच शिव तांडव का नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा।
महिलाएं बोल बम का जयकारे लगाकर थिरकते हुए माथे में कलश लेकर चल रहीं थीं। कार्यक्रम में बाबा बैधनाथ सेवा संघ के संस्थापक विकास सिंह महिलाओं के साथ पूरे यात्रा में शामिल रहे। कलश यात्रा के बाद रुद्राभिषेक का कार्यक्रम आयोजन किया गया उसके बाद सामूहिक भंडारे का आयोजन हुआ जिसमें हजारों की संख्या में बस्ती वासियों ने प्रसाद ग्रहण किया।
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मुख्य बिंदु
पहनावे और यात्रा मार्ग:
- पीली साड़ियों में सजी-धजी महिलाएं सुबह मंदिर प्रांगण में एकत्रित हुईं।
- कलश और नारियल लेकर वे स्वर्णरेखा नदी के तट पर पहुंचीं।
- वहां से कलश में जल लेकर वे पैदल ही संकोसाई रामनगर से रोड नंबर पांच, डिमना मुख्य सड़क, और शंकोसाई रोड नंबर एक होते हुए वापस रामनगर पहुंचीं।
- रास्ते में पांच शिव मंदिरों में महिलाओं ने पूजा-अर्चना की और भोलेनाथ की आरती उतारी।
आकर्षण और आयोजन:
- ढोल-नगाड़ों की थाप पर शिव तांडव का नृत्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहा था।
- “बोल बम” के जयकारे लगाते हुए महिलाएं माथे पर कलश लेकर थिरक रही थीं।
- बाबा बैधनाथ सेवा संघ के संस्थापक विकास सिंह महिलाओं के साथ पूरी यात्रा में शामिल रहे।
- कलश यात्रा के बाद रुद्राभिषेक और सामूहिक भंडारे का आयोजन किया गया।
- हजारों बस्तीवासियों ने प्रसाद ग्रहण किया।
मुख्य उपस्थित:
- विकास सिंह
- मुन्ना कुमार झा
- सुशीला शर्मा
- दिब्यांसु झा
- अजय साव
- मल्लु यादव
- आशा देवी
यह भव्य आयोजन लोगों की भक्ति और आस्था का प्रतीक था।