झारखंड
🌱 झारखंड का पहला शुगर-फ्री शकरकंद किसान बना संजीव महतो!

🍠 कम चीनी, ज्यादा मुनाफा – नवाचार की मिसाल बनी पटमदा की ज़मीन
Jamshedpur : पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा प्रखंड अंतर्गत चिरूडीह गांव के प्रगतिशील किसान संजीव महतो ने अपनी एक बीघा ज़मीन पर शुगर फ्री शकरकंद की खेती कर झारखंड में एक नया इतिहास रच दिया है। इस अनोखे प्रयोग से वे राज्य के पहले ऐसे किसान बन गए हैं, जिन्होंने कम चीनी और ग्लूकोज मुक्त शकरकंद की सफल फसल उगाई है।
तीन महीने पहले शुरू की गई इस खेती में संजीव महतो को आटी पुआल मशरूम प्रा. लि. कंपनी के एमडी डॉ. अमरेश महतो का मार्गदर्शन मिला। आधुनिक तकनीक से की गई इस खेती ने महज 90 दिनों में शानदार परिणाम दिए हैं। खेत से उखाड़े गए शकरकंद के एक-एक पेड़ की जड़ों में 1 से 2 किलो तक की उपज मिली है, जो न केवल स्वादिष्ट है बल्कि स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर भी है।
🔬 स्वास्थ्य के लिए वरदान
डॉ. अमरेश महतो के अनुसार, शुगर फ्री शकरकंद कैंसर, मधुमेह और गैस्ट्रिक रोगों से पीड़ित लोगों के लिए बेहद लाभकारी है। इस उपज में चीनी की मात्रा बेहद कम होती है, जिससे यह डायबिटिक मरीजों के लिए एक आदर्श आहार बन सकता है।
🍄🌾 मशरूम और कसावा की खेती भी साथ में
इसी खेत की मिट्टी में पेडीस्ट्रा मशरूम और कसावा की भी सफल खेती की जा रही है। यह बहुफसली खेती किसानों को कम मेहनत, कम पूंजी और अधिक मुनाफा देने में सक्षम है।
“एक भारत श्रेष्ठ भारत” मिशन से जुड़ाव
डॉ. महतो ने इस सफल प्रयोग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत श्रेष्ठ भारत” मिशन से जोड़ते हुए इसे पूरे देश में फैलाने का आह्वान किया। उनका कहना है कि ऐसी तकनीक से हर किसान अपने खेत को लाभ का केंद्र बना सकता है।
👨🌾 इस मौके पर किसान संजीव महतो के परिवार के साथ-साथ दीन बंधु ट्रस्ट के महासचिव नागेन्द्र कुमार समेत कई स्थानीय लोग उपस्थित थे। सबने मिलकर इस उपलब्धि की सराहना की और इसे झारखंड की ग्रामीण खेती में क्रांतिकारी कदम बताया।
📈 संजीव महतो की सफलता से न सिर्फ गांव बल्कि पूरे राज्य के किसानों को नई प्रेरणा मिली है, जो अब पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर स्वास्थ्य और बाज़ार दोनों को ध्यान में रखते हुए खेती की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।
🍠 एक बीघा ज़मीन, बड़ी कामयाबी – संजीव महतो का नवाचार झारखंड की खेती को नई दिशा दे रहा है!