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हिन्दू धर्म में पूर्वजों की आत्माओं के लिए समर्पित समय है श्राद्ध पक्ष : पितृ पक्ष विशेष

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जमशेदपुर : आज दिनांक 2 अक्टूबर को जमशेदपुर के स्वर्णरेखा नदी घाट में सैकड़ों की संख्या में लोग जमा हुए और अपने पूर्वजों की याद में धार्मिक अनुष्ठान किये। आइये अपने पूर्वजों से जुडी धार्मिक आस्था और विश्वास को जानते हैं।

पितृ पक्ष विशेष:  पितृ पक्ष जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में पूर्वजों की आत्माओं के लिए समर्पित समय होता है। यह भाद्रपद (भादो) महीने की पूर्णिमा या चतुर्दशी से शुरू होकर अश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है। पितृ पक्ष लगभग 16 दिनों का होता है, जिसमें लोग अपने पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

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पितृ पक्ष की विशेषताएँ:

1. पूर्वजों का स्मरण: पितृ पक्ष का उद्देश्य पितरों की आत्मा को तृप्त करना है। इस समय को उन सभी पूर्वजों को याद करने और उनका आभार व्यक्त करने के रूप में मनाया जाता है।
2. पिंडदान और तर्पण: इस समय किए गए श्राद्ध कर्मों के माध्यम से पितरों को जल और अन्न अर्पित किया जाता है। इसे तर्पण कहा जाता है।
3. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व: मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान, पितरों की आत्माएँ पृथ्वी पर आती हैं और अपने वंशजों से तर्पण की आशा करती हैं। यदि उनकी संतुष्टि के लिए विधिपूर्वक श्राद्ध किया जाता है, तो वे प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

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तर्पण और श्राद्ध कैसे किया जाता है:

1. तर्पण: पितरों के नाम से जल अर्पित करना तर्पण कहलाता है। इसे कच्चे दूध, तिल, जौ और कुश के साथ किया जाता है। तर्पण करते समय पवित्र जल को हाथों से अर्पित करते हुए पितरों का स्मरण किया जाता है।
2. पिंडदान: पिंडदान में चावल, जौ, तिल और कुश मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और पितरों को अर्पित किए जाते हैं। इसे मुख्य रूप से गंगा या किसी पवित्र नदी के किनारे किया जाता है।
3. श्राद्ध भोज: श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे ‘पितृ भोज’ कहा जाता है, और इसे पितरों को समर्पित किया जाता है।

पितृ पक्ष के लाभ और महत्व:

1. आशीर्वाद की प्राप्ति: ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान विधिपूर्वक किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।
2. कर्मों का शुद्धिकरण: पितृ पक्ष में किए गए कर्मों से व्यक्ति के पिछले जन्मों और पूर्वजों से जुड़े कर्मों का शुद्धिकरण होता है।
3. पारिवारिक शांति: पितरों के तर्पण से घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
4. धार्मिक कर्तव्य: पितरों का तर्पण करना हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य माना जाता है, जो व्यक्ति के जीवन के अच्छे फल और पुण्य कर्मों में वृद्धि करता है।

इस प्रकार, पितृ पक्ष एक महत्वपूर्ण समय होता है जिसमें लोग अपने पूर्वजों का आदर करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं।

नोट: यह लेख पाठकों के साथ केवल साझा किया जाता है, इसकी सत्यता एवं महत्ता / अधिक जानकारी के लिए सम्बंधित धार्मिक गुरु / पंडित/ जानकर व्यक्ति से सम्पर्क किया जा सकता है।

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