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झारखंड

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद बिना मापी किए सीओ ने रैयती जमीन पर बने घर के हिस्से को तोड़वाया

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हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद बिना मापी किए सीओ ने रैयती जमीन पर बने घर के हिस्से को तोड़वाया

हाईकोर्ट: मानगो में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए अंचल अधिकारी (सीओ) ने रैयती जमीन पर बने घर के हिस्से को तोड़वा दिया। यह घटना मानगो गुणमय कॉलोनी के रहने वाले श्याम सुंदर अग्रवाल के साथ घटी।

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद बिना मापी किए सीओ ने रैयती जमीन पर बने घर के हिस्से को तोड़वाया

मानगो में हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद अंचल अधिकारी मानगो के निर्देश पर रैयती जमीन पर बने घर के हिस्से को तोड़वा देने का मामला प्रकाश में आया है। घटना मानगो गुणमय कॉलोनी के रहने वाले श्याम सुंदर अग्रवाल के साथ घटित हुई है।

क्या हुआ था?

श्याम सुंदर अग्रवाल के पुत्र बंसीधर अग्रवाल ने बताया कि उनका तीन कट्ठा रैयत जमीन है। वर्ष 2018 में पड़ोसी राहुल सिंह के साथ रास्ते को लेकर हुए विवाद के बाद तत्कालीन सीओ के द्वारा गैरेज को तुड़वा दिया गया था। इसके विरोध में श्याम सुंदर ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जहां से 26 फरवरी 2024 को आदेश निर्गत हुआ कि, श्याम सुंदर अग्रवाल के जमीन का सीमांकन कराकर और जितनी जमीन उनकी है उसे नापी कराकर अन्य हिस्से को तोड़ दिया जाए।

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हाईकोर्ट का आदेश:

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि, “सीमांकन एवं नापी के बाद जितनी जमीन श्याम सुंदर अग्रवाल की है उसे छोड़कर शेष हिस्से को अतिक्रमण मानकर हटा दिया जाए।”

सीओ ने क्या किया?

लेकिन, सीओ ने हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए गलत ढंग से एक पच्छीय नापी कराकर 30 मार्च की रात को मकान तोड़ने की नोटिस चिपका दी और एक सीमा रेखा खींच कर चले गए। इसे लेकर श्याम सुंदर अग्रवाल ने डीसी, एसडीओ को भी शिकायत कर चुके हैं।

मंत्री बन्ना गुप्ता का हस्तक्षेप:

साथ ही साथ श्याम सुन्दर ने अपने पुत्र बंशीधर के साथ माननीय मंत्री बन्ना गुप्ता से मिलकर भी इस मामले को लेकर शिकायत किया। मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी सीओ से टेलीफोनिक वार्ता कर दुबारा सही नापी कराने की बात कही थी। उसके बाद भी सीओ ने एकतरफा करवाई करते हुए 01 अप्रैल को जेसीबी से श्याम सुंदर अग्रवाल के मकान को छतिग्रस्त किया गया।

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मकान को नुकसान:

मकान तोड़ने के दौरान घर के अंदर महिलाएं एवम बच्चे मौजूद थे और बिजली भी नहीं काटी गई थी। घर में लगे कमरे सहित लाखों रुपए की छती हुईं है। उस दौरान कुछ भी अनहोनी घटना घट सकती थी।

श्याम सुंदर का आरोप:

श्याम सुन्दर ने प्रेसवार्ता आयोजित कर बताया कि जिस समय घर पर तोड़ फोड़ किया जा रहा था उस वक्त वे लोग इस मामले को लेकर उपायुक्त से शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगा रहे थे। इसी बीच प्रशासन की ओर से जेसीबी लगाकर घर के सामने के तीनों तल्ला के छज्जा को तोड़ दिया गया। परिवार वालों का आरोप है कि जिस समय घटना को अंजाम दिया जा रहा था उस समय घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं था। बीमार पत्नी के साथ बहू और दो छोटे बच्चे थे। आए लोगों ने उनकी किसी भी बात को सुने बिना कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

सीओ का दावा:

वहीं सीओ के अनुसार गुनमय कॉलोनी में सरकारी जमीन पर किए गए अतिक्रमण को जेसीबी की मदद से हटाया गया है जोकि झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद उक्त अतिक्रमण को हटाया गया। इसके लिए मानगो नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त समीर बोदरा और नगर प्रबंधक जितेंद्र कुमार को दंडाधिकारी के रुप में नियुक्त किया गया था।

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घटना का विवरण:

  • श्याम सुंदर अग्रवाल के पास तीन कट्ठा रैयती जमीन है।
  • 2018 में पड़ोसी राहुल सिंह के साथ रास्ते को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद तत्कालीन सीओ ने गैरेज को तुड़वा दिया था।
  • श्याम सुंदर ने हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसके बाद 26 फरवरी 2024 को कोर्ट ने आदेश दिया कि जमीन का सीमांकन और नापी कराकर अतिक्रमण हटाया जाए।
  • 30 मार्च को, सीओ ने बिना नापी कराए नोटिस चिपकाकर एक सीमा रेखा खींच दी।
  • 1 अप्रैल को, जेसीबी से घर के सामने के तीनों तल्ले के छज्जा को तोड़ दिया गया।
  • घर में महिलाएं और बच्चे मौजूद थे, और बिजली भी नहीं काटी गई थी।
  • श्याम सुंदर का अनुमान है कि उन्हें 50 से 60 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।

सीओ का पक्ष:

सीओ का कहना है कि गुनमय कॉलोनी में सरकारी जमीन पर किए गए अतिक्रमण को हटाया गया है। यह कार्रवाई हाईकोर्ट के आदेश के बाद की गई थी।

आगे की कार्रवाई:

  • श्याम सुंदर ने इस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में जाने का फैसला किया है।

यह घटना कई सवालों को जन्म देती है:

  • क्या सीओ ने हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया?
  • क्या बिना नापी कराए अतिक्रमण हटाना उचित है?
  • क्या प्रशासन ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखा?

यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में है, और अंतिम फैसला हाईकोर्ट द्वारा दिया जाएगा।

यह घटना नागरिकों के अधिकारों और प्रशासन की जवाबदेही पर एक महत्वपूर्ण प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।

अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे:

  • इस घटना ने नागरिकों के बीच प्रशासन के प्रति अविश्वास पैदा किया है।
  • यह घटना प्रशासन की कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
  • नागरिकों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और उन्हें किसी भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

यह उम्मीद की जाती है कि हाईकोर्ट इस मामले में उचित फैसला देगा और न्याय की जीत होगी।

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