रांची | झारखण्ड
राज्य में शुरू हुए उत्कृष्ट विद्यालय के बच्चे हर्ष जोहार के जरिए अब अपने पाठ्यक्रम के महत्व के साथ-साथ रचनात्मकता और भावनात्मक तर्क विकसित करने की ओर अग्रसर हो रहें हैं। राज्य सरकार ने कक्षा 1 से कक्षा 12 तक की आवश्यकता और सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर इसको शुरू किया है। हर्ष जोहार पाठ्यक्रम का उद्देश्य राज्य के बच्चों को नकारात्मक भावनात्मक अनुभवों से उबरने की कला सीखना, जटिल समस्याओं को प्रभावी ढंग से हल करने में सक्षम बनाना, आत्म विकास के लिए उनके प्रयास को बल देना, एक दूसरे से सकारात्मक संबंध बनाने एवं दूसरों के प्रति सहानुभूति के महत्व को समझाना है।
पांच जिलों में है लागू
हर्ष जोहार सभी 80 उत्कृष्ट विद्यालयों और राज्य के 5 जिलों चतरा, पलामू, पूर्वी सिंहभूम, गिरिडीह और दुमका के अन्य 60 स्कूलों में विगत 2 साल से चल रहा है। आने वाले दिनों में झारखण्ड के सभी प्रखंडों में 360 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में बच्चे हर्ष जोहार से जुड़ेंगे। राज्य सरकार ने 80 उत्कृष्ट विद्यालय में से प्रत्येक से दो शिक्षकों का प्रशिक्षण हर्ष जोहार के लिए पूरा हो चुका है।
झारखण्ड की संस्कृति की झलक
हर्ष जोहार पाठ्यक्रम में झारखण्ड के प्रासंगिक क्षेत्र और संस्कृति की झलक है। जहां लोककथाओं, वास्तविक अनुभवों, क्षेत्रीय गतिविधियों को एकीकृत किया गया है। जिससे बच्चे रूबरू हो रहें हैं। इस पाठ्यक्रम को बदलते समय के अनुरूप नए तरीके से डिजाइन किया गया है, जो हमेशा खुश रहने की गतिविधियों से शुरू होगा और संकल्पना और अभिव्यक्ति के साथ समाप्त होगा। हर्ष जोहार का शत प्रतिशत लाभ बच्चों को देने हेतु सभी स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के शिक्षकों और हेड मास्टर के प्रशिक्षण की एक श्रृंखला इस शैक्षणिक वर्ष से शुरू की जाएगी, जो प्रशिक्षण हर्ष जोहार पाठ्यक्रम पर आधारित होगी।