हड़ताल पर बैठी सहियाओं ने अपना दर्द बयां किया - हमारी बातें हमारे तकलीफ आज किसी नेता, विधायक, सांसद तक को दिखाई नहीं पड़ रहा, हम गरीबों की भला कौन सुनेगा?
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