जमशेदपुर | झारखण्ड
सेवा में,
माननीय अध्यक्ष,
झारखंड विधानसभा।
विषय: स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग, झारखंड सरकार द्वारा दवा खरीद में की गई अनियमितता और भ्रष्टाचार की जाँच के संबंध में।
महोदय,
उपर्युक्त विषय में दिनांक 17.03.2023 को पूछे गये मेरे अल्पसूचित प्रश्न का स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सदन में भ्रामक उत्तर दिया गया जो वस्तुतः गलत है। इस विषय में मैंने अपने कार्यालय पत्रांक द्वारा पूर्व में भवदीय का ध्यान आकृष्ट करा चुका हूँ। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अनियमितता की जाँच के लिये तीन सदस्यीय जाँच समिति गठित करने का आश्वासन सदन में दिया गया और कहा गया कि जाँच समिति द्वारा 30 दिनों में जांच पूरा कर लिया जायेगा। दिनांक 16.03.2023 को गठित तीन सदस्यीय जाँच समिति में श्री भुवनेश प्रताप सिंह, अभियान निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन; श्री आलोक त्रिवेदी, अपर सचिव, स्वास्थ्य विभाग एवं श्री जय किशोर प्रसाद, अपर सचिव, स्वास्थ्य विभाग नामित थे। उच्चस्तरीय पदाधिकारियों के इस तीन सदस्यीय समिति ने कोई प्रतिवेदन नहीं दिया।
बीच में ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस समिति को भंग कर इसके स्थान पर अपेक्षाकृत कनीय अधिकारियों की समिति का गठन कर दिया है। लगभग छः माह बीत जाने के बाद भी जाँच समिति का फ़लाफल नहीं आया है। इस ओर भवदीय का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। इससे पता चलता है कि सदन पटल पर पूछे गए सवालों और दिये गये आश्वासनों के प्रति सरकारी अधिकारी और विभागीय मंत्री कितना लापरवाह हैं। सरकारी अधिकारियों और विभागीय मंत्री का ऐसा आचरण सदन की अवमानना है। सदन और सदन के सदस्यों के विशेषाधिकार का संरक्षक होने के नाते यह विषय आपके समक्ष उठा रहा हूँ।
महोदय, इस प्रसंग में भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के निर्देशों के बारे में भी स्वास्थ्य मंत्री ने असत्य बोला है जो सदन के रिकार्ड में मौजूद है। स्वास्थ्य मंत्री के भ्रष्ट आचरण और सदन में मिथ्या प्रस्तुति की जाँच करने के लिए विभाग ने जो तीन सदस्यीय जाँच कमिटी बनाया, उसे 30 दिन में जाँच प्रतिवेदन देना था। इस तीन सदस्यीय कमिटी में तीनों आईएएस अधिकारी थे। स्वास्थ्य विभाग ने यह समिति भंग कर दिया। इसके स्थान पर स्वास्थ्य विभाग के ही अपेक्षाकृत कनीय अधिकारियों की एक समिति का गठन ऊँची क़ीमत पर दवा खरीद में स्वास्थ्य मंत्री की संलिप्तता की जाँच करने के लिये दिनांक 07.08.2023 को कर दिया। इस नवगठित समिति ने अबतक क्या किया है इसका कोई अता-पता नहीं है।
जिस मामले में मंत्रिपरिषद के निर्णयानुसार स्वास्थ्य विभाग ने संकल्प संख्या 102(6), दिनांक 09.02.2021 पारित किया है, उस मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने मंत्रिपरिषद को गुमराह किया है, मंत्रिपरिषद से तथ्य छुपाया है। जिस मामले में ऊँचे दर पर दवाओं की ख़रीद का आदेश स्वास्थ्य विभाग ने दिया और स्वास्थ्य विभाग के आदेश पर झारखंड मेडिकल एंड हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एवं प्रोक्योरमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने खरीद किया है, जिसके प्रबंध निदेशक स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव हैं, उस मामले की जाँच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कनीय अधिकारियों की त्रि-सदस्यीय जाँच समिति का गठन कर दिया गया है। ऐसा किया जाना कितना उचित है ? आश्चर्य है कि यह समिति भी जाँच प्रतिवेदन नहीं दे रही है। कनीय अधिकारियों की यह समिति भला मंत्री, सचिव, विशेष सचिव के किये का जाँच कैसे कर सकती है ? इससे स्वास्थ्य विभाग की मंशा स्पष्ट हो जाती है।
माननीय महोदय, यह मामला सीधे स्वास्थ्य मंत्री के भ्रष्ट आचरण से जुड़ा है। उन्होंने तथ्य छिपाकर केन्द्र सरकार की दवा निर्माता कंपनियों से ऊँची क़ीमत पर दवा खरीद का षड्यंत्र किया है। स्वास्थ्य मंत्री ने वित्तीय नियमावली की कंडिका-235 के प्रावधान को शिथिल कर कंडिका-245 के अनुसार मनोनयन के आधार पर दवा ख़रीद करने का संकल्प पारित करने के लिए मंत्रिपरिषद को गुमराह किया है। मंत्रिपरिषद को इस बारे में अंधकार में रखा है कि इन दवाओं की ख़रीद के लिए विभाग ने निविदा किया है, निविदा निष्पादन हो गया है, निविदा के आधार पर न्यूनतम दर पर दवा आपूर्ति करने वाले आपूर्तिकर्ताओं का चयन हो चुका है और केन्द्र सरकार की जिन कंपनियों से मनोनयन के आधार पर दवा ख़रीदने का प्रस्ताव स्वास्थ्य मंत्री ने मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा है उन कंपनियों की दवाओं की क़ीमत निविदा से चयनित आपूर्तिकर्ताओं की दर से तीन से चार गुना अधिक है।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह जानबूझकर किया है। विभागीय संकल्प संख्या- 6/पी. (विविध)-36/2017/102(6)/स्वा., राँची, दिनांक 09.02.2021 से स्पष्ट है कि इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के संकल्प संख्या-6/पी. (विविध)-36/2017/1252/स्वा., राँची, दिनांक 11.08.2017 के अनुसार दवाओं की ख़रीद में निर्देशों का उल्लंघन कर जो भ्रष्टाचार हुआ है उस पर भी स्वास्थ्य मंत्री ने पर्दा डालने का षड्यंत्र किया है। ऐसी स्थिति में इस मामले की जाँच के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जानी चाहिए।
इतना ही नहीं सदन के सामने इस मामले में सवाल आया, सवाल का गलत उत्तर स्वास्थ्य विभाग ने दिया, सवाल पर चर्चा हुई, स्वास्थ्य मंत्री ने सदन पटल पर ग़लत सूचना दिया कि केन्द्र सरकार के उपक्रमों से दवा खरीदने का निर्देश बाध्यकारी है। जाँच कराने का आश्वासन दिया, यह सब सदन पटन पर हुआ। तदुपरांत भवदीय का नियमन हुआ। फिर भी स्वास्थ्य विभाग इसकी उपेक्षा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री के भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल रहा है। इसलिए यह विषय मैं भवदीय के सामने रख रहा हूँ। सदन की साख पर इसका प्रतिकुल प्रभाव नहीं पड़े इसलिए इस बारे में भवदीय के स्तर से ठोस कार्रवाई अपेक्षित है। स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य विभाग पर अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए।
उपर्युक्त विवरण के आलोक में अनुरोध है कि भवदीय कृपया विधिसम्मत कार्रवाई आरम्भ करने का निर्देश देना चाहेंगे ताकि स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार और मनमानी पर अंकुश लग सके।
सादर,
भवदीय
(सरयू राय)