स्वतंत्रता दी नहीं जाती है, इसे लिया जाता है : सुभाष चंद्र बोस

“‌तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा”

भारतीय राजनीति इतिहास में सबसे शक्तिशाली कोई नेता था तो वो थे सुभाष चन्द्र बोस ।

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ऐसे देशभक्त को सहस्त्र बार कोटि-कोटि नमन ।  

आज 23 जनवरी को उनका 125 वां जन्म दिवस है। वर्ष 1897 को ओड़िसा राज्य के  कटक जिले में उनका जन्म हुआ था। 

इनकी जीवनी पर फ़िल्में भी बन चुकी है, आइये संक्षेप में उनके बारे में जानते है। 


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वे 1920 से भारतीय राजनीति में सक्रिय हुए।  कांग्रेस के एक छोटे से विंग में नेतृत्व करते हुए 1938 में कोंग्रेस के अध्यक्ष पद तक पहुंच गए। वर्ष 1939 में पुनः कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बाद, उन्हें महात्मा गांधी और कांग्रेस आलाकमान के साथ मतभेदों के बाद कांग्रेस के नेतृत्व के पदों से हटा दिया गया।  

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वर्ष 1940 में भारत से  चले गए और अप्रैल 1941 में जर्मनी पहुंचे।  नवंबर 1941 में, जर्मन फंडों के साथ, बर्लिन में एक फ्री इंडिया सेंटर स्थापित किया गया और जल्द ही एक फ्री इंडिया रेडियो, जिस पर बोस ने सीधे प्रसारण किया। जर्मनी  में अपनी शक्ति बढ़ाते हुए वे एडोल्फ हिटलर से मई 1942 के अंत में मिले।  हिटलर ने  एक पनडुब्बी की व्यवस्था  की पेशकश की जिससे होकर उन्हें जापान जाना था।  

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इस दौरान बोस पिता बने।   पत्नी एमिली शेंकल जिससे वे 1934 में मिले थे, उन्होंने नवंबर 1942 को एक बच्ची को जन्म दिया।  वे फरवरी 1943 में  जर्मन पनडुब्बी में सवार होते हुए जापान की ओर आगे बढे।  जापान आने पर, जापानी समर्थको के साथ, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना को पुनर्जीवित किया। ब्रिटिश सरकार के साथ कई संघर्षों के बाद सिंगापुर की लड़ाई में पकड़ लिया गया।   

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जापानी और ब्रिटिश सघर्षों के बीच उनकी सेना ने अदम्य साहस का परिचय दिया।  

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने सुभाष चंद्र बोस की देशभक्ति की प्रशंसा की, लेकिन सुभाष जी ने कांग्रेस की रणनीति और विचारधारा से खुद को दूर किया।  ब्रिटिश राज ने उनपर और  आईएनए पर राजद्रोह के आरोप लगाए और तीन सौ आईएनए अधिकारियों को आरोपित कर सजा दी ।  

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लेकिन ऐसा करके भी लोगों के दिलों में राज करने वाले बोस की लोकप्रियता कम नहीं हुई।  

18 अगस्त 1945 को जापानी शासित फॉर्मोसा (अब ताइवान) में  जापानी विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से उनका कुछ भी पता नहीं चल पाया।  किसी खास षड्यंत्र के द्वारा  इस विमान दुर्घटना को अंजाम दिया गया था जो आज भी राज ही रह गया है। 

वे आज भी हर सच्चे देशभक्त के दिलों में राज करते है। 
जय हिन्द। 











संदर्भ – विकिपीडिया 

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