Connect with us

झारखंड

स्वतंत्रता दिवस से पहले “दबिस्तान-ए-जमशेदपुर” ने काव्य गोष्ठी आयोजित की।

Published

on

स्वतंत्रता दिवस से पहले "दबिस्तान-ए-जमशेदपुर" ने काव्य गोष्ठी आयोजित की।

जमशेदपुर 13 अगस्त 2024: लौह नगरी जमशेदपुर की साहित्यिक संस्था “दबिस्तान-ए-जमशेदपुर” के तत्वाधान में एक शेरी निशस्त का आयोजन रोड नंबर 13 जवाहर में आयोजित हुई। इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता शहर के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं शायर अहमद बद्र ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में डॉ हसन इमाम मालिक (स्पोर्ट्स मैनेजर, टाटा स्टील तथा उर्दू भवन के अध्यक्ष) शामिल हुए।

इस गोष्ठी में दो पीढ़ियों के शायरों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। नई पीढ़ी के शायरों में जहां सद्दाम गानी, सफीउल्लाह सफी, फरहान खान फरहान, शोएब अख्तर, सफदर हारून सैफ अली सैफ, सरफराज शाद तथा वालीउल्लाह वली ने अपनी रचनाएँ सुनाईं वही पुरानी पीढ़ी के शायरों में अनवर अदीब, गौहर अजीज, असर भागलपुरी तथा हातिम नवाज ने अपने शेर सुनाए। यह गोष्टी पुरानी परंपरा के अनुसार शम्मा के साथ आगे बढ़ी।

सभा के प्रारंभ में संस्था के संरक्षक प्रसिद्ध शायर गौहर अजीज ने शायरों का स्वागत किया और अंत में संस्था के उपाध्यक्ष सद्दाम गनी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

सभा की समाप्ति पर मुख्य अतिथि डॉ मलिक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज की गोष्ठी में जितनी अच्छी शायरी सुनने को मिली वह बड़े-बड़े मुशायराओं में भी नहीं मिलती। हमें खुशी है कि आज भी हमारे शहर में उच्च कोटि की शायरी हो रही है।
कार्यक्रम में मौलाना अब्दुल्ला कासमी, सैयद साजिद परवेज तथा जीशान सल्फी विशेष रूप से शामिल हुए।
गोष्टी में पढ़े गए शेर के चंद नमूने:

मकामे इश्क दौराने सफर कोई तो आ जाता
ठहरकर हम वहीं इस जिंदगी की शाम कर लेते…… सद्दाम गनी

खामुशी दर्द की तस्वीर है कह दो उससे
है जो हर गम पे बहुत शोर मचाने वाला…….फरहान

लगता है जैसे बाग़ में कोई कली खिली
फिर उस काली के फूल से तेरा बदन बना…….सफदर हारून

एक धोखा है दिन भर की ये रोशनी
शाम होते ही सूरज भी ढल जाएगा……..सरफराज शाद

मैं उसको देखता हूं जैसे कोई चांद को देखे
सबब ये है कि महफिल में मैं उससे दूर बैठा हूं……..सैफ

कहीं इश्क है तेरा जलवागर
कहीं तेरा जाहो जलाल है……..सफी

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *