My Pen : मंगलवार 04 जनवरी, 2022
सच ही कहा गया है सुंदर स्त्री के माया से कोई नही बच सका है। जब महर्षि विश्वामित्र स्वयं अपने आप को स्त्री के भ्रम जाल से नहीं बचा सकें तो साधारण मनुष्य की भला क्या औकात की वह स्त्री से दूर रह सके। ऐसी ही एक घटना विश्व विजेता सिकन्दर के साथ घटी। एक समय वह भी एक अद्वितीय सुंदरी के मोह में ऐसे पड़े की विश्व विजेता की उपाधि धूमिल होती नजर आने लगी।
बात उस समय की है जब सिकंदर भारत से भारी मात्रा में खजाने लेकर वापस अपने राज्य कुस्तुन्तुनिया को लौट रहा था। उस समय खजाने और बहुमूल्य वस्तुओं के साथ स्त्रियों को भी कीमती एवं उपभोग की वस्तु समझा जाता था। सुंदर स्त्रियों को पाने की इच्छा लगभग हर कोई अपने दिल में दबा कर रखता है, सिकंदर भी इससे अछूता नहीं था। भारत के एक भूभाग पर सिकन्दर ने कब्जा जमा लिया था और जिसका बदला उस प्रदेश की सुंदर राजकुमारी लेना चाहती थी।
उस समय एक अद्वितीय सुंदरी हुआ करती थी, जिसका नाम था – फिलिप्स। फिलिप्स थी तो एक विषकन्या लेकिन अद्वितीय सुंदरता के कारण सिकन्दर उसके मोह में फंस गया। यह वही सुंदर स्त्री थी जिसका राज्य सिकन्दर ने जीत लिया था।
सिकंदर उसके रूप और यौवन जाल में फंस कर सब कुछ भूल गया। यहां तक की वह अपने विश्व विजयी होने के सपने को भी भूल चुका था। और उस सुंदर स्त्री के साथ भोग विलास में रहने लगा था। इस बात की चिंता सिकन्दर के गुरु को हुई। स्त्री के इस माया जाल और बदले की भावना को उन्होंने पहचान लिया था। यह गुरु कोई और नहीं बल्कि यूनान के महान दार्शनिक अरस्तू थे। अरस्तू सिकन्दर के मंत्रियों में प्रमुख और राजनीतिक सलाहकार भी थे। वे जान गए थे कि फिलिप्स एक विषकन्या है और वह सिकन्दर से बदला लेते हुए उसकी विश्व विजयी योजनाओं को नष्ट करना चाहती है।
अरस्तु ने इस सम्बंध में सिकंदर को सावधान किया। लेकिन सिकन्दर फिलिप्स के खिलाफ एक शब्द भी सुनने को तैयार नहीं हुआ। जिस वजह से अरस्तू पहले से अधिक चिंतित हुआ।
इस बात की खबर फिलिप्स को लग गई कि अरस्तू ने सिकन्दर को उसके खिलाफ भड़काया है।
वह अरस्तू से चिढ़ गई। अपनी सुंदरता और यौवन के बल पर उसने अरस्तू को भी अपने मोहजाल में फंसाने और बदला लेने के लिए अरस्तु पर प्रेमजाल फेंक दिया। जिसका ऐसा असर हुआ की अरस्तू भी फिलिप्स के पीछे दीवाना हो गया।
जिसकी भनक सिकंदर को नहीं थी। अरस्तू फिलिप्स के पीछे ऐसा पागल हुआ कि वह फिलिप्स के लिए निम्न स्तर का कार्य करने को भी तैयार हो जाता था।
एक दिन की बात है, अरस्तु घुटनों के बल जमीन पर बैठे घोड़ा बना हुआ था, जिसपर फिलिप्स बैठी हुई थी। फिलिप्स अरस्तू को घोड़े के जैसा व्यवहार करवा रही थी। वह लगाम डाले, चाबुक लेकर घोड़े बने अरस्तू की सवारी कर रही थी। अरस्तू भी धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था। अकस्मात सिकंदर वहां पहुंचा और यह सब दृश्य देखकर सन्न रह गया। वह आश्चर्यजनक तरीके से घोड़ा बने अरस्तू की ओर देख रहा था जिसपर फिलिप्स विराजमान थी। वह निःशब्द होकर कुछ क्षण उन्हें घूरता रहा।
सिकन्दर ने जब यूनान के महान विद्वान की ऐसी दशा देखी तो आश्चर्य से उसने अरस्तु से प्रश्न किया। यह सब क्या है महान गुरु? क्या मैं को स्वप्न तो नहीं देख रहा?
तब तक दोनों (अरस्तू और फिलिप्स) खड़े हो चुके थे। महान गुरु और दार्शनिक अरस्तू ने बड़े ही स्नेह भाव से कहा- जो तुम देख रहे हो यह सत्य है। सुंदर स्त्री जब मुझ जैसे व्यक्ति को रिझा कर अपना गुलाम बना सकती है और यह सब करवा सकती है जो तुम देख रहे थे। तो सोचो भला सुंदर किंतु चरित्रहीन स्त्री मुझ से कम आयु और शून्य अनुभव वाले युवक से क्या कुछ नहीं करा सकती? क्या यह अधिक खतरनाक नहीं हो सकती है?
सिकंदर सारा मामला अबतक समझ चुका था। महान दार्शनिक अरस्तू ने पुनः कहा – मैंने तुम्हें पहले भी सावधान किया था किंतु तुम इसके वश में थे। इसलिए एक सीख देने के उद्देश्य पर मैंने इसका गुलाम बनना स्वीकार कर लिया। और इसलिए यह प्रमाण तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत किया है।
शिक्षा – सुंदर स्त्री के वश में बुद्धिमान व्यक्ति भी मूर्खतापूर्ण कार्य करने लगता है।
नोट : यह कहानी मनोरंजन और नैतिक ज्ञान के लिए लिखी गई है।