जमशेदपुर | झारखण्ड
सिंहभूम चैम्बर का एक प्रतिनिधिमंडल जीएसटी ग्रिवांस रिड्रेसल कमिटि की रांची में आयोजित बैठक में शामिल होकर जीएसटी से संबंधित विभिन्न सुझावों का ज्ञापन सौंपा। इस बैठक में चीफ सेन्ट्रल जीएसटी आयुक्त बी.बी. महापात्रा, स्टेट जीएसटी आयुक्त संतोष वत्स, प्रिंसिपल सेन्ट्रल जीएसटी आयुक्त जसबीर सिंह, जमशेदपुर सेन्ट्रल जीएसटी आयुक्त बी.बी. गुप्ता, स्टेट जीएसटी अपर आयुक्त श्रीमती कंचन लाल ने झारखण्ड राज्य के विभिन्न व्यवसायिक एवं प्रोफेशनल संगठनों के आये प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर जीएसटी से संबंधित उनके सुझाव लिये। यह जानकारी मानद महासचिव मानव केडिया ने दी। महासचिव मानव केडिया निम्नलिखित सुझाव कमिटि की बैठक में रखे –
1) विशेषकर जीएसटीआर 3बी रिटर्न जो फाईल किया जाता है उसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का प्रावधान जीएसटीआर 3बी में ही है। अगर कोई डीलर अपने आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण टैक्स का भुगतान नहीं कर पा रहा तो वह जीएसटीआर 3बी फाईल नहीं कर सकता है इससे वह इनपुट टैक्स क्रेडिट भी नहीं ले सकता है। चैम्बर की ओर से सुझाव दिया गया कि जीएसटी विभाग ऐसा कोई रिटर्न लेकर आये ताकि वह इनपुट टैक्स क्रेडिट ले सके और जब उनकी आर्थिक स्थिति ठीक हो तब वह ब्याज के साथ टैक्स का भुगतान कर सके।
2) अभी स्टेट जीएसटी का पूरे राज्य में पांच जगहों पर अपीलेट आॅथरिटी कोर्ट है लेकिन सेन्ट्रल जीएसटी अपीलेट आॅथरिटी का केवल रांची में ही स्थित है। इससे रांची को छोड़कर राज्य के अन्य जिलों में रहने वाले व्यवसायियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। चैम्बर ने सुझाव दिया कि स्टेट जीएसटी की तरह सेन्ट्रल जीएसटी को भी पूरे राज्य में े अलग-अलग जगहो पर पर अपीलेट आॅथरिटी होना चाहिए। इसपर चीफ कमिश्नर ने आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही सेन्ट्रल जीएसटी अपील के कमिश्नर के साथ बैठक कर रांची के अलावा जमशेदपुर और धनबाद मंे भी अपील कोर्ट स्थापित करने की कोशिश की जायेगी।
उपाध्यक्ष, वित्त एवं कराधान अधिवक्ता राजीव अग्रवाल ने निम्नलिखित सुझाव बैठक में रखे जिनमें प्रमुख रूप से –
1) अभी तक जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया गया है। अगर व्यवसायी को अपील आदेश के खिलाफ जाना है तो ट्रिब्यूनल का गठन नहीं होने के कारण उसे हाई कोर्ट में ही जाना पड़ता है। इसलिये जल्द से जल्द जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन किया जाय।
2) देर से जीएसटी भुगतान करने पर इंटरेस्ट जो लेवी हो रहा है वह 18 से 20 प्रतिशत है जो बहुत ज्यादा है इसे कम किया जाय।
3) जीएसटी रजिस्ट्रेशन में बहुत सारे ऐसे डाक्यूमेंट्स मांग जाते हैं जो जरूरी ही नहीं है। इसपर कमिश्नर ने कहा कि व्यवसायी इसपर अधिकारी से कह सकता है कि मांगा जा रहा डाक्यूमेंट्स निबंधन के लिये जरूरी नहीं है इसलिये इसे जमा नहीं कर सकते हैं। अगर
इसके बाद भी निबंधन रद्द किया जाता है तो ऐसे मामले को उनके समक्ष लाया जाय। इसपर उक्त अधिकारी पर संज्ञान लिया जायेगा।
सचिव, वित्त एवं कराधान अधिवक्ता अंशुल रिंगसिया के द्वारा निम्नलिखित सुझाव दिया गया जिनमें प्रमुख रूप से –
1) झारखण्ड के व्यवसायियों के लिये भी सेन्ट्रल जीएसटी निबंधन का सीपीसी पटना में स्थित है। इसलिये व्यवसायी का जीएसटी निबंधन हेतु आॅनलाईन आवेदन पटना सीपीसी में जमा होता है लेकिन कभी कभी वहां के अधिकारियों को झारखण्ड की भौगोलिक स्थिति की जानकारी नहीं होने के कारण कभी-कभी रद्द कर दिया जाता है। इसलिये झारखण्ड के लिये झारखण्ड में ही अलग-अलग जगहों मेें सीपीसी की स्थापना की जानी चाहिए।
2) जो पहले एमनेस्टी स्कीम ’विवाद से विश्वास’ लाया गया था उसी तरह जीएसटी एमनेस्टी स्कीम भी सेन्ट्रल जीएसटी में लाया जाना चाहिए जिससे बहुत सारे भुगतानों से संबंधित विवाद जो अभी सेन्ट्रल जीएसटी में हैं वह इसके आने से हल हो जायेंगे।
सिंहभूम चैम्बर के उपरोक्त सुझावों पर ध्यान देते हुये चीफ कमिश्नर ने आश्वासन दिया जल्द ही बैठक आयोजित कर उपरोक्त मामलों को निष्पादित करने की दिशा में कार्य किया जायेगा।
उपरोक्त बैठक में सिंहभूम चैम्बर की तरफ से प्रतिनिधिमंडल में मानद महासचिव मानव केडिया, उपाध्यक्ष वित्त एवं कराधान अधिवक्ता राजीव अग्रवाल, सचिव अधिवक्ता अंशुल रिंगसिया के अलावा झारखण्ड राज्य के विभिन्न व्यापारिक संगठन जैसे फेडरेशन ऑफ़ झारखण्ड चैम्बर ऑफ़ काॅमर्स, गिरीडीह चैम्बर ऑफ़ काॅमर्स, झारखण्ड काॅमर्शियल टैक्स बार एसोसिएशन, झारखण्ड इंडस्ट्री एसोसिएशन, चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ़ इंडिया, गिरीडीह चैम्बर आॅफ काॅमर्स के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।