सरिया मेरी जान ! कभी खुशी कभी गम।

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सरिया | झारखण्ड 

बेहतर सिटी बोले तो स्मार्ट सिटी, बनने के लिए बलिदान तो देना ही पड़ेगा। अपने घर, जमीन, दुकान, बिल्डिंग या व्यावसायिक प्रतिष्ठान कुछ भी इसके रास्ते में रोड़ा नहीं बन सकते। खैर लंबे अर्से बाद सरिया को मिला है एक अदद रेलवे ओवरब्रिज। जिसके बनने की कहानी भी बड़ी अजीब है। इसकी कहानी फिर कभी। 

आइये ओवरब्रिज को लेकर आगे बढ़ते हैं। सरिया के कुछ विकास नापसंद लोगों के बीच आख़िरकार आज सरिया की धरती पर रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण को लेकर आमजनों में एक खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। बता दें कि विकास पसंद सरियावासियों को जिन्होंने अपने खून पसीने की कमाई से अपने लिए एक आशियाना बनवाए थे, वे आज खुद हीं अपने हाथों से अपने आशियाने को तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं। हालाँकि मुआवजा दिया जा रहा है फिर भी घर बनाने में रुपयों के साथ सपने भी लगते हैं। इस दुःख की घड़ी में भी विकास पसन्द लोग खुश हैं ताकि सरिया में हो रहे विकास की गति धीमी ना पड़ जाए। 

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वहीं कुछ लोग अपनी उद्दंडता का परिचय देने से भी बाज नही आ रहे। जगह-जगह नारेबाजी करतेऔर इस विकास कार्य को गलत बताने वाले लोग अक्सर यहाँ देखने को मिल जाएंगे। जबकि असली बात तो यह है की जो लोग जमीन लूटकर अपनी धाक जमाए बैठे थे, आज सबसे ज्यादा उन्हीं लोगों को काफी तकलीफ होती दिखाई दे रही है। 

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कारण बस इतना सा है, स्थान विशेष से संबंधित दस्तावेज का ना होना। जिस कारण उन्हें मुआवजा राशि से वंचित रखा गया है। यही एक वजह है, की सरिया की विकास यात्रा जो काफी लंबे अरसे के बाद चली है, उन लोगों को खटक रही है। जबकि यहाँ होने वाले हादसों में जान गवाने वाले लोगों के परिवारजनों की आखों से ख़ुशी के आँशु निकल रहें हैं। 

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