सरकार द्वारा लायी गयी नयी शिक्षा नीति-2020 बची-खुची सरकारी शिक्षा को भी समाप्त कर रही है – AIDSO

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चाईबासा । झारखंड

आज आल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टुडेंट्स झारखंड राज्य कमिटी की ओर से चाईबासा के उर्दू लाइब्रेरी हॉल में कोल्हान प्रमंडल शिक्षा कन्वेंशन का आयोजन किया गया। अखिल भारतीय सचिव मंडली सदस्य प्रदेश अध्यक्ष समर महतो ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि छात्रों और शिक्षाप्रेमियों की यह लड़ाई सिर्फ शिक्षा बचाने की ही लड़ाई नहीं है, बल्कि सभ्यता और इंसानियत बचाने की भी लड़ाई है। कोल्हान प्रमंडल में भी प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की बदहाली अपने चरम पर है। 

सरकार द्वारा शिक्षा बजट में कटौती एवं आवश्यक संसाधनों की कमी की वजह से आज सार्वजनिक शिक्षा हांफ रही है। सरकार द्वारा लायी गयी नयी शिक्षा नीति-2020 बची-खुची सरकारी शिक्षा को भी समाप्त कर रही है। यह शिक्षा नीति शिक्षा के निजीकरण, व्यापारीकरण व साम्प्रदायीकरण की ब्लूप्रिंट के सिवा कुछ नहीं है। शिक्षा का काम छात्रों में तार्किक सोच तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करना होना चाहिए, जबकि एनईपी- 2020 में डार्विन के स्थापित सिद्धांतों को भी पाठ्यक्रम से हटाया जा रहा है।  

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नयी शिक्षा नीति-2020 में शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता को खत्म कर शिक्षा के केन्द्रीयकरण के नाम पर सारा नियंत्रण केन्द्र सरकार अपने हाथों में ले रही है। शैक्षिक प्रशासन को समग्र रूप से केंद्रीकृत करने का सरकार का प्रयास शिक्षा के मामलों को पूरी तरह से निरंकुश तरीके से नियंत्रित करने की प्रवृत्ति को इंगित करता है। 

AIDSO पश्चिम बंगाल राज्य सचिव मंडली सदस्य सुदीप दत्ता ने कहा कि ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’ सरकारी शिक्षा व्यवस्था को समूल नष्ट करने तथा शिक्षा का सम्पूर्ण व्यवसायीकरण करने की नीति है। इस नीति का उद्देश्य आजादी के बाद से शासक वर्ग द्वारा शिक्षा पर किये गये लगातार हमलों के बाद भी धर्मनिरपेक्ष, जनवादी और वैज्ञानिक शिक्षा के बचे-खुचे अवशेषों को मिटा देना है।

सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए एआईडीएसओ के प्रदेश सचिव सोहन महतो ने कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा- 2020 नीति का ही नतीजा है कि स्कूल-कॉलेजों और केन्द्रीय सहित सभी विश्वविद्यालयों में बेतहाशा फीस वृद्धि हो रही है। कोल्हान प्रमंडल में स्थाई शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं। उन्होंने छात्रों से बड़े पैमाने पर वालंटियर बनने/बनाने और हर स्तर पर छात्रों की संघर्ष कमेटियों के गठन की अपील की।

छात्र कंवेंशन में पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां से 300 छात्र प्रतिनिधियों ने भाग लिया। छात्र प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में पेश किये गये मुख्य प्रस्ताव के समर्थन में अपने विचार रखे। 

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