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धार्मिक

सनातनी युवाओं को अपनी धरोहर और परंपरा को जागृत करने का उत्सव है हिंदू नववर्ष यात्रा।

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हिंदू नववर्ष यात्रा   |   जमशेदपुर 

हिंदू नववर्ष यात्रा (डिमना से सुभाष मैदान) हेतु दिनांक 19 मार्च 2023 को होटल दयाल में प्रेस वार्ता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। हिंदू नव वर्ष यात्रा के अध्यक्ष श्री राम बाबू तिवारी जी ने मीडिया बंधुओं को संबोधित करते हुए यात्रा से संबंधित अधिकृत रूप से जानकारी साझा किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि नव वर्ष यात्रा वर्षन वर्ष आयोजित होता रहा है, यात्रा का उद्गम स्थल मानगो डिमना से सुभाष मैदान है, डिमना से सुभाष मैदान भगवा स्नान हेतु सजधज कर तैयार है। हिंदू नव वर्ष यात्रा भव्य शोभा यात्रा का हम सभी सनातनी द्वारा बीजारोपण वर्षों पूर्ण किया गया था जो आज शहर में एक विशाल भव्य हिंदू नव वर्ष यात्रा का रूप लिया हैं, और अनवरत यह चलता रहेगा।

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चुकी भारतीय नव वर्ष समूचे देशवासियों के लिए सांस्कृतिक विरासत है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। भगवान विष्णु का प्रथम अवतार भी इसी दिन शुरू हुआ था। प्रकृति में नयापन होता है पेड़ पौधों में फूल मंजर कली इसी समय आने आरंभ होते हैं हिंदू नव वर्ष सबके लिए गर्व का क्षण है। हम सभी देशवासियों को अपने जीवन संस्कृति के रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। क्योंकि हमारे जो वर्तमान पीढ़ी हैं वह अतीत को भुला चुके हैं उनको हमारे सनातन धर्म का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के बारे में वर्तमान पीढ़ी को जानने चाहिए चुकी आज की पीढ़ी हैप्पी न्यू ईयर जानती है पर उन्हें यह नहीं पता है कि हम सभी सनातन हैं और हम सभी सनातनीयों का कैलेंडर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होता है विक्रम संवत को मानते हैं जब हम सब शादी विवाह, भूमि पूजन, शुभकार्य आदि सनातनी नियमनुसार करते हैं वही अलख आज के युवा पीढ़ी में जगानी है।

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पाश्चात्य कोलाहल में अपनी देश की संस्कृति ना भूलें पश्चिमी सभ्यता कभी भी हमारी बराबरी नहीं कर सकती होहड़ता कभी भी भारतीय समाज का अंग नहीं बन सकता हमारी संस्कृति जीवंत है नववर्ष में हम सभी संकल्प लेकर पाश्चात्य जीवन शैली को अपने जीवन में हावी नहीं होने देंगे हम सभी को भारतीयता के रंग में रंगना होगा और अपने विरासत के प्रति सजग रहना होगा हिंदू नव वर्ष दुनियाभर के हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण समय है यह नए सिरे से शुरू करने नए संकल्प करने और बीते चुके वर्ष को प्रतिबिंबित करने का समय है कई हिंदुओं के लिए नया साल उनकी संस्कृति और परंपराओं का जश्न मनाने का समय है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की पूर्व संध्या पर निकलने वाली शोभायात्रा से सभी सनातनियों का जमीन से जुड़ाव हो, स्वाभिमान का निर्माण हो, सामर्थ्य एवं समरसता का निर्माण हो, साथ ही जितने भी पूरक यात्रा निकल रहे उन सभी सनातनियों को हमारा समर्थन हैं, हम सब का ध्वज एक ही ध्वज केसरिया ध्वज है जिसके अंतर्गत यात्रा निकाली जा रही है हिंदू नव वर्ष यात्रा हेतु समस्त जमशेदपुर की सनातनीयों, सभी सामाजिक संगठन, व्यापारिक संगठन, राजनीतिक संगठन, से निवेदन है आग्रह है अपनी चट्टानी इरादों के साथ यात्रा में शामिल होकर विशाल हिंदू नव वर्ष यात्रा में भगवा स्नान करने पहुँचे। साथ ही प्रशासन द्वारा तय सड़क मार्ग से, एवं दिशा निर्देश के अंतर्गत अनुशासित एवं मर्यादित तरीके से यात्रा निकाली जायेगी एवं यात्रा की शोभा बढ़ाई जायेगी।

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हिंदू नववर्ष यात्रा में आशीर्वचन देने हेतु प्रमुख रूप से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन मंत्री श्री कर्मवीर जी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं झारखंड बिहार के जन जागरण मंच के संयोजक श्री डॉक्टर सुमन हिन्दू नववर्ष यात्रा के संस्थापक मृत्युंजय कुमार जी ने हिन्दुओं के नये साल के इतिहास बताते हुए प्रत्येक व्यक्ति जीते आ रहे हैं, को व्यक्तिगत तथा संस्थागत क्या कार्य करना है, उस पर प्रकाश डाला गया। 

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हिन्दू नववर्ष का इतिहास और महत्व:

आज की हमारी जीवन शैली पर पश्चिम दुनिया का गहरा असर हैं, हम वजन, मुद्रा और गणना से लेकर तिथि और काल गणना भी पाश्चात्य परिपाटी के मुताबिक करते हैं, हममें से अधिकतर लोग 1 जनवरी को ही नववर्ष मनाते हैं. जबकि भारतीय अथवा हिन्दू कलेंडर के मुताबिक चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नव संवत्सर प्रारम्भ होती हैं। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब ब्रह्माजी ने हमारी सृष्टि के निर्माण की शुरुआत कि तो उसी दिन से हमारे जगत का प्रथम दिन माना जाता हैं। पुराणों के चैत्र अनुसार ‘शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही देवी देवताओं के कार्यों का विभाजन हुआ था तथा सभी ने शक्ति से सृष्टि संचालन के लिए आशीर्वाद माँगा था. यही वजह है कि हिन्दू धर्म से हिन्दू वर्ष की शुरुआत मानी गई।

इस दिन का बड़ा महत्व है तथा इसी दिन हिन्दू नववर्ष का पहला दिन वासन्ती नवरात्र का प्रथम दिन होता हैं। भारतीय पर्व, विवाह तथा अन्य मुहूर्त तथा बैंक और अन्य कई सरकारी विभागों में भी हिन्दू नव वर्ष के साथ नये सत्र का आगाज होता है।

आजादी के बाद तत्कालीन सरकार ने भी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हजारों वर्ष प्राचीन वैज्ञानिक एवं सटीक कलैंडर की अवहेलना कर शक संवत् को राष्ट्रीय पंचाग घोषित किया. सरकार की जो भी मंशा रही हो, भारतीय जनमानस और उनकी परम्परा एवं इतिहास आज भी विक्रम संवत् के साथ जुड़ी हुई हैं। प्रिय बंधुओ, हमारा हिंदू नव वर्ष का शुभागमन हो रहा है जिसका स्वागत हर्ष और उल्लास से होना ही चाहिए। 


नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नववर्ष (तदनुसार 22 मार्च 2023) पर करणीय कार्य व्यतिगत कार्य:

1 – घर के सभी लोगो को हिंदी मास पक्ष एवं तिथि की जानकारी देना एवं स्मरण कराना।

2 – विक्रम संवत के बारे में जानकारी देना।

3 – नववर्ष क्यों मानते है ? इसकी जानकारी देना। 

4 – घर की साज सज्जा एवं मंदिर को साफ करना।

5 – द्वार पर रंगोली निर्माण, दरवाजे पर स्वस्तिक ॐ शुभ लाभ का लेखन । 

6 – घर के बाहर नववर्ष मंगलमय हो। ऐसा हस्तलिखित या फ्लेक्स लगाए। अपने प्रतिष्ठान पर भी लगाए।

7 – घर के बालको को मंदिर, सेवा स्थान पर दर्शन हेतु ले जाये ।

8 – घर पर विशिष्ठ पकवान बनवाये । 

9 – अपने इष्ट मित्रो को नववर्ष का संदेश भेजे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप्प पत्र मेल एवं फोन करें । संस्थागत कार्य

10 – सेवा के कार्य जैसे फल वितरण • वस्त्र वितरण आदि घर के बालको के हाथ से या संस्था के सदस्यों से करवाये।

11 – अपनी संस्था के सौजन्य से समाज मे एवं संस्था से जुड़े लोगों को नववर्ष के कुछ कार्यक्रम करवाये। जैसे – भारत माता आरती, – अखंड रामचरित मानस, हनुमान चालीसा, भोज, पाठ कीर्तन कवि समेलन निबंध लेखन।

12- समाचार पत्र, TV में मंगल कामना संदेश आदि संस्था या व्यतिगत नाम से।


चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व

1. इस दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।

 2. सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।

3. प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन भी यही है। 

4. यह शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन है।

5. सिक्खों के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस भी इसी दिन है। 

6. स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमार्यम का संदेश दिया ।

7. सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरुणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए। 

8. विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।

9. युधिष्ठिर का राज्यभिषेक दिवस भी

10 संघ संस्थापक प.पू. डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन भी इस है।

11 महिर्षि गौतम जयंती भी इसी दिन आती है।


भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व

1. बसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंध से भरी होती है। 

2. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।

3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

भारतीय नववर्ष कैसे मनाए ?

1. हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। पत्रक बांटें – झंडे, बैनर।

2. अपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें। 

3. इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फहराएँ।

4. अपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ। 

5. घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।

6. इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।

7. प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें। झंडी और फरियों से सज्जा करें।

8. इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें।

9. वाहन शोभा यात्रा, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राएं, कवि सम्मेलन, भजन संध्या, अंताक्षरी भजन भजनों पर आधारित महाआरती आदि का आयोजन करें।

10. चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम। 

आप सभी से विनम्र निवेदन है कि “भारतीय नववर्ष” हर्षोउल्लास के साथ मनाने के लिए घर से निकलते ईस्ट मित्रों को परिचित हो समाज के लोगों को नववर्ष के विषय में बताइए और प्रेरित करें “समाज को अवश्य प्रेरित करें।”

नव वर्ष की अग्रिम बधाई, प्रेस वार्ता में प्रमुख रूप से उमेश सिंह, दशरथ चौबे, मनोज बाजपेयी, राजा सिंह, महेश सिंह, सरबजीत, नीरज सिंह जी, धमेन्द्र प्रसाद, नितिन, आदि शामिल हुए। 

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