जमशेदपुर। पं. रघुनाथ मुर्मू खेरवाड़ मिशन, भागबांद, चंद्रकोना रोड, मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल में संताली साहित्य के 18 दिवसीय सम्मेलनों का आयोजन 22 दिसंबर 2024 से 8 जनवरी 2025 तक विभिन्न स्थानों पर किया जा रहा है। यह आयोजन संताली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किए जाने की स्मृति में समर्पित है।
संविधान में संताली भाषा का ऐतिहासिक स्थान
ज्ञातव्य है कि 22 दिसंबर 2003 को लोकसभा और 23 दिसंबर 2003 को राज्यसभा में संताली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करने का विधेयक पारित हुआ। इसके बाद, 7 जनवरी 2004 को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित इस विधेयक को 8 जनवरी 2004 को सरकारी गजट में प्रकाशित किया गया। इस ऐतिहासिक घटना को “गेल इराल माहा” के रूप में मनाया जा रहा है और “ओल चिकि मिशन 2025” के तहत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
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सम्मेलन में विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस आयोजन में जाहेर थान कमिटी की ओर से श्री लेदेम मार्डी और श्रीमती करना मुर्मू, ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन (AISWA) की महिला विंग की चेयरमैन श्रीमती जोबा मुर्मू, कोषाध्यक्ष श्रीमती स्वपना हेम्ब्रोम, लखीराम सोरेन, गणेश मांडी, गणेश मुर्मू, मंगला मुर्मू, रागदा सोरेन सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत और मुख्य आकर्षण
कार्यक्रम की शुरुआत ‘बिंदु-चंदान’ ओड़हे (प्रार्थना) के साथ हुई। इसका संचालन ASECA के अध्यक्ष श्री गालु मार्डी ने किया। कार्यक्रम के दौरान ऑल इंडिया रेडियो के कलाकार अर्जुन सोरेन ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति दी। अध्ययन केंद्र के छात्रों ने कविता और कहानी प्रस्तुत कर सभी को प्रभावित किया।
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समापन समारोह
चार घंटे चले इस कार्यक्रम का समापन सामूहिक नृत्य के साथ हुआ। इस दौरान सभी अतिथियों ने संताली भाषा और साहित्य के विकास के लिए अपने विचार साझा किए।
संगठन का संदेश
AISWA के महासचिव और जाहेर थान कमिटी के सचिव रबिन्द्र नाथ मुर्मू ने कहा कि यह आयोजन संताली भाषा और संस्कृति के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।